आखिर मौत से पहले और मौत के बाद शरीर में क्या बदलाव आते हैं?

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यह सवाल उठना लाजिमी है की मौत से पहले और मौत के बाद शरीर में क्या बदलाव आते हैं… आपने यह बात जरूर सुनी होगी की मौत आने से पहले एक व्यक्ति अलग प्रकार से व्यवहार करने लगता है और मौत समीप आती है तो वह व्यक्ति अलग सा व्यवहार करने लग जाता है, तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर मौत से पहले और मौत के बाद व्यक्ति के साथ क्या बदलाव होते हैं… शारीरिक और मानसिक तौर पर उसमें क्या-क्या परिवर्तन आते हैं, आपको बता दें कि इस दुनिया में जो पैदा होता है उसकी मौत निश्चित है. अब बात करते हैं कि जब किसी की मृत्यु नजदीक आती है तो उस व्यक्ति को कैसा मेहसूस होता है? यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में कोई अपनी राय नहीं दे सकता है, क्योंकि इस बारे में सिर्फ वही व्यक्ति बता सकता है, जिसने मौत का अनुभव किया हो, बता दे कि इस बात को समझाते हुए एक एक्सपर्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि मरने से ठीक पहले क्या-क्या होता है और व्यक्ति कैसा मेहसूस करता है? द एक्सप्रेस की रिपोर्ट मे बताया गया है कि एक डॉक्टर ने अपनी लाइफ में काफी लोगों को मरते हुए देखा है, साथ ही उन्होंने बताया है कि मरने से ठीक पहले व्यक्ति के शरीर में क्या-क्या बदलाव आने शुरू हो जाते हैं? तो बता दे कि रिपोर्ट के अनुसार, मृत्यु से पहले क्या मेहसूस होता है, इस  विषय पर चर्चा करते हुए एक डॉक्टर ने कहा कि मरने की प्रक्रिया नॉर्मली दिल की धड़कन रुकने से लगभग 2 सप्ताह पहले शुरू हो जाती है.

लिवरपूल यूनिवर्सिटी में मानद रिसर्च फेलो सीमस कोयल ने द कन्वर्सेशन के लिए लिखे एक आर्टिकल में मौत की प्रक्रिया के बारे में बात की है. उन्होंने बताया कि मौत की प्रक्रिया व्यक्ति की मौत के 2 सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है. 2 सप्ताह के भीतर ही व्यक्ति की सेहत गिरने लगती है. उसे चलने और सोने में भी परेशानी होनी शुरू हो जाती है. जिंदगी के आखिरी दिनों में, व्यक्ति की दवाई  खाने, भोजन करने और पीने की क्षमता तक खत्म हो जाती है. यही नहीं कुछ रिसर्च के मुताबिक, मौत के वक्त दिमाग से काफी सारे केमिकल निकलते है. उन्हीं केमिकल मे से एक है एंडोर्फिन. यह केमिकल व्यक्ति की भावनाओं को संदीप्त करता है. सीमस कोयल ने बताया, मौत के पलों को समझना मुश्किल तो है लेकिन अभी तक हुई रिसर्च के अनुसार, जैसे-जैसे व्यक्ति मौत के करीब आता हैं, वैसे-वैसे उसकी बॉडी मे स्ट्रेस केमिकल्स बढ़ते जाते है. कैंसर वाले व्यक्ति की बॉडी में सूजन भी आने लगती है. मौत की प्रक्रिया के वक्त व्यक्ति का दर्द कम हो जाता है. यह बताना मुश्किल है कि ऐसा क्यों होता है? शायद ऐसा एंडोर्फिन के कारण हो सकता है. आमतौर पर, हर इंसान की मृत्यु अलग-अलग तरीके से होती है. ऐसे मे, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि शांतिपूर्ण तरीके से किसकी मौत होगी. कई कम उम्र के लोगो को भी देखा गया है जिन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वे मर रहे हैं!

बता दे कि डॉक्टर्स केे अनुसार जबब व्यक्ति का दिमाग काम करना बंद कर दे और उसके दिल की धड़कन रुक जाए, साथ ही वो व्यक्ति सांस लेना भी बंद कर दे तब उसेे ब्रेन डेड माना जाता है. इसी को हम आम भाषा में मौत कहते हैं. हालांकि कानूूनी रूप से किसी व्यक्ति की मृत्यु की घोषणा करने के लिए पहले ये देखा जाता है कि व्यक्ति ब्रेन स्टेम रिस्पांस कर पा रहा है या नहीं. यदि रिस्पांस करने में व्यक्ति कामयाब नहीं हो पाता तब उसे मृत घोषित कर दिया जाता है! किसी व्यक्ति की मौत केे बाद उसकेे शरीर की सभी मसल्स रिलैैक्स हो जाती हैं. जिसे मेडिकल की भाषा में प्राइमरी फ्लेक्सिबिलिटी कहा जाता है. इसके बाद व्यक्ति की पलकें अपना तनाव खो देनेे के चलते बंद हो जाती हैं और सिकुड़ने लगती हैं. उसका जबड़ा खुल जाता है और उसके शरीर के सभी जोड़ और अंग बहुत लचीले हो जाते हैं. वहीं हृदय गति रुक जानेे के चलते कुछ मिनटों तक डेेड बॉडी के अंदर पेलोर मोर्टिन नामक प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसके बाद व्यक्ति का शरीर गुलाबी दिखने लगता है!

मृत्यु के समय आमतौर पर किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है जो मौत के बाद तेजी से गिरने लगता है. इस प्रक्रिया को एल्गास मोर्टिस या डेथ चिल कहा जाता है. पहले 2 घंटे में ये तापममान 2 डिग्री सेल्सियस और फिर हर घंटे 1 डिग्री कम होता जाता है. कई बार तो मांसपेशियों की रिलेक्स होने की प्रक्रिया में डेड बॉडी से मल-मूत्र तक निकल जाता है. वहीं मृत्यु के बाद 2 सेे 6 घंटे की बीच शरीर की मांसपेशियां भी अकड़नेे लगती हैं!