आखिर कौन थे डॉ राम बक्स सिंह?

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आज हम आपको डॉ राम बक्स सिंह के बारे में जानकारी देने वाले हैं! यूपी में सीतापुर जिले से ताल्लुख रखने वाले राजेन्द्र सिंह ने अपने पिता डॉ. राम बक्स सिंह को भारत रत्न से नवाजने के लिए केंद्र सरकार से मांग कर दी है। राजेन्द्र सिंह ने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय डॉ. राम बक्स सिंह ने बायोगैस के जनक के रूप में वैश्विक मंच पर एक अमिट छाप छोड़ी है। राजेन्द्र सिंह ने दावे के साथ कहा कि अब तक भारत में बायोगैस और गोबर गैस पर जो भी काम हुआ है उसका श्रेय वैज्ञानिक स्व. डॉ. राम बक्श सिंह को ही जाता है। उन्होंने गोबर के अलावा वनस्पति आदि से भी बायोगैस और गोबर गैस की प्रौद्योगिकी, रासायनिक विधि का अविष्कार किया है, जिसने खाद बनाने की प्रक्रिया में Fermentation & Decomposition को गति दी।साथ ही एक मूल्यवान ज्वलनशील गैस का निर्माण भी किया। उन्होंने बताया कि डॉ. सिंह ने दो सौ से अधिक कम लागत वाले डाइजेस्टर विकसित किए हैं। जो पौधों और जानवरों के कचरे को खाद उर्वरक और ईंधन के लिए मीथेन में परिवर्तित करने के लिए डिजाइन किए थे। जिसे भारत समेत 15 से अधिक देशों में बायोगैस और गोबर गैस संयंत्र स्थापित किए गए थे।

यूपी के सीतापुर जिले के रहने वाले राजेन्द्र सिंह ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत करते हुए बताया कि उनके पिता डॉ. सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित वैज्ञानिक थे, जिन्होंने न केवल अपनी मातृभूमि में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि 26 सितंबर 2023 को केंद्र सरकार के अधीन भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने डॉ. राम बक्स सिंह के कार्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अमूल्य संग्रह का महत्वपूर्ण अधिग्रहण किया है।यह अधिग्रहण एक अग्रणी वैज्ञानिक के असाधारण योगदान का परिणाम है। यह उनकी विरासत को मजबूत करता है साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी है।डॉ. राम बक्स सिंह ने 1950 के दशक के दौरान साल 9 सितंबर 1957 को सीतापुर जिले के रामनगर में भारत का पहला गोबर गैस संयंत्र डिजाइन कर उसे स्थापित किया था। जिसका उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय सामुदायिक विकास मंत्री एस. के. डे और यूपी के तत्कालीन मुख्य सचिव गोविंद नारायण ने किया था।

इसके बाद साल 1960 में डॉ. सिंह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित एशिया के पहले “गोबर गैस रिसर्च स्टेशन” अजीतमल-इटावा में अनुसंधान और संचालन का काम किया। लगभग दो दशकों तक यूपी सरकार के अधीन केंद्र प्लानिंग रिसर्च एंड एक्शन डिवीजन में प्रभारी अधिकारी के रूप में काम किया है। उन्होंने 7 किताबें लिखी है। जिन्हें भारत, यूएस लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस वाशिंगटन डीसी. और अन्य देशों के राज्य व केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित है। उनकी किताब को बायोगैस की बाइबिल माना जाता है।इतना ही नहीं, डॉ. राम बक्स सिंह द्वारा किये गए अविष्कार, अनुसंधान, विकास कार्य और उनकी उपलब्धियों को यूएस. सीनेट ने यूएस. हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सीनेट में कार्यवाही के दौरान चर्चा का विषय भी रहा है। साथ ही विश्वविद्यालयों और दुनिया भर में कई अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक संस्थानों में उनके प्रौद्योगिकी को मान्यता भी दी गई है।

वहीं डॉ. राम बक्स सिंह को अपने 40 वर्षों के कार्यकाल में डेनमार्क, ईरान, जर्मनी, नेपाल, अमेरिका, सीलोन समेत 15 देशों में 1000 से अधिक बायोगैस और गोबर गैस सिस्टम का डिजाइन विकसित और स्थापित करने का अवसर भी मिला है। जून 1972 में संयुक्त राज्य अमेरिका में राल-जिम-फार्म, बेन्सन, वर्मोंट में पहला बायो गैस संयंत्र बनाया गया। जिसका उद्घाटन अलास्का के सीनेटर माइक ग्रेवल ने किया था। वहीं बायोगैस और गोबर गैस की दिशा में किए गए शोध को देखते हुए स्व. डॉ. राम बक्स सिंह ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 3 बार बायोगैस सलाहकार के रूप में प्रतिनिधित्व किया।

डॉ. राम बक्स सिंह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म साल 1925 में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 18 सितंबर 2016 को लखनऊ में अंतिम सांस ली थी। डॉ. सिंह ने 1963 में दिल्ली के एशिया इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था। इसके बाद 1979 में कैलिफोर्निया की पेसिफिक वेस्टर्न यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इतना ही नहीं, अक्षय-उर्जा में लगातार शोध एवं कार्य में योगदान के लिए डॉ. राम बक्स सिंह को पेसिफिक वेस्टर यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया द्वारा मास्टर ऑफ एप्लाइड साइंस एवं डॉक्टर ऑफ टेक्नोलॉजिकल फिलॉसफी की मानद उपाधि भी प्रदान की गई थी।

डॉ. राम बक्स सिंह के बेटे राजेन्द्र सिंह ने पिता को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए भारत रत्न की मांग करते हुए कहा कि जब हमारा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐसे में मां भारती के लाल महान वैज्ञानिक स्व. डॉ. राम बक्श सिंह को राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करके हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि आज जब समूचा विश्व स्वच्छ उर्जा ग्रीन एनर्जी अथवा गैर परंपरागत उर्जा के उत्सर्जन और उपयोग व इसके स्रोत पर हर अंतरराष्ट्रीय मंचों में इस विषय को गंभीरता से ले रहा है। इतना ही नहीं भारत सरकार भी इस दिशा में तेज़ी के साथ काम कर रही है। सीतापुर के मूल निवासी राजेन्द्र सिंह ने बताया कि हाल ही में जर्मनी में हुए G7 बैठक में ग्रीन एनर्जी एलाइंस एवं जीरो कार्बन एमिशन & G21 मीटिंग इन दिल्ली की महत्ता को भारत के प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच पर उल्लेखित किया था। ऐसे में स्व. राम बक्स सिंह जिन्होंने अपनी ऊर्जा और सारा समय देश हित में गैर-परंपरागत ऊर्जा बायोगैस और गोबर गैस के शोधकर्ता के रूप में समर्पित किया है। अमेरिकी सरकार द्वारा प्रदत्त यूएस ग्रीन कार्ड के बावजूद उन्होंने भारत में रहने का निर्णय लिया और यहां रहकर ग्रामीण भारत की ऊर्जा उपयोगिता में आत्मनिर्भरता और ग्रामीण भारत के सतत विकास का काम लगातार करते रहे।