आज हम आपको राज कपूर के फिल्मों में गाना रखने का रहस्य बताने जा रहे हैं! बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर और फिल्ममेकर राज कपूर। जिनका जिक्र होते ही उनके काम, उनके गाने और उनकी तस्वीर, या यूं कहें उनसे जुड़ी हर चीज आंखों के सामने बाइस्कोप की फिल्मों की तरह घूमने लगती है। उन्होंने ही सिनेमा की परिभाषा दी। उन्होंने ही मनोरंजन जगत को एक नया आयाम दिया। आज भी लोग उन्हें और उनके काम को याद करते हैं। उनका उदाहरण देते हैं। उनकी फिल्मों के गानों को आज भी कोई कलाकार टक्कर नहीं दे सका है। मगर क्या आप उनके एवरग्रीन गानों का किन्नरों संग कनेक्शन जानते हैं? आइए बताते हैं। फिल्ममेकर राज कपूर की पार्टियां बेहद फेमस हुआ करती थीं। आज भी उसकी चर्चा होती है। बताया जाता है कि उनके सभी पार्टियां सितारों से भरी रहती थी। इतना ही नहीं, स्टूडियो में होने वाली पार्टी में तो किन्नरों को भी बुलाया जाता था। राज कपूर उनके साथ जमकर इस त्योहार को मनाते थे। उनके साथ नाचते-गाते थे। और बात सिर्फ सेलिब्रेशन तक ही सीमित नहीं रहती थी। वह उनसे काम के सिलसिले में सलाह मश्वरा भी किया करते थे। ऐसा कहा जाता है कि राज कपूर अंधविश्वासी थे। वह अपनी फिल्मों के लिए गए गानों को फाइनल खुद नहीं करते थे। बल्कि ये काम वह किन्नरों से करवाते थे। वह पहले उन्हें सुनाते और जब उनकी तरफ से उस पर मुहर लग जाती, तभी उसे मूवीज में इस्तेमाल करते। अगर वो मना कर देते तो वह उस गाने को फौरन रिजेक्ट कर देते थे। फिर चाहे उसे कितने भी बड़े सिंगर ने क्यों न लिखा हो।
ऐसा ही एक वाकया काफी चर्चित है। रविंद्र जैन ने फिर नया गाना बनाया, जो था ‘सुन साहिबा सुन’, जिसे किन्नरों ने सुना और वो खुश हो गए। उन्होंने ये भी कहा कि ये गाने सालों तक चलेगा। और ऐसा ही हुआ। जब मूवी रिलीज हुई तो वो सुपरहिट हो गई। उसके बाद इसके गाने भी मानो अमर हो गए। आज भी उसे पसंद किया जाता है। इतना ही नहीं, रविंद्र जैन को फिल्मफेयर भी मिला था। इस गाने को फिर लता मंगेशकर ने गाया था। खैर। बताया जाता है कि ऐसा ही राज कपूर ने कई गानों के साथ किया था। और उनके वो गाने हिट हुए थे। राज कपूर किन्नरों को लकी मानते थे। इसलिए वह ऐसा करते थे। उनके बताए हर काम सफल होते थे। जाता है कि मंदाकिनी और राजीव कपूर की 1985 में आई फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई’ के गाने के साथ ऐसा ही हुआ था। जब इस फिल्म के गानों को किन्नरों को सुनवाया था। और उन्होंने सभी गानों को पास कर दिया था लेकिन एक उन्हें पसंद नहीं आया था। जिसके बाद राज कपूर ने कुछ नहीं सोता और उसे मूवी से हटा दिया। फिर संगीतकार रविंद्र जैन को बुलाया और उनसे एक नए गाने की फरमाइश कर दी। रविंद्र जैन ने फिर नया गाना बनाया, जो था ‘सुन साहिबा सुन’, जिसे किन्नरों ने सुना और वो खुश हो गए। उन्होंने ये भी कहा कि ये गाने सालों तक चलेगा। और ऐसा ही हुआ। जब मूवी रिलीज हुई तो वो सुपरहिट हो गई। उसके बाद इसके गाने भी मानो अमर हो गए।
आज भी उसे पसंद किया जाता है। इतना ही नहीं, रविंद्र जैन को फिल्मफेयर भी मिला था। इस गाने को फिर लता मंगेशकर ने गाया था। खैर। वह उनसे काम के सिलसिले में सलाह मश्वरा भी किया करते थे। ऐसा कहा जाता है कि राज कपूर अंधविश्वासी थे। वह अपनी फिल्मों के लिए गए गानों को फाइनल खुद नहीं करते थे। बल्कि ये काम वह किन्नरों से करवाते थे। बता दें कि जब मूवी रिलीज हुई तो वो सुपरहिट हो गई। उसके बाद इसके गाने भी मानो अमर हो गए। आज भी उसे पसंद किया जाता है। इतना ही नहीं, रविंद्र जैन को फिल्मफेयर भी मिला था। इस गाने को फिर लता मंगेशकर ने गाया था। खैर। बताया जाता है कि ऐसा ही राज कपूर ने कई गानों के साथ किया था। और उनके वो गाने हिट हुए थे। राज कपूर किन्नरों को लकी मानते थे। वह पहले उन्हें सुनाते और जब उनकी तरफ से उस पर मुहर लग जाती, तभी उसे मूवीज में इस्तेमाल करते।बताया जाता है कि ऐसा ही राज कपूर ने कई गानों के साथ किया था। और उनके वो गाने हिट हुए थे। राज कपूर किन्नरों को लकी मानते थे। इसलिए वह ऐसा करते थे। उनके बताए हर काम सफल होते थे।