आखिर क्या है राजनीति के मंगलसूत्र की खबर?

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आज हम आपको राजनीति के मंगलसूत्र की खबर सुनाने जा रहे हैं जिसमें पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी फंसते जा रहे हैं! लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा जुबानी जंग भी तेज होती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को फिर दोहराया कि विपक्षी पार्टी और इंडिया ब्लॉक की नजर ‘लोगों की कमाई और संपत्ति पर है’। उन्होंने एक दिन पहले कहा था कि कांग्रेस सरकार देश की संपत्ति को ‘घुसपैठियों’ और ‘अधिक बच्चे पैदा करने वालों’ में बांट देगी। उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस का आशय मुसलमानों से है। अलीगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के शहजादे कहते हैं कि वे जांच करवाएंगे कि कौन कितना कमाता है। आपके पास कितनी संपत्ति है, आपके पास कितना पैसा है, आपके पास कितने घर हैं। सरकार इस संपत्ति पर कब्जा करेगी और इसे सभी को बांटेगी।’ पीएम मोदी ने कहा कि हमारी माताओं और बहनों के पास सोना है। यह स्त्रीधन है, इसे पवित्र माना जाता है। कानून भी इसकी रक्षा करता है। उनकी नजर आपके मंगलसूत्र पर है।’ जैसे ही पीएम मोदी ने ये टिप्पणी की, कांग्रेस तुरंत पलटवार के मूड में आ गई। पीएम मोदी के ‘मंगलसूत्र’ वाले कमेंट पर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया कि ये बात उनके घोषणापत्र में कही गई है। कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी ने ‘विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण’ बयान देकर आचार संहिता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है। पार्टी ने चुनाव आयोग से पीएम मोदी के खिलाफ एक्शन की मांग कर दी है। यही नहीं पार्टी ने ये भी बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में ‘उन्हें शिक्षित करने’ के लिए पीएम मोदी से मिलने का समय भी मांगा है।

अब सवाल ये कि कांग्रेस की ओर से जारी घोषणा पत्र, जिसे पार्टी ने ‘न्याय पत्र’ नाम दिया है, इसमें कहा क्या गया है? कांग्रेस के घोषणापत्र में संपत्ति के पुनर्वितरण का कोई विशेष उल्लेख नहीं है, लेकिन वादा किया गया है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो वह ‘नीतियों में जरूरी बदलावों के जरिए संपत्ति और आय की बढ़ती असमानता को दूर करेगी’। घोषणापत्र के पहले अध्याय ‘समानता’ में ‘जातिगत भेदभाव’ को ‘रियलिटी’ के रूप में बताया गया है। ये तर्क दिया गया है कि ‘ओबीसी, एससी और एसटी भारत की आबादी का लगभग 70 फीसदी हिस्सा हैं। हाई रैंकिंग वाले प्रोफेशन, सर्विस और कारोबार में उनका प्रतिनिधित्व तय अनुपात से कम है।’ इसके बाद इसमें ‘जातियों और उप-जातियों, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना के लिए राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना कराने’ का वादा किया गया है। इसमें कहा गया है कि ‘आंकड़ों के आधार पर हम सकारात्मक कार्रवाई के एजेंडे को मजबूत करेंगे।’

कांग्रेस के घोषणा पत्र में अल्पसंख्यकों को लेकर कहा गया है कि ‘भारत की पूर्ण क्षमता को साकार करने के लिए माइनॉरिटीज का आर्थिक सशक्तिकरण एक आवश्यक कदम है।’ इसमें यह वादा किया गया है कि सुनिश्चित किया जाएगा बैंक अल्पसंख्यकों को बिना किसी भेदभाव के इंस्टीट्यूशनल क्रेडिट उपलब्ध कराएंगे।’ इसके अलावा, ये भी कहा गया है कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सार्वजनिक रोजगार, लोक निर्माण अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के उचित अवसर प्राप्त हों।

अब सवाल ये कि प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों कहा कि राहुल गांधी लोगों की संपत्ति की जांच की बात कर रहे? दरअसल, राहुल गांधी अक्सर कास्ट सेंशस और उसके बाद इकोनॉमिक मैपिंग की जरूरत के बारे में बोलते रहे हैं। ऐसी टिप्पणी उन्होंने इस चुनाव अभियान के दौरान भी कही हैं। 9 मार्च को उन्होंने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा कि बिहार में किए गए जातीय सर्वेक्षण से पता चला है कि 88 फीसदी गरीब दलित,यही नहीं पार्टी ने ये भी बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में ‘उन्हें शिक्षित करने’ के लिए पीएम मोदी से मिलने का समय भी मांगा है। आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों से आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बिहार से जो आंकड़े आए हैं, वे देश की वास्तविक तस्वीर की एक छोटी सी झलक मात्र हैं। हमें इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि देश की गरीब आबादी किन परिस्थितियों में रह रही है। इसलिए हम दो ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहे- जातीय गणना, इकोनॉमिक मैपिंग। इसके आधार पर हम आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को खत्म करेंगे।