डॉक्टर 3-3 अधजले नवजात को उठाकर भागे:शरीर झुलसकर काला पड़ा, बच्चों का चेहरा देखते ही मां बेहोश हुई

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हाय मेरा बच्चा, एक बार चेहरा तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो यह कहते हुए प्रसूता नीलू बेहोश हो गई। पति ने उसे संभाला। नजारा झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज का है। यहां शुक्रवार रात 10.30 बजे शिशु वार्ड के SNCU (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की जिंदा जलने से मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज में धमाका सुनाई दिया, इसके बाद अफरा-तफरी मच गई। SNCU से धुआं उठते देख डॉक्टर बच्चों को बचाने दौड़े, लेकिन आग से SNCU पूरी तरह जल गया। जिन मशीनों का इस्तेमाल नवजात बच्चों को रखने के लिए किया जाता है, वे मलबे में तब्दील हो गईं। एक-एक कर 10 बच्चों के शव निकाले गए। स्टाफ और लोगों ने 39 बच्चों को रेस्क्यू किया। घटना की खबर मिलते ही दैनिक भास्कर रिपोर्टर मौके पर पहुंचा। यहां तस्वीरें विचलित कर देने वाली थी। पढ़िए भास्कर रिपोर्टर की आंखों देखी… एक डॉक्टर के हाथ में तीन नवजात
हम SNCU वार्ड के करीब पहुंचे, फायर ब्रिगेड की दो छोटी गाड़ी गेट पर लगी थीं। डायल-112 और पुलिस फोर्स तैनात थी। जैसे ही भीड़ के पास पहुंचे, दो डॉक्टरों को देखकर हमारे होश उड़ गए। एक डॉक्टर के हाथ में झुलसा हुआ एक नवजात था। दूसरे डॉक्टर के हाथों में तीन नवजात थे, जो पूरी तरह से झुलस गए थे। आगे बढ़े डॉक्टरों ने पीछे मुड़कर देखा, फिर दोनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पीछे से आवाज आई- अरे राम-राम। सब जल गए…हम भी इनके पीछे दौड़े… करीब 200 मीटर तक गए। डॉक्टरों के पीछे नर्स और परिजन दौड़ रहे थे। वहां मौजूद एक व्यक्ति से पूछा क्या हो गया? उसने बताया- बच्चे जल गए। वार्ड की खिड़की से किया जा रहा था रेस्क्यू
हम SNCU की ओर बढ़े, जहां से ये लोग आ रहे थे। वहां चारों तरफ धुआं था, दवा और इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने की दुर्गंध आ रही थी। लाइट काटी जा चुकी थी, अंधेरा था। पास गए तो देखा- कुछ लोग टॉर्च लेकर खिड़की से वार्ड के अंदर जा रहे थे। वहां मौजूद लोगों ने बताया- अब तक 8 बच्चे जले हुए निकले हैं। संतरा देवी बोलीं- किसी की बच्ची मुझे मिली, मेरा पोता नहीं
हम अस्पताल के अंदर जाने के लिए जैसे ही गैलरी के पास पहुंचे। 50-55 साल की संतरा देवी एक बच्ची को लेकर दौड़ रही थीं। पूछने पर बोलीं- मेरा बच्चा नहीं मिला। यह किसी की बेटी मिल गई। ये भी मर जाती, लेकिन मैं इसे बचा लूंगी। संतरा देवी बच्ची को दूसरे वार्ड पहुंचाने के बाद हमसे लिपटकर रोने लगीं। बोलीं- हम अपने पोते को नहीं बचा पाए। हम दवा लेने गए थे, जब लौटे, तो सभी कहने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हमें मेरा बेटा नहीं मिला है। सभी अपने बच्चे लेकर भागने लगे। अंदर जाने नहीं दिया गया। संतरा ने कहा- हमें कभी भी अंदर नहीं जाने दिया। माइक से कह देते थे कि दवा ले आओ, ये ले आओ बस। इसके बाद वो जोर-जोर से रोने लगती हैं। जलकर राख हुआ SNCU वार्ड
हम वार्ड की तरफ लौटे। आग बुझ चुकी थी, आवाज आ रही थी…अब कोई बच्चा अंदर नहीं है। सभी को निकाल लिया गया है। पीछे से एक फायर ब्रिगेड कर्मी ने कहा- देखना जरा, कहीं भी धुआं हो तो बताना, अंदर से आवाज आई- अब कहीं कुछ नहीं है। इसके बाद धीरे-धीरे यह जगह खाली हुई। हम पास गए। वार्ड पूरी तरह जल चुका था। जिन मशीनों में बच्चों को रखा जाता था, वह जल गई थीं। रोते-बिलखते बदहवास हो गई प्रसूता, पति बोला- डॉक्टर की लापरवाही है
प्रसूता नीलू के पति कुलदीप ने बताया- नीलू कमजोर थी, बेटा सही से सांस नहीं ले पा रहा था। इसलिए बेटे को शिशु वार्ड में रखा गया था। नीलू बार-बार अपने पति से सिर्फ इतना ही कह रही थी कि मेरे बेटे को ला दो। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा के रहने वाले हैं। यहां नीलू का मायका है। डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। समय से पहले बच्चा हो गया, तो परेशानी बढ़ गई थी, लेकिन अब अनहोनी हो गई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने देते थे। सब बाहर ही थे। सड़क पर बेहोश हो गई प्रसूता की सास
नीलू और कुलदीप को ढांढस बंधाने के बाद हम कुछ दूर बढ़े ही थे कि एक प्रसूता की सास सड़क पर बेहोश हो गई। उसके परिजन उसे उठाने के लिए दौड़ पड़े। DM साहब आए, जवाब मिला- 10 बच्चों की मौत हुई
यह सब कुछ महज आधे घंटे के भीतर हुआ। इसके बाद शोर हुआ- DM साहब आ गए हैं। पुलिस वाले गेट की तरफ बढ़ने लगे। हम भी उस तरफ गए। DM अविनाश कुमार ने अस्पताल के स्टाफ से बात की। इसके बाद वह मीडिया से मिले। DM अविनाश कुमार ने कहा- यहां बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है, दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाली यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का सकुशल रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अभी तक 10 बच्चों की मौत की सूचना है। DM ने कहा- घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है, जो इसकी रिपोर्ट देगी। जो बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। DM के जाने के कुछ देर बाद कांग्रेस के नेता पहुंचे, जो लोगों की मदद की बात करते नजर आए। अभी तक हमें यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। इस सवाल के जवाब में हम मेडिकल स्टाफ से भी मिले, लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। संजना बोलीं- मेरा बच्चा जल गया है
DM जैसे ही वहां से निकले। उनकी गाड़ी के पीछे एक महिला दौड़ते हुए दिखाई दी। वह हमारे पास आकर रुकी। बोली- भैया हमारा बच्चा जलकर मर गया है। हमने नाम पूछा, तो बताने लगी- संजना नाम है। इसके बाद फिर उसने दौड़ लगा दी। संजना ने कहा- हमें बस मेरा बच्चा चाहिए। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग
कुछ देर बाद कमिश्नर विमल दुबे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया- अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। बच्चों के वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। CMS बोले- 54 बच्चे भर्ती थे, पूरे कमरे में आग फैल गई
झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा- SNCU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। बाप सिर पटकते हुए बोला- नहीं मिल रहा मेरा लाल सीएमएस की बात सुनने के बाद हम कैंपस के बाहर आकर रुके। यहां एक प्रसूता चीखते हुए कहा- मेरा बच्चा, हाय मेरा बच्चा। नहीं मिल रहा है। बगल में पति बैठा हुआ था। वह बार-बार सिर पटक रहा था। कह रहा था- मेरा बेटा, हाय मेरा बेटा। रेस्क्यू के बाद नॉर्मल वार्ड में रखे गए बच्चे CMS के बयान के बाद हम उस वार्ड में गए, जहां रेस्क्यू के बाद बच्चों को रखा गया था। यहां SNCU जैसी सुविधा नहीं थी। बच्चों को कपड़ों और तौलिए से लपेटकर रखा गया था। स्टाफ भी नहीं दिखाई दिया। लोग बोले- धमाके जैसी आवाज आई
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- आग लगने का शोर हुआ, कुछ देर बाद वार्ड में धुआं हो गया था। इसके बाद धमाके जैसी आवाज भी आई। ऐसा लगा मानो बम फटा हो। फिर डॉक्टर और नर्स भागते दिखाई दिए। ये अस्पताल वालों की लापरवाही से हुआ है। 12 घंटे में जांच रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश
देर रात करीब एक बजे अस्पताल में आधा दर्जन थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। इस दौरान लखनऊ से झांसी तक सूचना आई कि डिप्टी CM बृजेश पाठक के साथ स्वास्थ्य सचिव झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर एक्टिव हो गया। ……………………………………………………. इस हादसे से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जले: SNCU में भर्ती थे, 39 बच्चे खिड़की तोड़कर बाहर निकाले गए झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। वार्ड की खिड़की तोड़कर 39 बच्चों को सुरक्षित निकाला गया। घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग चलते आग लगी। फिर विस्फोट हो गया। कुछ ही देर में पूरे यूनिट में आग लग गई। पूरी खबर पढ़ें…