आज हम आपको अजीमुल्लाह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके नाम पर वर्तमान में सियासत चल रही है! केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दावा किया कि ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के नारे एक मुसलमान अजिमुल्लाह खान ने दिए थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पूछा कि क्या वह ‘भारत की माता की जय’ का नारा त्याग देगा? आजादी का अमृत महोत्सव की वेबसाइट पर अजिमुल्लाह खान को 1857 का क्रांतिकारी बताया गया है। वेबसाइट पर लिखा है, ‘1857 की महान क्रांति में अजीमुल्लाह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके जोशीले गीतों ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच आपसी प्रेम का जबर्दस्त माहौल बनाया। उन्होंने क्रांति की बागडोर अपने हाथों में रखी और अधिकांश घटनाओं को स्वयं नियंत्रित किया।’ वेबसाइट पर एक गीत का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया गया है। इसके बारे में कहा गया है कि ‘क्रांतिकारी गीत अजीमुल्लाह खान का लिखा गीत नाना साहेब द्वारा संरक्षित एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था। इसकी एक मूल प्रति ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन में संरक्षित है।’ दरअसल, अजीमुल्लाह खान युसुफजई मराठा पेशवा नाना साहेब के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1857 का क्रांतिदूत भी कहा जाता है। क्रांतिदूत अजिमुल्लाह खान का जन्म 17 सितंबर, 1830 को हुआ था। अमर चित्रकथा के वेबसाइट पर अक्टूबर 2021 में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि 1837-38 का भीषण अकाल पड़ा तो अंग्रेजों ने अजीमुल्लाह को उनकी मां के साथ कानपुर के ब्रिटिश मिशनरी में भेज दिया। अजीमुल्लाह बड़े होते गए तो उन्होंने अंग्रेजी और फ्रेंच, दोनों भाषाएं सीखीं। इस कारण उन्हें बाद में ब्रिटिश अधिकारियों के सेक्रेटरी की नौकरियां भी मिलीं।
इस क्रम में उन्होंने मराठा साम्राज्य के शासक नाना साहिब पेशवा द्वितीय का सचिव पद भी संभाला। नाना साहेब, अजीमुल्लाह की बौद्धिक क्षमता से काफी प्रभावित हुए। इस कारण अजीमुल्लाह ने उनके सलाहकार की भी भूमिका निभाई। पेशवा बाजी राव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब का अपने दिवंगत पिता की पेंशन को लेकर ब्रिटिश सरकार से मतभेद था। हालांकि उन्हें अपने पिता की संपत्ति और उपाधि विरासत में मिली, लेकिन सरकार ने उन्हें इसके साथ आने वाली पेंशन देने से इनकार कर दिया। इसलिए, नाना साहेब ने अजीमुल्लाह खान के नेतृत्व में एक टीम इंग्लैंड भेजी जिसने वहां ‘बोर्ड ऑफ कंट्रोल’ के सामने नाना साहेब के पक्ष में दलीलें दीं। अजीमुल्लाह खान इंग्लैंड में कई दिलचस्प लोगों से मिले। लेडी डफ-गॉर्डन उनमें से एक थीं। उनके पति एक सिविल सर्वेंट थे। लेड डफ ने खान को इंग्लैंड में सही लोगों तक पहुंचाया। खान के प्रयासों के बावजूद सरकार ने नाना साहेब की पेंशन फिर से शुरू करने से इनकार कर दिया।
इतिहासकारों का मानना है कि इसी घटना से खान के मन में पहली बार ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति असंतोष पैदा हो गया जो 1857 की क्रांति तक गहरी नाराजगी में बदल गया। दरअसल, लंदन से वापस आने के रास्ते में उनका यह विश्वास बढ़ गया कि अंग्रेज अजेय नहीं थे, उन्हें हराया जा सकता है। भारत लौटते वक्त कुस्तुतूनिया में रुके जो उस वक्त ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा थी। उन्होंने क्रीमिया के युद्ध का मुआयना भी किया। कहा जाता है कि अजीमुल्लाह ने तुर्की और रूस के जासूसों से भी संपर्क किया। अजीमुल्लाह भारत लौटे तो उनके साथ एक फ्रेंच प्रिंटिंग मशीन थी। उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ खूब साहित्य प्रकाशित किए।
कहा जाता है कि अजीमुल्लाह खान ने उस अंग्रेज मेजर जनरल सर ह्यू व्हीलर से झांसे में लाने में सफल रहे जिन्हें घेरने के लिए खुद नाना साहेब ने योजना बना रखी थी। खान ने अंग्रेज अफसर को उनके परिवार और सहयोगियों के साथ सुरक्षित निकलने का रास्ता देने का ऑफर दिया। कहा जाता है कि अंग्रेजों का अत्याचार इतना बढ़ गया था कि सबने बदला लेने की ठान ली। इसी क्रम में जान-बचाकर भाग रहे करीब 900 अंग्रेज पुरुष अधिकारियों की हत्या कर दी गई। इससे बौखलाए अंग्रेजों ने गांव के गांव जलाने शुरू कर दिए। एक घटना में अजीमुल्लाह बाल-बाल बच गए। इस क्रांतिदूत की मृत्यु कैसे हुई, यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। कुछ इतिहासकार बताते हैं ब्रिटिश अधिकारियों से भागने की कोशिश में चेचक से उनकी मृत्यु हो गई जबकि कुछ का कहना है कि उनकी मृत्यु बुखार से हुई। हालांकि, एक किताब पुस्तक में दावा किया गया है कि अंग्रेजों से जान-बचाकर भागने के बाद अजीमुल्लाह खान की हत्या कुस्तुतूनिया में कर दी गई।
ध्यान रहे कि उत्तरी केरल के मुस्लिम बहुल इलाके के दौरे पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा कि मुसलमान शासकों, सांस्कृतिक पुरोधाओं और अधिकारियों ने देश के इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि ‘भारत माता की जय’ का नारा देने वाले अजिमुल्ला खान भी तो मुसलमान ही थे। उन्होंने कहा, ‘यहां आए संघ परिवार के कुछ नेताओं ने अपने सामने बैठे लोगों से ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने को कहा। किसने यह नारा दिया? मुझे नहीं पता कि संघ परिवार जानता भी है कि नहीं कि वो नाम अजिमुल्ला खान है।’ विजयन ये बातें नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अपनी लगातार चौथी रैली में कहीं।