क्या अब भारत की दृष्टि से बचेगा पाकिस्तान?

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अब पाकिस्तान का भारत की दृष्टि से बचना मुश्किल होगा! भारत ने पाकिस्‍तान की हर नापाक हरकत पर नजर रखने का बंदोबस्‍त कर लिया है। इसके लिए आदमी नहीं, टेक्‍नोलॉजी का काम करेगी। भारतीय सेना ने पंजाब सेक्‍टर में फॉरवर्ड बेस पर मध्यम-ऊंचाई और लंबे समय तक टिकने वाले ड्रोनों को तैनात करने का फैसला किया है। इनका नाम दृष्टि-10 है। इन्‍हें जल्‍द ही काम पर लगाने की तैयारी है। इन ड्रोन से भारतीय सेना की सर्विलांस क्षमता को बढ़ावा मिलने की उम्‍मीद है। भारत के सामने सुरक्षा के लिहाज से इस समय पाकिस्‍तान और चीन के रूप में दोहरी चुनौती है। यही कारण है कि सेना सुरक्षा तैयारियों में किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती है। भारतीय फर्म एडडिफेंस की ओर से इन ड्रोन को अगले दो से तीन महीनों में बल में शामिल किए जाने की उम्मीद है। भारतीय सेना ने इमरजेंसी प्रावधानों के तहत फर्म से इनमें से दो ड्रोन के लिए ऑर्डर दिए हैं। इन प्रावधानों के अनुसार, विक्रेताओं की ओर से आपूर्ति की जाने वाली प्रणालियां 60 फीसदी से ज्‍यादा स्वदेशी होनी चाहिए। इन्‍हें डिफेंस में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत होना चाहिए।

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना की इन ड्रोनों को पंजाब सेक्टर में तैनात करने की योजना है। इससे सेना रेगिस्तानी सेक्टर के साथ पंजाब के उत्तर के इलाकों सहित एक बड़े क्षेत्र पर नजर रख सकती है। भारतीय सेना पहले से ही हेरॉन मार्क 1 और मार्क 2 ड्रोन ऑपरेट कर रही है। उसने बलों के लिए सरकार से अनुमोदित आपातकालीन खरीद की अंतिम किश्त के तहत दृष्टि-10 या हर्मीस-900 ड्रोन के लिए ऑर्डर भी दिए हैं।

अडानी डिफेंस ने ड्रोनों के लिए टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर इजरायली फर्म एल्बिट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय कंपनी ने कहा था कि उसने 70 फीसदी तक इनका स्‍वदेशीकरण कर लिया है। इसे और बढ़ाने के लिए वह और काम करेगी। भारतीय सेना ने इजरायल से और ज्‍यादा सैटेलाइट-इनेबल्‍ड ड्रोनों को भी शामिल किया है। उसके पास इजरायली विमान उद्योगों के साथ सीधे सौदे में खरीदे गए कुछ हेरॉन मार्क 2 ड्रोन पहले से हैं।

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और महानिदेशक आर्मी एविएशन लेफ्टिनेंट जनरल अजय सूरी ने ड्रोनों का अनावरण इस सप्ताह की शुरुआत में हैदराबाद में किया था। भारतीय नौसेना इन्‍हें पाकिस्तान के साथ समुद्री सीमा के अलावा ऊंचे समंदरों पर नजर रखने के लिए पोरबंदर में तैनात करने जा रही है। इसका कारण यह है कि इनमें 30 घंटे से ज्‍यादा समय तक उड़ान भरने और एक बार में लगभग 2,000 किमी की दूरी तय करने की क्षमता है।

बता दे कि अडाणी ग्रुप की कंपनी ने भारतीय नौसेना के लिए ड्रोन स्वदेशी ड्रोन बनाया है। इस स्वदेशी ड्रोन का नाम UAV दृष्टि-10 रखा गया है। ये स्टारलाइनर ड्रोन है, जिसे आज अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने भारतीय नौसेना को सौंप दिया। इस स्वदेशी ड्रोन के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना का ताकत और ज्यादा बढ़ गई है। स्वदेशी तकनीक पर आधारित ये ड्रोन काफी एडवांस है। बुधवार को हैदराबाद में फ्लैगऑफ कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने ड्रोन का अनावरण किया। UAV दृष्टि-10 ड्रोन किस तरह से नौसेना की ताकत बढ़ाएगा आइए बताते हैं। हैदराबाद में फ्लैगऑफ कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने भारतीय नौसेना की जरूरतों के साथ अपने रोडमैप को बताया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अडाणी ग्रुप की सराहना की। नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘यह ISR टेक्नॉलजी और समुद्री वर्चस्व में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अडाणी ग्रुप ने न केवल मैन्युफेक्चरिंग में बल्कि ड्रोन के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल में भी मदद की है। हमारे नौसैनिक अभियानों में दृष्टि-10 का एकीकरण हमारी क्षमताओं को बढ़ाएगा, समुद्री निगरानी में ये ड्रोन हमारी मदद करेगा।’

अडानी एंटरप्राइजेज से जुड़े जीत अडानी ने हाल की भू-राजनीतिक घटनाओं के मद्देनजर खुफिया, निगरानी और टोही प्लेटफार्मों के बढ़ते महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्रभावी सूचवा प्रसार के लिए खुफिया तंत्र,बेहतर कम्युनिकेशन, ड्रोन जैसी मानव रहित तकनीक और साइबर टेक्नॉलजी की जरूरत पर जोर दिया। दिया। वहीं अडाणी ने कहा कि वह भारतीय सुरक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करने और भारत को वैश्विक निर्यातक के रूप में स्थान देने के लिए तीनों सेनाओं और सीमा पर तैनात सुरक्षाबलो के लिए खुफिया और निगरानी के लिए प्लेटफॉर्म के विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने कहा, हमें भारतीय नौसेना की सेवा करने और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने पर गर्व है’।