मिशन 2024 के लिए पीएम मोदी ने नीव रख दी है! राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के तीन दिन बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव अभियान का आगाज कर दिया है। सड़क, रेल, तेल सहित करोड़ों की योजनाओं की सौगात देते हुए प्रधानमंत्री ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को याद करते हुए भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कल्याण सिंह के राम मंदिर आंदोलन में दिए गए योगदान को याद किया और कहा कि आज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद आज वो जहां हैं अयोध्या धाम को देखकर आनंदित हो रहे होंगे। उन्होंने बुलंदशहर की जनता से कहा कि अयोध्या में मैंने कहा था कि प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हुआ अब राष्ट्र प्रतिष्ठा का काम करना है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का निर्माण यूपी के तेज विकास के बिना संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश को ताकतवर बनाना है। मैं तोा यूपी का सांसद हूं और मेरी ये विशेष जिम्मेदारी है। बुलंदशहर में प्रधानमंत्री की रैली के कई सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं। इसमें राम का नाम, पौष पूर्णिमा और लकी शहर का सबसे ज्यादा जिक्र हो रहा है। आज पौष पूर्णिमा पर देश भर में लोग आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। हिंदू मान्यता में इस दिन का काफी महत्व है। आज से ही स्नान पर्व की शुरुआत भी होती है जो शिवरात्रि तक चलते हैं। जाहिर है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद से ये दिन और भी खास हो गया है। इसी माहौल में प्रधानमंत्री ने पश्चिम उत्तर प्रदेश से भाजपा के चुनाव अभियान की शुरुआत की।
दूसरा पहलू ये है कि ये वही जिला है, जहां से 10 साल पहले 2014 में नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी और पश्चिम उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर कमल खिला था। पहली बार देश ने मोदी लहर का एहसास किया था और भारतीय जनता पार्टी देश की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन 2019 में प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार अभियान के आगाज के लिए सहारनपुर जिला चुना। सरकार तो उस साल भी बन गई लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा को कई सीटों का नुकसान हो गया। इसमें भी खास बात ये थी कि पश्चिम उत्तर प्रदेश, जिस भारतीय जनता पार्टी हमेशा से अपना सबसे मजबूत किला मानती रही है, वहां की 7 सीटों पर पार्टी को हार का सामना पड़ गया।
2014 के चुनाव पर नजर डालें तो भाजपा ने पूरे प्रदेश में 73 सीटें जीती थीं। लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा को सपा-बसपा गठबंधन ने नुकसान पहुंचाया और कुल 16 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। बसपा ने 10 और सपा ने 5 व कांग्रेस ने एक सीट अपने नाम की। इनमें 7 सीटें पश्चिम उत्तर प्रदेश की थीं। उपचुनाव में भाजपा ने रामपुर की सीट जरूर सपा से छीन ली लेकिन अभी भी सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, नगीना, संभल ऐसी सीटें हैं, जहां जीत हासिल करना भाजपा के लिए चुनौती है। राजनीतिक जानकारों में चर्चा है कि सहारनपुर की बजाए पीएम मोदी का फिर से बुलंदशहर की तरफ रुख करना कहीं न कहीं ‘टोटके’ से जोड़ा जा रहा है। 22 जनवरी को जब पीएम नरेंद्र मोदी अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कर रहे थे, तब विपक्ष के अधिकतर नेता खामोश थे। इंडिया गठबंधन के तीन नेता इस धार्मिक उत्सव के मौके पर एक्टिव दिखे। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ सुंदरकांड का पाठ किया। ममता बनर्जी कोलकाता में सभी धर्मगुरुओं के साथ सद्भाव यात्रा निकाली। उद्धव ठाकरे नासिक के उस राम मंदिर में गए, जहां पीएम मोदी अपने 11 दिवसीय व्रत के शुरुआत में पहुंचे थे। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी असम में न्याय यात्रा पर थे। शंकरदेव मंदिर में एंट्री नहीं मिलने पर वह हैबोरगांव में धरने पर बैठे रहे। अखिलेश यादव, नीतीश कुमार, लालू यादव और शरद पवार जैसे दिग्गजों ने क्या किया, इसकी डिटेल मीडिया में नहीं आई। एक्सपर्ट मानते हैं कि राम मंदिर जैसे आयोजनों से दूरी बनाकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने चुनाव से पहले बड़ी चूक कर दी है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल है। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, टीडीपी प्रमुख एन. चंद्राबाबू नायडू और जनसेना के नेता पवन कल्याण समेत आए फिल्मी सितारे, क्रिकेटर समेत तमाम सेलिब्रेटी मौजूद रहे। अनिल अंबानी, मुकेश अंबानी, अमिताभ बच्चन, रजनीकांत समेत सभी फिल्म स्टार घंटों राम मंदिर प्रांगण में बैठे रहे, जबकि ये सारे अपने-अपने क्षेत्रों में व्यस्त माने जाते हैं। आम दिनों में इनकी झलक के लिए लोग तरस जाते हैं। मीडिया से बातचीत में इन सेलिब्रेटिज इसे सौभाग्य का अवसर माना। ऐसे में विपक्षी दलों की नेताओं की गैरमौजूदगी पर भी खूब चर्चा हुई। लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी राम मंदिर का क्रेडिट लेगी तो विपक्ष की गैरहाजिरी को मुद्दा बनाएगी, यह भी तय है।


