क्या विपक्ष के इंडिया गठबंधन में बढ़ रही है दूरियां?

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वर्तमान में विपक्ष के इंडिया गठबंधन में दूरियां बढ़ रही है! लोकसभा चुनाव में पहले फेज के लिए नामांकन का दौर खत्म हो चुका है, 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। ऐसे में सत्तापक्ष हो या फिर विपक्षी खेमा सभी अपनी तैयारियों को फाइनल टच देने में जुटे हैं। केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी का प्लान तो क्लीयर दिख रहा। वो लगातार उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी कर रहे हैं। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों का इंडिया गठबंधन अब भी सीट शेयरिंग के फॉर्मूले में ही उलझा दिख रहा है। खास तौर पर बिहार और महाराष्ट्र में इंडी अलायंस के बीच घमासान की खबरें सामने आ रही हैं। इसका खुलासा उस समय हुआ जब महाराष्ट्र में शरद पवार ने सहयोगियों को लेकर बड़ा कमेंट किया। शरद पवार ने कहा कि सहयोगी गठबंधन नहीं निभा रहे। उधर बिहार में कांग्रेस की टेंशन आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने बढ़ा रखी है, वो लगातार सिंबल बांट रहे हैं। उधर उत्तर प्रदेश की बात करें इंडिया अलायंस में शामिल समाजवादी पार्टी भी उम्मीदवारों के चयन को लेकर पशोपेश में दिख रही। तभी तो मुरादाबाद, नोएडा संसदीय क्षेत्रों में कैंडिडेट घोषित करने के बाद बदल दिए। इन सियासी घटनाक्रम को देखते हुए सवाल यही उठ रहे कि आखिर बीजेपी की हैट्रिक को रोकने की प्लानिंग के साथ बना इंडी अलायंस क्या एकजुट होकर दावेदारी भी पेश कर सकेगा?

सबसे पहले महाराष्ट्र की बात करें तो यहां कांग्रेस, उद्धव ठाकरे का शिवसेना गुट और शरद पवार का एनसीपी खेमा एक साथ है। उन्होंने महाविकास अघाड़ी बनाया, हालांकि, चुनाव से ठीक पहले ये संकट में नजर आ रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि उद्धव गुट के शिवसेना ने 17 कैंडिडेट्स के नाम का ऐलान कर दिया। बताया जा रहा कि जिन सीटों में नाम घोषित किए गए उनमें से 3 सीट पर कांग्रेस दावेदारी कर रही थी। उधर शरद पवार पर उद्धव खेमे के इस कदम से खफा दिख रहे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कह दिया कि सहयोगी गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रहे।

वहीं विपक्षी गठबंधन के साथ रहे वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) नेता प्रकाश अंबेडकर ने भी महाविकास अघाड़ी से अलग दावेदारी कर दी। उन्होंने 8 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। इस तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस को करारा झटका लगता दिख रहा। जिस गठबंधन को लेकर उन्होंने इतनी जोरआजमाइश की उसी में अब उनकी चलती नहीं दिख रही। पार्टी के दिग्गज नेता संजय निरुपम नाराज बताए जा रहे हैं क्योंकि वो मुंबई नॉर्थ-वेस्ट से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। हालांकि, उद्धव खेमे ने यहां अमोल कीर्तिकर को उम्मीदवार बना दिया है।

अब बात करें बिहार की तो यहां महागठबंधन में शामिल आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट में सीट शेयरिंग की तस्वीर क्लीयर होती नहीं दिख रही। लालू यादव लगातार अपने कैंडिडेट्स को सिंबल देते नजर आ रहे हैं। उधर कांग्रेस में आरजेडी के इस रवैये से नाराजगी है। इसका पता उस समय चला जब पप्पू यादव से जुड़ा अहम अपडेट सामने आया। दरअसल, पप्पू यादव ने पिछले दिनों अपनी पार्टी JAP का विलय कांग्रेस में किया। वो पूर्णिया लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरना चाहते थे। हालांकि, आरजेडी सुप्रीमो ने इसी बीच बीमा भारती को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बस यहीं से सवाल उठे कि आखिर बिहार महागठबंधन में सब ठीक नहीं है। बताया जा रहा कि बिहार में कांग्रेस ने 10 सीटों की डिमांड की थी हालांकि, आरजेडी 9 सीटें देने को राजी दिख रही। इसी को लेकर पेंच फंसा हुआ है। हालांकि, ऐसी खबरें आ रही कि आगामी चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग फॉर्मूला जल्द सामने आ सकता है। जिसमें 9 सीट कांग्रेस, 26 सीट पर आरजेडी और 3 सीट सीपीआई एमएल को मिल सकती है। सीपीआई (एम) और सीपीआई को एक-एक सीट मिल सकती है।

महाराष्ट्र-बिहार के अलावा यूपी में भी इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी अपने कैंडिडेट्स को लेकर माथापच्ची में जुटी है। यही नहीं घोषिथ उम्मीदवारों के नाम में भी बदलाव कर रही। पार्टी ने मुरादाबाद में सीटिंग एमपी एसटी हसन का टिकट काट दिया। उन्होंने एक दिन पहले ही नामांकन किया था। उनकी जगह रुचि वीरा को पार्टी ने अपने नया कैंडिडेट घोषित किया। एसटी हसन का टिकट कटना और रुचि वीरा को टिकट दिए जाने को लेकर घमासान होता नजर आ रहा। इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर सीट (नोएडा) में भी सपा ने अपना उम्मीदवार बदला है। पहले राहुल अवाना को टिकट दिया गया था। उनकी जगह डॉ. महेंद्र नागर गौतमबुद्ध नगर सीट से कैडिडेट बनाया गया है। ये सियासी घटनाक्रम ऐसे वक्त में चल रहा जब वोटिंग का दौर शुरू होने वाला है।