क्या वर्तमान में हिट हो चुका है योगी आदित्यनाथ का योगी मॉडल?

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वर्तमान में योगी आदित्यनाथ का योगी मॉडल हिट हो चुका है! चाहे बुलडोजर एक्शन हो या लव जिहाद के खिलाफ कानून या फिर गोरक्षा का मुद्दा, लॉ एंड ऑर्डर को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार के ‘प्रयोगों’ को कई दूसरे बीजेपी शासित राज्यों में भी दोहराया गया। यूपी सरकार नियमित रूप से माफियाओं को खत्म करके राज्य की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में अपनी सफलता का ढिंढोरा पीट रही है। इसी का असर है कि राज्य में रोजगार और निवेश में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसका असर भी नजर आ रहा। कई दूसरे राज्यों ने न केवल लॉ एंड ऑर्डर पर योगी मॉडल को सराहा बल्कि इसे अपनाया भी। इतना ही नहीं बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में योगी मॉडल को प्रमुख चुनावी मुद्दा भी बनाती नजर आ रही है। योगी आदित्यनाथ जब पहली बार यूपी के सीएम बने तो उन्होंने तुरंत न्याय और एक अपराधी को सबक सिखाने के लिए साल 2020 में बुलडोजर का इस्तेमाल किया। इसका इस्तेमाल कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे की कथित अवैध संपत्तियों को गिराने के लिए किया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि विकास दुबे और उसके गुर्गों ने एक छापेमारी के दौरान पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाई थीं। इसी के बाद सीएम योगी ने विकास दुबे के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की। इस कार्रवाई पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली, कुछ ने सीएम की सराहना की तो कुछ ने कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाए। इसके बाद, तुरंत न्याय के लिए कई मौकों पर बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया, जिसके बाद सीएम योगी को ‘बुलडोजर बाबा’ भी कहा जाने लगा।

ये बुलडोजर एक्शन बीजेपी समर्थकों के बीच इतना लोकप्रिय हुआ कि इसका इस्तेमाल हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में भी किया गया। यहां तक कि दिल्ली में भी बीजेपी समर्थकों की ओर से इसका इस्तेमाल झांकियों में किया गया। लखनऊ में बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि कुछ चीजें जैसे बुलडोजर एक्शन, जो योगी आदित्यनाथ ने शुरू की। इसके बाद अदालती आदेशों या पुराने कानूनों को लागू किया गया लेकिन इसमें योगी आदित्यनाथ ने अन्य राज्यों पर बढ़त बनाई। यही कारण है कि यूपी के लॉ एंड ऑर्डर मॉडल को अब हर जगह लागू किया जा रहा। जब तक कोई और इसी तरह की कार्रवाई लागू करना शुरू करता है, तब तक योगी आदित्यनाथ पहले ही यूपी में बढ़त ले चुके रहते हैं।

बुलडोजर एक्शन के अलावा यूपी सरकार की ओर से की गई एक अन्य कार्रवाई का भी उल्लेख अकसर होता है, खुद सीएम योगी ने मंच से कई बार इसका जिक्र किया, वो है मुठभेड़ यानी एनकाउंटर। सीएम योगी ने कई बार ये बात कही कि माफिया या तो प्रदेश छोड़ चुका है या उनका राम नाम हो गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद से पिछले सात वर्षों में 10,902 मुठभेड़ हुई हैं, जिसमें 197 लोग मारे गए हैं। भले ही इन कार्रवाइयों पर मानवाधिकारों के आधार पर सवाल उठाए गए हैं, लेकिन बीजेपी ने इनका इस्तेमाल अपराध के प्रति जीरो टोलरेस पॉलिसी के तहत किया है। वास्तव में, राज्य की कानून और व्यवस्था सत्तारूढ़ दल के लिए बहुत गर्व की बात रही है, यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार के काम की सराहना करने के लिए कई मौकों पर इसका उल्लेख किया है।

नवंबर 2020 में, राज्य सरकार ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए एक कानून लेकर आई। इसी के तहत अब तक लगभग 900 लोगों को जेल में डाल दिया गया। इसके बाद कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और झारखंड सहित कई अन्य बीजेपी शासित राज्यों ने भी ऐसा ही किया। धार्मिक स्थलों पर, विशेष रूप से लाउडस्पीकर के खिलाफ अदालत के आदेश के बाद उनकी कार्रवाई ने भी सुर्खियां बटोरीं। इस आदेश के माध्यम से कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के आरोप में सरकार ने कई हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं की गवाही पेश की, जिन्होंने दावा किया कि उन्होंने सरकार के किसी दबाव के बिना अपने दम पर आदेश का पालन किया है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार के काम की सराहना करने के लिए कई मौकों पर इसका उल्लेख किया है।दिसंबर 2023 में शपथ लेने के बाद मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की ओर से घोषित पहले बड़े फैसलों में से एक धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध था जिसका उपयोग तय डेसिबल स्तर से अधिक किया जाता था।