खबरों के अनुसार दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों का खौफ हो गया है! दिल्ली एनसीआर की हाइराइज सोसायटियों में रहने वाले लोग आजकल हर किसी को कुछ ऐसी ही हिदायतें देते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद की हाइराइज सोसायटी में रहने वाले लोग स्ट्रे डॉग के आतंक से बेहद दहशत में हैं। रेडिडेंट्स का कहना है कि कुत्तों के डर से लोगों का सोसायटी से बाहर निकलना मुश्किल होता जा रहा है। आए दिन सोसायटी के अंदर भी स्ट्रे डॉग आ जाते हैं। ऐसे में दहशत दोगुनी हो गई है। नोएडा की ऊंची इमारतों में रहने वाले रेजिडेंट्स स्ट्रे डॉग के चलते काफी दहशत में हैं। यहां खूंखार कुत्ते कभी भी बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को अपना शिकार बना लेते हैं। पिछले एक साल में 30 लोग डॉग बाइट का शिकार हो चुके हैं। जिनमें 8 से 10 छोटे बच्चे शामिल हैं। नोएडा में करोड़ों रुपये का फ्लैट खरीदने वाले लोग स्ट्रे डॉग के डर के साए में जी रहे हैं। सहाय बताते हैं कि नोएडा प्राधिकरण को स्ट्रे डॉग की समस्या से अवगत कराया जा चुका है। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। उनका कहना है कि स्ट्रे डॉग को पकड़ने वाले एनजीओ और डॉक्टरों की टीम को नोएडा प्राधिकरण की तरफ से पेमेंट नहीं दी जा रही हैं। जिसके चलते स्ट्रे डॉग को पकड़ने का काम ठप है। सोसायटी के लोग कुत्तों का शिकार बन रहे हैं। उनका कहना है कि नोएडा प्राधिकरण को रेजिडेंट्स की समस्या पर ध्यान देना होगा, वरना लोगों की जीना मुश्किल हो जाएगा।
नोएडा सेक्टर-50 में 21 सोसायटियां हैं। यहां एक मेघदूतम पार्क है। इस पार्क के आसपास 10 से 15 स्ट्रे डॉग का जमावड़ा दिनभर लगा रहता है। ऐसे में पार्क जाने वाले लोग काफी दहशत में रहते हैं। उन्होंने बताया कि नोएडा में स्ट्रीट नॉन वेज फूड स्टॉल की संख्या काफी ज्यादा है। इन स्टॉल के आसपास स्ट्रे डॉग देखे जा सकते हैं। यह स्ट्रे डॉग अचानक लोगों पर हमला करते हैं। उन्होंने बताया कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में करीब 205 सोसायटियां हैं। नोएडा सेक्टर-76, 77, 75, 78,79 में सबसे ज्यादा स्ट्रे डॉग हैं।
गाजियाबाद में 250 से ज्यादा सोसायटियां है। अधिकांश सोसायटी के अंदर आए दिन स्ट्रे डॉग घुस जाते हैं। स्ट्रे डॉग से बच्चों के बीच काफी दहशत देखने को मिलती हैं। सोसायटियों में पिछले एक साल में 50 से ज्यादा एफआईआई डॉग बाइट के मामलों से जुड़ी हैं। स्ट्रे डॉग की समस्या को लेकर आरटीआई भी फाइल की जा चुकी है। लेकिन कोई संतुष्टिजनक जवाब नहीं मिला है। वह बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि स्ट्रे डॉग को उनकी जगह से नहीं हटाया जा सकता है। सरकार स्ट्रे डॉग के रख रखाव के लिए खर्च तो कर रही है लेकिन लोकल प्रशासन की तरफ कोई ऐक्शन नहीं लिया जाता है। जिसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं।
दिल्ली में डॉग बाइट के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। साल 2023 में एमसीडी के बड़े हॉस्पिटल्स के अलावा अलग-अलग इलाकों में बने स्वास्थ्य केंद्रों में डॉग बाइट के 54,395 मामले दर्ज हुए। एमसीडी के हेल्थ विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो डॉग बाइट के सबसे ज्यादा मामले साउथ दिल्ली में दर्ज हुए। बंदर और बिल्लियों के काटने के मामलों में भी अच्छी खासी वृद्धि हुई है। डॉग बाइट के मामले में शाहदारा स्थित पॉलीक्लीनिक सबसे टॉप पर है। यहां पिछले साल डॉग बाइट के 13985 मामले दर्ज हुए।
कानून के मुताबिक, किसी स्ट्रे डॉग को उसकी जगह से नहीं हटा सकते हैं, यानी उसे किसी सोसाइटी या फिर मोहल्ले से ऐसे ही नहीं हटाया जा सकता है। धारा 428 और 429 के तहत आवारा कुत्तों को मारना अपराध है। अगर कोई आवारा कुत्तों को मारने या परेशान करने की कोशिश करता है तो इसकी शिकायत पुलिस में भी की जा सकती है। ऐसे जानवरों को मारने या फिर जहर देने के लिए आपको पांच साल तक की जेल हो सकती है, वहीं क्रूरता के लिए तीन महीने तक जेल में काटने पड़ सकते हैं।
कुत्तों के काटने से इंसान के शरीर में रेबीज का संक्रमण चले जाता है। रेबीज संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। संक्रमण होने पर मौत निश्चित है। दुनिया भर में कहीं भी रेबीज का इलाज नहीं है। लेकिन रेबीज इंजेक्शन संक्रमण से बचा सकता है। वैक्सीनेशन के बाद 100% मौत से बचने की संभावना है। एक्सपर्ट का कहना है कि डॉग्स लवर हो, आरडब्ल्यूए हो या अन्य सोसाइटी, उन्हें डॉग्स का वैक्सीनेशन कराना चाहिए। अगर डॉग का वैक्सीनेशन हुआ होता तो रेबीज संक्रमण की वजह से हाल ही में गाजियाबाद में 14 साल के बच्चे की मौत को रोका जा सकता था। यही नहीं, डॉक्टर ने आम लोगों से भी अपील की है कि गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी को कुत्ता चाट भी ले तो रेबीज इंजेक्शन 24 घंटे के अंदर जरूर लेना चाहिए।
कुत्ता आप घर में पालते हैं या वो बाहर रहते हैं, उनका वैक्सीनेशन जरूरी है। वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। इस संक्रमण का बचाव तो संभव है, इसका इलाज नहीं है। डॉक्टर ने कहा कि मेरी डॉग्स लवर से अपील है कि वो अपने इलाके में आगे आएं और ऐसे कुत्ते का वैक्सीनेशन कराएं, जिन्हें रेबीज का वैक्सीन नहीं लगी है। एक बार वैक्सीन लग जाती है तो खतरा कम हो जाता है।