यह सवाल उठना लाजिमी है की बिलकिस बानो के आरोपियों को जेल वापस कब भेजा जाएगा! बिलकिस बानो रेप और उनके परिजनों की हत्या मामले में दोषियों को सरेंडर करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तीन दोषियों ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि उन्हें सरेंडर करने के लिए वक्त दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। इन दोषियों ने समय की मांग करते हुए अलग अलग कारण बताए हैं। दोषियों में एक गोविंदभाई नाई ने अर्जी में सरेंडर के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा है और कहा है कि वह अपने 88 साल के पिता और 75 साल की मां की देखभाल कर रहा है। उसने कहा है कि वह अकेला ही है जो अपने पैरेंट्स की देखभाल करता है। उसकी खुद की उम्र 55 साल है और वह खुद अस्थमा से पीड़ित है। दूसरे दोषी रमेश रूपाभाई ने छह हफ्ते का वक्त मांगा है और कहा है कि उसके बेटे की शादी है और उन्हें पारिवारिक दायित्व के निर्वाह के लिए समय चाहिए ऐसे में उसे सरेंडर के लिए और वक्त दिया जाए। वहीं मिथेश चिमालाल भट्ट ने छह हफ्ते का वक्त मांगते हुए कहा है कि खेती का सीजन है और उन्हें खेती का काम पूरा करने के लिएऔर वक्त दिया जाए ताकि सरेंडर कर सके। रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले में चीफ जस्टिस को अवगत कराएं ताकि सुनवाई के लिए बेंच का गठन हो सके और मामले की सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से भी यह मामला उठाया गया तब बेंच ने कहा कि सभी की सुनवाई साथ होगी।वहीं बिपिनचंद कन्हैयालाल जोशी और प्रदीप रमण लाल मोधिया ने सर्जरी कराए जाने और खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया और कहा कि उन्हें सरेंडर के लिए वक्त दिया जाए।
सीनियर एडवोकेट वी चिदंबरेश तीन दोषियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच में सरेंडर के लिए और वक्त दिए जाने की मांग संबंधित अर्जी दाखिल किए जाने की बात कही और कहा कि मामले में जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरेंडर करने के लिए रविवार 21 जनवरी तक का वक्त दिया गया है ऐसे में उनकी अर्जी पर जल्द सुनवाई की दरकार है। जस्टिस नागरत्ना की बेंच ने कहा कि मामले में फैसला उन्होंने और जस्टिस यू भुइयां ने दिया था और ऐसे में इस बेंच का गठन होगा जो इस मामले में आवेदन पर सुनवाई कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले में चीफ जस्टिस को अवगत कराएं ताकि सुनवाई के लिए बेंच का गठन हो सके और मामले की सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से भी यह मामला उठाया गया तब बेंच ने कहा कि सभी की सुनवाई साथ होगी।
गौरतलब है कि 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में गुजरात सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें राज्य सरकार ने गुजरात में हुए 2002 के दंगे के दौरान बिलकिस बानो के साथ हुए गैंग रेप व उसके परिजनों की हत्या में उम्रकैद की सजा काटने वाले दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने 11 दोषियों की सजा में छूट देकर उसे रिहा करने का आदेश दिया था। इस फैसले को बिलकिस बानो की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।उसकी खुद की उम्र 55 साल है और वह खुद अस्थमा से पीड़ित है। दूसरे दोषी रमेश रूपाभाई ने छह हफ्ते का वक्त मांगा है और कहा है कि उसके बेटे की शादी है और उन्हें पारिवारिक दायित्व के निर्वाह के लिए समय चाहिए ऐसे में उसे सरेंडर के लिए और वक्त दिया जाए। वहीं मिथेश चिमालाल भट्ट ने छह हफ्ते का वक्त मांगते हुए कहा है कि खेती का सीजन है और उन्हें खेती का काम पूरा करने के लिएऔर वक्त दिया जाए ताकि सरेंडर कर सके। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागत्ना की अगुवाई वाली बेंच ने दोषियों को दो हफ्ते के भीतर जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के फैसले को खारिज करते हुए कहा था कि यह आदेश घिसापीटा था और इसे बिना सोचे समझे पारित किया गया था।