यह सवाल उसने लाजमी है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी किन-किन दिग्गजों को उतारेगी! उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरमाने लगी है। विपक्षी गठबंधन की ओर से सीट शेयरिंग फार्मूला तय कर लिया गया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन का ऐलान करते हुए सीटों का निर्धारण कर लिया है। अब भारतीय जनता पार्टी भी अपने सहयोगियों के साथ सीटों के बंटवारे की प्रक्रिया पर आगे बढ़ती दिख रही है। देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी गठबंधन का ऐलान कर सकती है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को प्रदेश में एनडीए का फाइनल पिक्चर सामने आ सकता है। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) के साथ चुनावी मैदान में उतार रही है। भाजपा इस चुनाव में सहयोगी दलों को गठबंधन के तहत 6 सीटें देने की योजना तैयार की है। वहीं, पार्टी खुद 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर सकती है। एनडीए के सहयोगियों में राष्ट्रीय लोक दल और अपना दल एस को दो-दो सीटें दी जा सकती है। वहीं, निषाद पार्टी और सुभासपा को एक- एक सीट मिल सकती है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के रालोद को चार से छह सीटें दिए जाने की चर्चा चल रही थी। अखिलेश यादव की ओर से गठबंधन का ऐलान भी किया गया था। लेकिन, पूर्व प्रधानमंत्री और महान किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा के बाद रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी पलट गए। वे एनडीए के पाले में चले गए। वहीं, पिछले दिनों सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की ओर से तीन सीटों पर दावा किया गया था।
पिछले दो लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत दो- दो लोकसभा सीटों पर संतोष करने वाली अपना दल एस की भी कोशिश इस बार सीट बढ़ाने की थी। इसको लेकर दबाव बनाया गया, लेकिन अब कोई दबाव काम आता नहीं दिख रहा है। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के एनडीए और ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान के भाजपा में वापसी के बाद दावा किया जा रहा था कि पार्टी बहुत मजबूत हुई है। हालांकि, घोसी विधानसभा उप चुनाव परिणाम के बाद सुभासपा की स्थिति कमजोर हुई है। घोसी से दारा सिंह चौहान हारे थे। यूपी की घोसी लोकसभा सीट पर वर्ष 2019 में सपा- बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अतुल राय को जीत मिली थी। इसे सपा और बसपा के गढ़ के रूप में देखा जाता है। बसपा को पिछली बार जीत मिली। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी घोसी सीट पर सहयोगी दल निषाद पार्टी को दे सकती है। निषाद पार्टी की ओर से लगातार दो सीटों की मांग की जा रही है। हालांकि, भाजपा उन्हें इस सीट के जरिए मना सकती है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को भाजपा ने सांसद बनाया हुआ है।
गाजीपुर लोकसभा सीट पर वर्ष 2019 में सपा- बसपा गठबंधन के उम्मीदवार और बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को उतारा गया था। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को मात दी थी। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर इस सीट पर लगातार दावा कर रहे हैं। ऐसे एनडीए इस सीट पर सुभासपा के कैंडिडेट दे सकती है। वहीं, सुभासपा अध्यक्ष के योगी सरकार में मंत्री बनाए जाने की चर्चा तेज हो गई है। इस प्रकार पार्टी इस सीट के सहारे उन्हें साध सकती है। अपना दल एस अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव से वह मिर्जापुर से चुनावी मैदान में उतरती रही हैं। ऐसे में मिर्जापुर पर उनकी दावेदारी स्वाभाविक है। भाजपा भी इसमें छेड़छाड़ नहीं करना चाहेगी। अपना दल एस अध्यक्ष एक बार फिर बड़ी जीत दर्ज करती दिख सकती है।
अपना दल एस ने रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर वर्ष 2019 में जीत दर्ज की थी। यहां से पकौड़ी लाल सांसद बने थे। हालांकि, पिछले दिनों उनका निधन हो गया। माना जा रहा है कि भाजपा यहां से अपना उम्मीदवार उतार सकती है। दरअसल, पिछले दिनों पार्टी के सर्वे में यहां अपना दल एस की स्थिति कमजोर आंकी गई थी। इस प्रकार की स्थिति में गठबंधन के तहत पार्टी अपना दल एस को प्रतापगढ़ सीट ऑफर कर सकती है। प्रतापगढ़ पर अभी भाजपा सांसद हैं। संभल लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है। यहां से डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क वर्ष 2019 में सांसद बने थे। पिछले दिनों उनका निधन हो गया। सपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव 2024 का उम्मीदवार घोषित किया हुआ था। मुस्लिम बहुल इस सीट को भाजपा गठबंधन के तहत रालोद को दे सकती है। यहां से जयंत चौधरी एक जिताऊ उम्मीदवार खड़ी कर सपा को कड़ी टक्कर देने की कोशिश में है।
बागपत लोकसभा सीट को राष्ट्रीय लोक दल के गढ़ के रूप में माना जाता रहा है। हालांकि, यहां से पार्टी पिछले वर्षों में चुनाव हारती रही है। 2019 में भी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को भाजपा के डॉ. सत्यपाल सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा है कि इस बार गठबंधन के तहत यह सीट रालोद के पाले में जा सकती है। हालांकि, मथुरा और मुरादाबाद को लेकर भी इस प्रकार के दावे किए जा रहे हैं।