आज हम आपको बताएंगे कि अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमला कैसे हुआ था! 24 सितंबर 2002, शाम के करीब पौने पांच बजे का समय, ये वो दिन था जब गुजरात के अक्षरधाम मंदिर को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया। इस आतंकी हमले में मंदिर परिसर में मौजूद 32 श्रद्धालुओं और 3 सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। आतंकियों ने हथियारों से लैस होकर श्रद्धालुओं को निशाना बनाया था। इस घातक हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादियों का संबंध था। आतंकवादियों को एनएसजी कमांडो ने मार गिराया था। इस हमले का मास्टरमाइंड फरहतुल्ला गोरी उर्फ अबु सूफियान उर्फ सरदार साहेब उर्फ फैरू था। फरहतुल्ला गोरी का 22 साल बाद एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वो फिर जिहाद के लिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की नापाक साजिश रच रहा है। आखिर 24 सितंबर 2002 को अक्षरधाम मंदिर में क्या-क्या हुआ? आइए बताते हैं। ये बात है 22 साल पहले की उस काली शाम की, जब खतरनाक मंसूबे लिए तीन आतंकी खतरनाक हथियार लेकर मंदिर में दाखिल हुए। शाम करीब पौने 5 बजे उन्हें एक गाड़ी ने मंदिर के गेट नंबर-3 पर छोड़ा। गेट पर पहले से मंदिर के सुरक्षा गार्ड मौजूद थे, जो हर सामान की चेकिंग कर ही लोगों को अंदर एंट्री दे रहे थे। ऐसे में आतंकी दीवार फांदकर मंदिर में दाखिल हुए। उन्होंने मंदिर में दाखिल होते ही हथियार तैयार कर लिए। आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जो भी उनके सामने आया उसे गोलियों से भून दिया।
आतंकी मंदिर परिसर में स्थित मनोरंजन पार्क से होते हुए गोलीबारी करते हुए आगे बढ़े। पूरा परिसर गोलियों की आवाज से गूंज रहा था। आतंकी गोलीबारी और बमबारी करते हुए मंदिर के मुख्य मार्ग की ओर बढ़ने लगे। हमला होते ही मंदिर के पर्यवेक्षक खोद सिंह जाधव और BAPS स्वयंसेवकों ने मुख्य द्वार पर तैनात गार्ड्स से संपर्क किया और गेट बंद करने के लिए कहा। जब उन्होंने देखा कि आतंकियों ने कर्मचारी की हत्या कर दी है, तो वो खुद गेट की ओर दौड़ पड़े और 15 फुट के मुख्यद्वार को बंद कर दिया। द्वार बंद होने से आतंकी मुख्य मंदिर में नहीं घुस पाए, जहां कई लोग प्रार्थना कर रहे थे।
जब आतंकियों ने देखा कि वो अब मुख्य मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे, तो उन्होंने अपना टारगेट बदल दिया। वो अब मंदिर परिसर में बने प्रदर्शनी हॉल की ओर बढ़ने लगे। हमले को काफी वक्त बीत चुका था, मंदिर में जो भी मौजूद था, वो अलर्ट हो चुका था। आतंकियों के प्रदर्शनी हॉल में घुसने से पहले ही लोगों ने वहां के दरवाजों को बंद कर दिया था। लेकिन हमलावरों ने प्रदर्शनी हॉल के निकास द्वार को खोल कर अंदर एंट्री की। वो हॉल-1 में दाखिल हो गए, जहां मल्टीमीडियो शो होता है। हमलावरों ने यहां दाखिल होते ही दर्शकों पर गोलियां चलाना शुरू कर ही। इस हमले में बच्चों समेत कई लोगों की मौत हो गई।
इधर मंदिर में पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों ने मंदिर परिसर से घायल पीड़ितों की मदद करना शुरू कर दिया। मंदिर प्रशासन की मदद से पुलिस कई लोगों को बाहर निकालने में भी कामयाब रही। लेकिन चिंता की बात ये थी कि आतंकी अभी भी मंदिर परिसर में ही छिपे थे। आतंकियों ने प्रदर्शनी हॉल 1 को छोड़ दिया था और वे मंदिर की परिक्रमा मार्ग पर छिप गए। मंदिर परिसर में भारी पुलिस फोर्स बुलेट प्रूफ जैकेट और हथियारों के साथ पहुंच चुका था। ऐसे में आतंकियों ने अब छिपकर हमला करने का प्लान बनाया। हालांकि पुलिस कमांडो चालाकी से प्रदर्शनी हॉल 1 में छिपे करीब 100 लोगों को सुरक्षित निकालने में कामयाब रही।देखते-देखते सूरज ढल गया। मंदिर में अंधेरा हो गया। पुलिस और सुरक्षा गार्ड रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे थे और आतंकी छिपकर हमला करने की फिराक में। इसी दौरान मंदिर के मुख्य स्मारक में फंसे करीब 30 लोगों को पुलिस ने बाहर निकालने की कोशिश की। इसी दौरान हमलावरों ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी। कमांडो बुलेट प्रूफ जैकेट पहने थे इसलिए उन्हें चोट नहीं आई। अब पुलिस ये जान चुकी थी कि आतंकी कहां छिपे हैं, इसलिए पुलिस ने भी लगातार गोलीबारी जारी रखी। आतंकी चारों तरफ से घिर चुके थे और उनका भागना मुश्किल हो गया था।
रात के करीब 10.10 बजे अक्षरधाम मंदिर में NSG कमांडो की दो बसें पहुंची। कमांडो पहले से तैयार हो कर आए थे। पुलिस की मदद से कमांडो को पूरी स्थिति का पता लग गया। अभी तक आतंकियों की एकदम सही लोकेशन कमांडो को पता नहीं थी। रात के साढ़े 11 बजे तक कमांडो ने कई रणनीतियों पर काम किया और 35 NSG कमांडो ने मंदिर परिसर की सुरक्षा अपने हाथ ले ली। रात भर NSG कमांडो ने आतंकियों की तलाश की। आतंकी परिक्रमा से कूदकर एक बाथरूम में छिप गए थे। NSG कमांडो पूरी तरह तैयार थे, उन्होंने दूसरे दिन तक आतंकियों को तलाशने की योजना बना ली थी। अंदर NSG कमांडो तैनात थे, तो मंदिर के बाहर रैपिड एक्शन फोर्स , सीमा सुरक्षा बल , राज्य रिजर्व पुलिस और आतंकवाद विरोधी दस्ते के लोग थे।
जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, आतंकी प्रदर्शनी हॉल-3 के पास पेड़ों की आड़ में छिप गए। आतंकी हताश हो चुके थे। इधर NSG कमांडो ने गोलीबारी और तलाशी जारी रखी। सर्च ऑपरेशन जारी रहा और सुबह हो गई। आखिरकार सुबह करीब पौने 7 बजे 14 घंटे के मुश्किल ऑपरेशन के बाद NSG कमांडो ने झाड़ियों में छिपे दोनों आतंकियों को मार गिराया। इस आतंकी हमले में करीब 30 लोगों की जान चली गई और 80 से ज्यादा लोग घायल हुए। आतंकियों की जवाबी कार्रवाई में दो पुलिस अधिकारी और एक कमांडो भी शहीद हो गए।