सरकार अब भारत की जनसंख्या को नियंत्रित कर सकती है! सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण और डेमोग्राफिक चेंज के आकलन के लिए एक कमिटी के गठन करने का प्रस्ताव किया है। इस कमिटी के पास उच्च अधिकार होंगे। कमिटी सरकार को इस स्थिति से निटपने के लिए अपनी अनुशंसा भी देगी। वित्त मंत्री निर्मला ने कहा कि सरकार जनसंख्या वृद्धि और डेमोग्राफिक चेंज से पैदा होने वाली चुनौतियों के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सामाजिक बदलावों को ध्यान में रखते हुए सरकार ये प्रस्ताव कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए ये समिति अपनी अनुशंसा देगी। गौरतलब है कि देश की आबादी इस वक्त 140 करोड़ से ज्यादा है। भारत आबादी के मामले में दुनिया में नंबर वन पर पहुंच चुका है। भारत ने पिछले साल आबादी के मामले में चीन को पछाड़कर नंबर वन बना है। जनसंख्या वृद्धि भारत के लिए आने वाले वक्त में एक मुश्किल समस्या बन सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक समिति का गठन किया है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में डेमोग्राफी चेंज का भी जिक्र किया है। यानी आबादी का असंतुलन। माना जा रहा है कि सरकार ने इसके जरिए दो अहम चीजों की तरफ अपना ध्यान लगाया है। हाल के दिनों में बढ़ती जनसंख्या पर रोक की बात जोरशोर से उठती रही है।चीन में 9.02 मिलियन शिशुओं का जन्म हुआ, जबकि 2022 में 9.56 मिलियन बच्चों का जन्म हुआ था। चीन में काम करने वालों लोगों की उम्र यानी 16 से 59 आयु वर्ग के लोग 2022 के मुकाबले 10.75 मिलियन कम हो गए जबकि 60 से ऊपर के बुजुर्गों की संख्या 2022 से 16.93 मिलियन बढ़ गई। सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष भी इसके लिए सुर में सुर मिलता रहा है।
बता दे कि चीन की जनसंख्या 2023 में लगातार दूसरे साल कम हुई है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो एनबीएस ने बुधवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि 2023 में देश की जनसंख्या गिरकर 1.409 बिलियन हो गई है। ये बीते साल यानी 2022 में 1.4118 बिलियन थी। एक साल में चीन की आबादी करीब 27 लाख घटी है। अर्थव्यवस्था में गिरावट से जूझ रहे चीन में घटती आबादी से जनसांख्यिकीय चुनौतियां गहरा रही हैं, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी। चीन की जन्म दर प्रति 1,000 लोगों पर 6.39 जन्मों के साथ रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई, जो एक साल पहले 6.77 से कम थी, जो 1949 के बाद से सबसे निचला स्तर था। 2023 में चीन में 9.02 मिलियन शिशुओं का जन्म हुआ, जबकि 2022 में 9.56 मिलियन बच्चों का जन्म हुआ था। चीन में काम करने वालों लोगों की उम्र यानी 16 से 59 आयु वर्ग के लोग 2022 के मुकाबले 10.75 मिलियन कम हो गए जबकि 60 से ऊपर के बुजुर्गों की संख्या 2022 से 16.93 मिलियन बढ़ गई।
चीन में जन्म दर में बीते काफी सालों से लगातार गिर रही है, जिसका मुख्य कारण एक बच्चे की पॉलिसी और तेजी से हुआ शहरीकरण है। चीन ने बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए साल 1980 वन चाइल्ड पॉलिस लागू की थी, तब बढ़ती आबादी देश के विकास में बाधा बन रही थी। अब घटती आबादी चीन के लिए मुश्किल पैदा कर रही है। अर्थव्यवस्था में गिरावट बढ़ती बेरोजगारी लोगो बच्चे पैदा करने से हतोत्साहित कर रहे हैं। बच्चे पैदा होने के बाद बढ़े वाले खर्च की वजह से लोग इससे भाग रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि लगातार घटती जन्म दर देश के आर्थिक विकास के लिए खतरा साबित हो सकती है। चीन में जनसंख्या दर 2016 से ही कम हो रही है। गौरतलब है कि देश की आबादी इस वक्त 140 करोड़ से ज्यादा है। भारत आबादी के मामले में दुनिया में नंबर वन पर पहुंच चुका है। भारत ने पिछले साल आबादी के मामले में चीन को पछाड़कर नंबर वन बना है। जनसंख्या वृद्धि भारत के लिए आने वाले वक्त में एक मुश्किल समस्या बन सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक समिति का गठन किया है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में डेमोग्राफी चेंज का भी जिक्र किया है। यानी आबादी का असंतुलन।बीते कुछ समय में चीन में बड़े परिवार के लिए प्रोत्साहित भी किया गया है लेकिन इसका जमीन पर असर होता नहीं दिखा है। चीन में आबादी घटने का क्रम जारी रहा तो देश बूढ़ा हो जाएगा और काम करने वाले लोग घट जाएंगे। इससे चीन की इकोनॉमी पर बड़ा संकट आ जाएगा।