Thursday, September 19, 2024
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सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी पर क्या बोल रहे हैं यूरोपीय देश?

वर्तमान में सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी पर यूरोपीय देश भी अपना मुंह खोल रहे हैं! दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को बीते गुरुवार को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। जिसको लेकर देश ही नहीं विदेश से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। आज अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पर हमारी करीबी नजर है। उन्होंने कहा कि हम ‘निष्पक्ष और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया’ की उम्मीद करते हैं। इससे पहले जर्मनी ने भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कहा कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। मेरिका हो या जर्मनी ये देश हमें निष्पक्ष जांच का पाठ पढ़ा रहे हैं लेकिन हमें कुछ सिखाने से पहले खुद के देश में फैले भ्रष्टाचार और आतंकवाद की निष्पक्ष जांच क्यों नहीं करते हैं। इस साल की शुरुआत में ही ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने साल 2023 में 180 देशों के करप्शन की रिपोर्ट जारी की थी। जिसके अनुसार अमेरिका 24वें रैंक पर है। वहीं साल 2022 में भी रिपोर्ट में अमेरिका की यही रैंक थी। ऐसे में साल भर में तमाम कोशिशों के बाद भी देश में भ्रष्टाचार का लेवल जरा सा भी कम नहीं हुआ है। ऐसे में उन्हें हमें भ्रष्टाचार पर सलाह देने से पहले अपने देश के करप्शन को कम करने के बारे में सोचना चाहिए।

अमेरिका से पहले जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने जब अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी की तो भारत ने इसका विरोध जताया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम ऐसी टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में दखल और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखते हैं। बता दें कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ही पहला मामला नहीं है जब इन देशों ने भारत पर टिप्पणी की हों। इससे पहले भी CAA और असहिष्णुता के मामले पर ये देश भारत पर टिप्पणी कर चुके हैं।

भारत के मामलों पर जब भी इन देशों से कोई प्रतिक्रिया आई हैं तो उसका भारत ने बखूबी जवाब दिया है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले अमेरिका ने CAA पर भी टिप्पणी की थी। जिसमें अमेरिका ने सीएए लागू करने को लेकर आपत्ति जताई थी। अमेरिकी की इस आपत्ति पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गलत और बेतुकी बताई। भारत ने अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, ऐसे में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर चिंता का कोई आधार नहीं है। बता दें कि ये CAA से पहले साल 2019 में अमेरिका के अधिकारी ने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में धार्मिक भेदभाव भयानक स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने केजरीवाल मामले में रॉयटर्स के पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘हम मुख्‍यमंत्री केजरीवाल के लिए निष्‍पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध कानूनी प्रक्रिया के लिए प्रोत्‍साहित करते हैं।’ इससे पहले सीएए को लेकर भी अमेरिका ने भी भारत को ज्ञान दिया था और कहा था कि इस मामले में हमारी करीबी नजर है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अमेरिका ने हाल के दिनों में ऐसे कई बयान दिए हैं जो भारत को असहज कर रहे हैं। वह भी तब जब भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍ते नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं।

चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत और अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं और क्‍वॉड के सदस्‍य देश हैं। इससे पहले पिछले दिनों अमेरिका के भारत में राजदूत ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍ते चाहे कितने भी मजबूत क्‍यों न हो, हम ऐसे मुद्दे पर अपनी बात रखते रहेंगे। बता दें कि भारत ने शनिवार को यहां जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी के विदेश मंत्रालय की टिप्पणी के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि जर्मन दूत जॉर्ज एनजवीलर को विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने तलब किया और बताया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणी भारत की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है। मंत्रालय ने कहा कि कोई भी ‘पूर्वाग्रह वाली पूर्वधारणा’ बिल्कुल अवांछित है। जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने केजरीवाल की गिरफ्तारी का संज्ञान लिया था। जर्मन अधिकारी ने कहा था, ‘हमारा मानना है और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े मानक और मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत भी इस मामले में लागू होंगे।’

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