आज हम आपको आर्मी के लिए आवंटित बजट के बारे में जानकारी देने वाले हैं! सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी तकनीक पर लगातार जोर दे रही है। इस बार तो डीप-टेक के लिए नई स्कीम का भी ऐलान किया गया है। लेकिन लगातार दो सालों से उस फंड का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है जो स्वदेशी कंपनियों को प्रोटाइप विकसित करने में मदद देने के लिए बनाया गया है। पिछले बार की तरह ही इस बार भी आर्मी के लिए दिए इस फंड का महज एक पर्सेंट ही खर्च हो पाया। लगातार दो बार से यही स्थिति रही है और अब इस बार आर्मी के लिए यह फंड घटाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि पिछली बार इस मद में 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। एयरफोर्स के लिए भी यह फंड है। जिसका इस्तेमाल भी कम हो पाया। हालांकि यह आर्मी से थोड़ा बेहतर है। एयरफोर्स के लिए दिए गए फंड का करीब 30 पर्सेंट खर्च हो पाया। इस बार एयरफोर्स के लिए इस फंड में थोड़ी बढ़ोतरी भी की गई है। रक्षा मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक ये टेक्नॉलजी डिवेलपमेंट फंड खासकर नए स्टार्टअप, एमएसएमई और अकेडमिया को ध्यान में रखकर बनाया गया ताकि डिफेंस में डीआरडीओ के साथ मिलकर टेक्नॉलजी इनोवेशन के लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जा सके।
पिछले साल आर्मी के लिए टेक्नॉलजी डिवेलपमेंट फंड 100 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। यह उन स्वदेशी कंपनी या स्टार्टअप या युवाओं को मिलता जो आर्मी की जरूरत के हिसाब से कोई वेपन या उपकरण तैयार कर रहे हैं और उन्हें उसका प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए आर्थिक मदद दी जाती। लेकिन यह 100 करोड़ रुपये का बजट संशोधित बजट में 1 करोड़ रुपये हो गया। ऐसा तब होता है, जब फंड दिया जाता है और करीब आधा साल गुजरने के बाद भी उस दिशा में कोई प्लानिंग ना हुई हो और बजट का इस्तेमाल ना किया गया हो। ऐसा ही पिछली बार भी हुआ था। पिछले बार एयरफोर्स प्रोजेक्ट्स के लिए 1131 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था लेकिन ये भी संशोधित बजट में घटकर 388 करोड़ रह गया। इस बार एयरफोर्स प्रोजेक्ट्स के लिए टेक्नॉलजी डिवेलपमेंट फंड में 1697 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिफेंस पर कहा कि नई डीप-टेक टेक्नोलॉजी को लाया जाएगा। आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाएंगे। एयरफोर्स के लिए भी यह फंड है। जिसका इस्तेमाल भी कम हो पाया। हालांकि यह आर्मी से थोड़ा बेहतर है। एयरफोर्स के लिए दिए गए फंड का करीब 30 पर्सेंट खर्च हो पाया। इस बार एयरफोर्स के लिए इस फंड में थोड़ी बढ़ोतरी भी की गई है। रक्षा मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक ये टेक्नॉलजी डिवेलपमेंट फंड खासकर नए स्टार्टअप, एमएसएमई और अकेडमिया को ध्यान में रखकर बनाया गया ताकि डिफेंस में डीआरडीओ के साथ मिलकर टेक्नॉलजी इनोवेशन के लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जा सके।डीप टेक टेक्नोलॉजी यानी क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई, रोबोटिक्स, ग्रीन एनर्जी, एडवांस्ड कंप्यूटिंग और एयरोस्पेस जैसे उद्योग शामिल हैं। देश की रक्षा के क्षेत्र में अब निजी कंपनियों को ज्यादा मौके मिलने वाले हैं। सरकार की योजना देश को ज्यादा ताकतवर बनाने की है। रक्षा मंत्रालय ने अपनी साल के अंत की समीक्षा में कहा था कि रक्षा अधिग्रहण परिषद डीएसी ने 2023 में भारत के सशस्त्र बलों की शक्ति को बढ़ाने के लिए 3.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। इसके अलावा, डीएसी ने फ्रांसीसी रक्षा प्रमुख डसॉल्ट एविएशन से भारतीय नौसेना के लिए संबंधित उपकरण, हथियार, सिम्युलेटर और स्पेयर सहित 26 राफेल समुद्री विमानों के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी। FY22 में रक्षा व्यय पर लगभग 5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अक्टूबर 2023 में कहा था कि साल 2047 तक जब हम आजादी के 100 साल मनाएंगे, तब एक विकसित देश बनने के लिए भारत को आधुनिक उपकरणों के साथ मजबूत सशस्त्र बलों की जरूरत है। अगर हम एक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं,डीएसी ने 2023 में भारत के सशस्त्र बलों की शक्ति को बढ़ाने के लिए 3.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। इसके अलावा, डीएसी ने फ्रांसीसी रक्षा प्रमुख डसॉल्ट एविएशन से भारतीय नौसेना के लिए संबंधित उपकरण, हथियार, सिम्युलेटर और स्पेयर सहित 26 राफेल समुद्री विमानों के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी। FY22 में रक्षा व्यय पर लगभग 5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। तो हमें आधुनिक हथियारों और उपकरणों के साथ मजबूत सशस्त्र बलों की जरूरत पड़ेगी। अभी दुनिया में चौथी सबसे ताकतवर मिलिट्री भारत के पास है। भारत इस मामले में जापान और इंग्लैंड जैसे विकसित देशों से आगे है। चीन तीसरी सबसे बड़ी मिलिट्री ताकत है।