उत्तर प्रदेश में किन-किन जिलों के होंगे नाम परिवर्तित?

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अब उत्तर प्रदेश में कई जिलों के नाम परिवर्तित होने वाले हैं! उत्‍तर प्रदेश में एक बार फिर जिलों का नाम बदलने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अब गाजियाबाद का नाम गजनगर या फिर हरनंदी नगर करने की मांग हो रही है। गाजियाबाद के कई हिंदू संगठनों की मांग के बाद नगर निगम की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। बीजेपी के एक पार्षद ने बैठक में इसको लेकर प्रस्‍ताव पेश किया जिस पर अन्‍य पार्षदों में भी सहमति नजर आई। 2018 में योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। इसके बाद फैजाबाद का नाम अयोध्‍या कर दिया गया। इसके बाद से यूपी के कई जिलों के नाम बदलने की मांग चल रही है। आइए जानते हैं किन जिलों का नाम बदलने की मांग चल रही है। हरनंदीपुरम या दूधेश्वरनाथ नगर किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। संजय सिंह ने गजप्रस्थ नाम के पीछे महाभारतकालीन हस्तिनापुर राजधानी का जिक्र किया, जब यह वन्य क्षेत्र हुआ करता था और हाथी मुख्य जानवर था। इसके अलावा यहां बहने वाली हिंडन नदी के आधार पर हरनंदी नगर नाम और दूधेश्वर नाथ मंदिर की वजह से नाम रखे जाने का प्रस्ताव रखा गया।गौरतलब है कि यूपी में जिलों का नाम बदलने की शुरुआत बसपा शासनकाल में हुआ था। तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री मायावती ने अमेठी को छत्रपति शाहूजी महाराजनगर, हाथरस को महामायानगर, कानपुर देहात को रमाबाई नगर और कासगंज को कांशीराम नगर बना दिया था। इसके बाद सपा सरकार आई तो मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने मायावती की तरफ से बदले गए जिलों के नाम वापस कर दिए थे।गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ, हरनंदीपुरम या दूधेश्वरनाथ नगर किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। संजय सिंह ने गजप्रस्थ नाम के पीछे महाभारतकालीन हस्तिनापुर राजधानी का जिक्र किया, जब यह वन्य क्षेत्र हुआ करता था और हाथी मुख्य जानवर था। 2017 में योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने पर फिर से जिलों के नाम बदलने की शुरुआत हो गई। 2017 में सबसे पहले मुगलसराय तहसील का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय किया गया। योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने पर फिर से जिलों के नाम बदलने की शुरुआत हो गई। 2017 में सबसे पहले मुगलसराय तहसील का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय किया गया। इससे पहले प्रतापगढ़ से भाजपा सांसद संगमलाल गुप्‍ता भी लखनऊ का नाम बदलने की मांग कर चुके हैं। सीएम को लिखे पत्र में उन्‍होंने यूपी की राजधानी का नाम लक्ष्‍मणपुर किए जाने की मांग की है।केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद 2018 में मुगलसराय रेलवे स्‍टेशन का नाम भी पंडित दीनदयान के नाम पर हो गया।

गाजियाबाद जिले के नाम बदलने की मांग 2018 से की जा रही है। दो साल पहले 2022 में बीजेपी पार्षद संजय सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस संबंध में मेमोरेंडम सौंपा था। इस दौरान गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ, हरनंदीपुरम या दूधेश्वरनाथ नगर किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। संजय सिंह ने गजप्रस्थ नाम के पीछे महाभारतकालीन हस्तिनापुर राजधानी का जिक्र किया, जब यह वन्य क्षेत्र हुआ करता था और हाथी मुख्य जानवर था। इसके अलावा यहां बहने वाली हिंडन नदी के आधार पर हरनंदी नगर नाम और दूधेश्वर नाथ मंदिर की वजह से नाम रखे जाने का प्रस्ताव रखा गया।

गाजियाबाद के अलावा कुछ समय पहले ही सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने भी गाजीपुर और बहराइच का नाम बदले जाने की मांग कर दी है। उन्‍होंने इसको लेकर सीएम योगी को चिट्ठी भी लिखी है। इसमें उन्‍होंने कहा है कि गाजीपुर के पौराणिक इतिहास में महर्षि विश्‍वामित्र और बहराइच के इतिहास में महाराजा सुहेलदेव राजभर की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए गाजीपुर का नाम विश्‍वामित्र नगर और बहराइच का नाम महाराजा सुहेलदेव नगर किया जाए। बता दें कि मायावती ने अमेठी को छत्रपति शाहूजी महाराजनगर, हाथरस को महामायानगर, कानपुर देहात को रमाबाई नगर और कासगंज को कांशीराम नगर बना दिया था। इसके बाद सपा सरकार आई तो मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने मायावती की तरफ से बदले गए जिलों के नाम वापस कर दिए थे। 2017 में योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने पर फिर से जिलों के नाम बदलने की शुरुआत हो गई। 2017 में सबसे पहले मुगलसराय तहसील का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय किया गया। इससे पहले प्रतापगढ़ से भाजपा सांसद संगमलाल गुप्‍ता भी लखनऊ का नाम बदलने की मांग कर चुके हैं। सीएम को लिखे पत्र में उन्‍होंने यूपी की राजधानी का नाम लक्ष्‍मणपुर किए जाने की मांग की है।