दही खाने से भी बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है! दही हमारी सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक है। आयुर्वेद में दही के गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके सेवन से पाचन में सुधार होता है और हड्डियों को मजबूती मिलती है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि किसी भी शुभ काम से पहले दही चीनी का सेवन करने से वो काम अच्छे से संपन्न होता है। आज भी कई घरों में लोग घर से बाहर निकलने से पहले दही-चीनी खाकर निकलते हैं। दही को लेकर अधिकांश लोगों को यह भ्रम रहता है कि तासीर ठंडी होने की वजह से दही के सेवन से खांसी या जुकाम बढ़ सकता है। वास्तविकता में देखा जाए ऐसा कुछ भी नहीं है बशर्ते आप फ्रिज में रखी ठंडी दही का सेवन ना कर रहे हों। आयुर्वेद के अनुसार दही भारी, चिकनाई युक्त, कफ और पाचन शक्ति बढ़ाने वाला होता है। दही को बहुत ही पौष्टिक आहार माना गया है। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सबके लिए दही का सेवन फायदेमंद है। दही में भरपूर मात्रा में विटामिन, कैल्शियम और प्रोटीन पाया जाता है। अगर आप खाने के साथ में दही खाते हैं तो इससे खाना आसानी से पच जाता है।
रोजाना दही का सेवन करने से पाचन तंत्र सही रहता है और पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव होता है। पाचन तंत्र दुरुस्त करने के अलावा दही खाने के और भी कई फायदे हैं। आइये उनमें से प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं। दही की तासीर ठंडी होती है। इसमें लाभदायक बैक्टीरिया बहुत अधिक संख्या में होते हैं। जिस वजह से यह पेट से जुड़े रोगों में बहुत जल्दी फायदा पहुंचाती है। पेट से जुड़े किसी भी तरह के संक्रमण में दही का सेवन करना लाभकारी माना जाता है। सर्दी होने पर बुखार होना आम बात है। हालांकि सर्दी होने पर अधिकांश लोग दही का सेवन नहीं करते हैं लेकिन आपको बता दें कि दही के सेवन से सर्दी वाले बुखार में आराम मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार सामान्यतया रात में दही का सेवन नहीं करना चाहिए। दही का सेवन करते समय इसमें घी, शहद, चीनी, मूंग की दाल, आंवला चूर्ण या लवण भास्कर चूर्ण आदि में से कुछ ना कुछ ज़रूर मिला देना चाहिए। इन पदार्थों को बिना मिलाये दही का सेवन नहीं करना चाहिए। दही को आग या धूप आदि में गर्म करके नहीं खाना चाहिए, दही में कफ और पित्त को बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इसीलिए गर्मी, बसंत और शरद ऋतु में दही खाने से मना किया गया है। मानसून, हेमंत और शिशिर ऋतु में दही का सेवन अच्छा माना गया है। दही सेहत के लिए फायदेमंद तो है लेकिन कुछ ख़ास चीजों के साथ अगर आप दही का सेवन करते हैं तो इससे आपको सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। आयुर्वेद में ऐसे आहारों को विरूद्ध आहार कहा गया है। आइये दही के विरुद्ध संयोगो के बारे में जानते हैं।
दही की मलाई भी सेहत के लिए काफी गुणकारी होती है। इसके सेवन से शरीर को ताकत मिलती है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता बढ़ती है। इसके अलावा दही की मलाई का सेवन खूनी बवासीर में भी लाभकारक है। आयुर्वेद के अनुसार दही के पानी में लघु, पाचन-शक्ति बढ़ाने वाले , कब्ज दूर करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा यह पानी वात का अनुलोमक, स्रोतों को शुद्ध करने वाला और मल-पदार्थों का अनुलोमन करने वाला है। दही के पानी का नियमित सेवन शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। दही की मलाई भी सेहत के लिए काफी गुणकारी होती है। इसके सेवन से शरीर को ताकत मिलती है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता बढ़ती है। इसके अलावा दही की मलाई का सेवन खूनी बवासीर में भी लाभकारक है।
आयुर्वेद के अनुसार दही के पानी में लघु, पाचन-शक्ति बढ़ाने वाले , कब्ज दूर करने वाले गुण होते हैं।इसमें लाभदायक बैक्टीरिया बहुत अधिक संख्या में होते हैं। जिस वजह से यह पेट से जुड़े रोगों में बहुत जल्दी फायदा पहुंचाती है। पेट से जुड़े किसी भी तरह के संक्रमण में दही का सेवन करना लाभकारी माना जाता है। सर्दी होने पर बुखार होना आम बात है। हालांकि सर्दी होने पर अधिकांश लोग दही का सेवन नहीं करते हैं लेकिन आपको बता दें कि दही के सेवन से सर्दी वाले बुखार में आराम मिलता है। इसके अलावा यह पानी वात का अनुलोमक, स्रोतों को शुद्ध करने वाला और मल-पदार्थों का अनुलोमन करने वाला है। दही के पानी का नियमित सेवन शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।