यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इंडिया गठबंधन कांग्रेस के लिए मजबूरी है या नहीं! राजनीति में कब कौन दोस्त बन जाए और कब कौन दुश्मन कोई नहीं जानता। इस समय दिल्ली का सियासी हाल भी कुछ ऐसा ही है। कभी एक-दूसरे पर जमकर अटैक करने वाले दो दल 2024 के चुनावी रण से ठीक पहले एक साथ आ गए हैं। वो सिर्फ साथ ही नहीं आए हैं बल्कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने की वजह से एक-दूसरे को सपोर्ट करते भी दिख रहे। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मुद्दे पर AAP तो केंद्र पर आक्रोशित है ही, कांग्रेस भी इस मुद्दे पर एकजुट होकर आवाज बुलंद कर रही है। अब इसे कांग्रेस की मजबूरी कहें या गठबंधन धर्म का पालन, जिस शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल अभी ईडी की कस्टडी में हैं, उसी मुद्दे को लेकर कभी अजय माकन समेत कांग्रेस नेताओं ने उन पर अटैक किए था। हालांकि, अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम पर ईडी ने कार्रवाई की तो कांग्रेस नेता ही केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमलावर हो गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने रविवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली और लेफ्ट नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अपना विरोध जताया। गोपाल राय ने कहा कि 31 मार्च की रैली रामलीला मैदान में आयोजित की जाएगी। इसके लिए पुलिस और प्रशासन से अनुमति ली जाएगी। यह रैली रविवार 31 मार्च सुबह 10 बजे बुलाई गई है। गोपाल राय ने कहा कि जिस कथित शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है उसमें आज तक कोई मनी ट्रेल सीबीआई या ईडी नहीं ढूंढ पाई है। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी के खाते सीज कर दिए गए। आज कांग्रेस पार्टी चुनाव प्रचार के लिए अपने ही खातों के पैसों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि अगर इतनी पुरानी पार्टी का खाता सीज हो सकता है तो इनको चंदा देने वाले व्यापारियों का खाता भी सीज किया जा सकता है। लोगों की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है।
इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि हम देश में लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई में अपने गठबंधन के सभी साथियों के साथ मजबूती से खड़े हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव में सभी को समान अवसर नहीं मिल रहे। चुनाव जीतने के लिए चुने हुए मुख्यमंत्रियों, चाहे वह हेमंत सोरेन हों या अरविंद केजरीवाल, उनको गिरफ्तार किया जा रहा है। उन्होंने सत्ता पक्ष से प्रश्न करते हुए कहा कि आप किस तरह का लोकतंत्र देश में स्थापित करना चाहते हैं।
लवली ने कहा कि 31 तारीख को होने वाली रैली में गठबंधन के सभी शीर्ष नेता होंगे। यह रैली कोई राजनीतिक रैली नहीं होगी, बल्कि यह देश में लोकतंत्र को बचाने का एक कदम है। उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के अलावा सभी सामाजिक संगठनों, आरडब्लूए और सिविल सोसाइटी के लोगों से इस रैली में पहुंचने का अनुरोध किया। वहीं लेफ्ट ने भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी को अपना पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है। इसी के साथ ‘इंडिया’ गठबंधन ने ऐलान किया कि ‘लोकतंत्र को बचाने’ के लिए 31 मार्च को दिल्ली में महारैली की जाएगी।
फिलहाल जिस तरह से कांग्रेस के नेता दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मुद्दे को उठा रहे हैं, उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में एक भ्रम की स्थिति बन रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी भले ही आगामी लोकसभा चुनाव दिल्ली के अंदर कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़े। लेकिन पार्टी के कार्यकर्ता ये नहीं भूलेंगे कि ये वही पार्टी है जिसने कांग्रेस की सत्ता से हटाने में अहम रोल निभाया था। यही वो पार्टी है जिनके नेताओं ने दिल्ली में कांग्रेस पर जमकर अटैक किए थे। खुद आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कई बार ईडी और सीबीआई को ललकारा था और कहा था कि सोनिया गांधी को गिरफ्तार करो। उनके खिलाफ सभी भ्रष्टाचार के सबूत मिल जाएंगे। केजरीवाल की इन बयानबाजी के बाद भी सवाल यही उठ रहे कि आखिर ऐसा क्या बदल गया, ऐसी कौन सी मजबूरी है जो कांग्रेस ने AAP से न केवल हाथ मिलाया बल्कि अब समर्थन को भी लाचार हैं।
दिल्ली के अलावा आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में भी है। हालांकि, दिल्ली में AAP-कांग्रेस गठबंधन में हैं तो पंजाब में दोनों ही दल अकेले-अकेले जोर-आजमाइश कर रहे हैं। यही नहीं पंजाब कांग्रेस ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर तंज कसा। कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा ने AAP के ‘कट्टर ईमानदार’ दावे पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आप जो बोएंगे, वही कांटेंगे। कुल मिलाकर दिल्ली में भले ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता एक साथ मंच साझा कर रहे हों लेकिन पंजाब में दोनों ही पार्टियां आमने-सामने नजर आ रही हैं। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मजबूरी है कि वो INDI अलायंस को मजबूत बनाए रखे। अगर अभी गठबंधन में जरा भी टूट नजर आई तो आगामी चुनाव में पार्टी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। यही वजह है कि कांग्रेस की चाहे मजबूरी कह लीजिए या फिर अंदरूनी घमासान, अभी वो 2024 के रण में मजबूत उपस्थिति को लेकर AAP को पूरा सपोर्ट करती नजर आ रही।