आज हम आपको बताएंगे की तीसरी बार आखिर पीएम मोदी किस तरीके के फैसले लेंगे! पिछले कुछ वर्षों में सभी चुनाव एकसाथ कराना पीएम नरेंद्र मोदी का एक बड़ा अजेंडा रहा है। दूसरे टर्म में आने के तुरंत बाद पीएम ने खुद इस पर बहस छेड़ी, जिसके बाद चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से इस पर चर्चा की। कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दल इसके खिलाफ रहे। इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ सकता है। अगर, लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली तो पीएम मोदी 2029 से पहले इसे लागू करने की दिशा में पहल कर सकते हैं। इसे किस तरह लागू करना है इसके लिए सरकार ने पहले ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमिटी बनाई थी। कमिटी की रिपोर्ट चुनाव के तुरंत बाद आ सकती है। कमिटी इस बारे में तमाम राजनीतिक दलों और कानून के जानकारों से मंथन भी कर चुकी है। तीसरे टर्म में सबसे बड़ी चुनौती होगी देश में लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन करना। पीएम अपने तीसरे टर्म में इसे सफलतापूर्वक करना चाहेंगे। परिसीमन लागू होने के बाद लोकसभा में एक-तिहाई सीट महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएगी। इन दोनों के लागू होने के बाद देश के सियासत की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। नए परिसीमन के बाद देश में लगभग 900 नए सांसद हो सकते हैं। माना जा रहा है कि 543 सीट से 900 सीटें जो बढ़ेगी उसमें 80 फीसदी से अधिक बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बढ़ेंगे। इसे लेकर दक्षिण के राज्यों ने अभी से सियासत शुरू कर दी है। अगर पीएम मोदी इसे अपने तीसरे टर्म में लागू करवा देते हैं तो इसका बहुआयामी असर होगा। नया संसद भवन भी उसी जरूरत को पूरा करने के हिसाब से बनाया गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी के दो टर्म की सबसे बड़ी अधूरी हसरत रही कृषि सुधार की। 2014 में सत्ता में आने के बाद पहले टर्म में उन्होंने जमीन अधिग्रहण बिल के साथ एक कोशिश की लेकिन तब उन्हें अपने पैर खींचने पड़े थे। 2019 के बाद दूसरे टर्म में भी कृषि के तीन कानूनों को उन्होंने लागू करने की कोशिश की लेकिन विरोध के कारण उसे वापस लेना पड़ा। जानकारों के अनुसार, आर्थिक सुधारों में भी पीएम मोदी ने पिछले 10 वर्षों में कई बड़े फैसले लिए लेकिन कृषि सुधार मामले में वह अपने हिसाब से फैसला नहीं ले सके। ऐसे में वह तीसरे टर्म में वह इस दिशा में निर्णायक पहल कर सकते हैं। मुमकिन है इसे लागू करने से पहले अधिक संवाद करें और तब कोई बड़ा फैसला लें।
पिछले साल जुलाई में पीएम ने एक जनसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर साफ संदेश दिया कि यह सरकार और BJP के अजेंडे में है। उनकी सरकार इसके लिए निर्णायक रूप से पहल कर सकती है। यह सभी के लिए वह पूरी तरह चौंकाने वाला सियासी दांव था। इसके बाद उत्तराखंड में BJP सरकार ने इसे अपने राज्य में लागू करने की पहल की। आने वाले समय में और BJP शासित राज्य इसे लागू कर सकते हैं। इसके बाद पीएम मोदी के लिए अपने तीसरे टर्म में देश स्तर पर इसे लागू करने का रास्ता साफ हो जाएगा। तीसरा टर्म मिलने पर अगर वह इसे लागू करते हैं तो धारा 370, राम मंदिर के बाद यह अजेंडा भी BJP का पूरा हो जाएगा। इसे लेकर पार्टी ने अपनी यात्रा शुरू की थी। इन तीनों का श्रेय पीएम मोदी को जाएगा। माना जा रहा है कि 2025 में जब RSS के 100 साल पूरे होंगे तब वह पूरे देश में इसे लागू करने की पहल कर सकते हैं।
अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद अब सबकी नजर मथुरा और वाराणसी पर टिक गई है। माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी अपने तीसरे टर्म में सहमति से कुछ निर्णायक पहल कर सकते हैं। 543 सीट से 900 सीटें जो बढ़ेगी उसमें 80 फीसदी से अधिक बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बढ़ेंगे। इसे लेकर दक्षिण के राज्यों ने अभी से सियासत शुरू कर दी है। अगर पीएम मोदी इसे अपने तीसरे टर्म में लागू करवा देते हैं तो इसका बहुआयामी असर होगा। नया संसद भवन भी उसी जरूरत को पूरा करने के हिसाब से बनाया गया है।अगर ऐसा होता है, तो तीसरे टर्म का यह सबसे बड़ा दांव हो सकता है। पीएम मोदी ने पहले ही संकेत दे दिया है कि ऐसे मामलों को वह सहमति से ही आगे बढ़ाएंगे। साथ ही विकास के साथ विरासत के साथ आगे बढ़ने के उनके दावे में यह सबसे बड़ा दांव हो सकता है अगर तीसरे टर्म में मथुरा, वाराणसी में कोई सर्वमान्य हल खोजने में वह सफल रहे।