क्या तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन पाएगा भारत?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या भारत अब तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन पाएगा या नहीं! भारत ने अपने सामने बड़े लक्ष्‍य रख दिए हैं। उन्‍हें पाने के लिए वह पूरी ताकत से दौड़ लगा रहा है। तमाम अनुमान भी संकेत देते हैं कि भारत नहीं रुकने वाला है। तीन साल में वह 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा। 2030 तक उसकी अर्थव्‍यवस्‍था का आकार 7 ट्रिलियन डॉलर हो जाने के आसार हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बनने को तैयार है। इसके उलट चीन लड़खड़ाता दिख रहा है। ग्‍लोबल जीडीपी में उसकी हिस्‍सेदारी घट गई है। जानकारों का मानना है कि चीन की अर्थव्‍यवस्‍था में जो गिरावट शुरू हुई है उसमें वापसी की गुंजाइश कम ही है। इसके पीछे कई तरह की वजह हैं। इनमें वर्किंग पॉपुलेशन का कम होना सबसे बड़ा कारण है। उधर, चीन की आक्रामकता भी कई देशों को अखर रही है। यूरोप और अमेरिका सहित कई देशों में चीन विरोधी लहर है। अब इन सबके बीच एक बड़ा सवाल है। वह यह है कि क्‍या भारत इस मौके का फायदा उठा सकता है? अभी उसे क्‍या करने की जरूरत है? ग्‍लोबल जीडीपी में चीन की हिस्‍सेदारी 1990 में 2 फीसदी हुआ करती थी। 2021 तक यह बढ़कर करीब 18.4 फीसदी पर पहुंच गई। इसके पीछे उसकी तमाम आर्थिक नीतियां रहीं। हालांकि, अब ग्‍लोबल जीडीपी में चीन की हिस्‍सेदारी फिर घटने लगी है। यह घटकर 17 फीसदी रह गई है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह ड्रैगन की कामकाजी आबादी की हिस्‍सेदारी घटना है। यह एक दशक से घट ही रही है। यह घटकर करीब 19 फीसदी रह गई है। अगले तीन दशकों में इसके घटकर 10 फीसदी रह जाने के आसार हैं। यानी चीन की सुस्‍ती स्‍थायी दिखती है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो अर्थव्‍यवस्‍था के दोबारा तेजी से भागने के आसार कम ही हैं।

इसके उलट भारत की तस्‍वीर सुनहरी दिख रही है। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष आईएमएफ ने 2024-25 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमानों में बदलाव किया है। आईएमएफ ने इसे बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था 2024-25 में भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहने की उम्मीद है। भारत के पास न तो टैलेंट की कमी है। न उसके पास काम करने वाले युवा हाथों की किल्‍लत है। भारत तेजी से एक बड़ी डिजिटल इकनॉमी बन रहा है। निर्माण जैसे क्षेत्रों में बढ़ोतरी से रोजगार के मौके भी बढ़ने के आसार हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से हाल में जारी रिपोर्ट में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की सुनहरी तस्‍वीर दिखाई गई है। यह रिपोर्ट कहती है कि तीन साल में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। 2030 तक इसके 7 ट्रिलियन डॉलर हो जाने की उम्‍मीद है। पिछले 10 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था 7.4 फीसदी की औसत रफ्तार से बढ़ी है। भारत अभी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसके सामने तीन सबसे बड़े खतरे वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और महंगाई के हैं। हालांकि, भारत को भरोसा है कि वह इन चुनौतियों से निपट लेगा।

ग्‍लोबल इकनॉमी में चीन का घटता कॉन्ट्रिब्‍यूशन उभरते बाजारों के लिए मौके तैयार करेगा। सच तो यह है पिछले साल भारत, इंडोनेशिया, मेक्सिको और ब्राजील का ग्‍लोबल अर्थव्‍यवस्‍था में हिस्‍सा बढ़ा है। यानी फायदा मिलना तय है। लेकिन, अभी कई ऐसी चीजें हैं जिन्‍हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। चीन को अभी कुछ सालों में भारत रिप्‍लेस नहीं कर पाएगा। ऐसे में उसे धीरे-धीरे मजबूत कदम बढ़ाने होंगे। सबसे पहले तो उसे अपनी क्षमता का विस्‍तार करना होगा। इसके लिए देश के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर सेक्‍टर में बड़े निवेश की जरूरत होगी। सरकार के साथ इसमें निजी सेक्टर को भी उतरना होगा। दूसरा, उसे दुनिया के झंझावातों से दूरी बनाकर अपने हितों को देखना होगा। पॉलिसी लेवल पर कोई भी गलत कदम उसे अपने लक्ष्‍य से बहुत दूर पहुंचा देगा। तीसरा, उसे अपनी वर्किंग पॉपुलेशन को पूरी तरह से इस्‍तेमाल करने का बंदोबस्‍त करना होगा। सरकार को सुनिश्चित करना होगा एक भी युवा बिना काम और रोजगार के नहीं रहे। वर्किंग पॉपुलेशन किसी भी अर्थव्‍यवस्‍था की पूंजी होती है। भारत अभी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसके सामने तीन सबसे बड़े खतरे वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और महंगाई के हैं। हालांकि, भारत को भरोसा है कि वह इन चुनौतियों से निपट लेगा।इस पूंजी को ज्‍यादा से ज्‍यादा इस्‍तेमाल करना होगा। युवा आबादी, बढ़ता मध्‍यम वर्ग, डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था, सर्विस सेक्‍टर, स्‍टार्टअप इकोसिस्‍टम, व‍िदेशी न‍िवेश, सरकार की ‘ईज ऑफ डूइंग’ की पॉल‍िसी और मजबूत बैंकिंग प्रणाली भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की बड़ी ताकत हैं।