राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने विनय कुमार सक्सेना सोमवार को दिल्ली के उप राज्यपाल पद पर नियुक्त किया हालाकि अभी इनका सपथ ग्रहण होना बाकी है। हाल ही में अनिल बैजल ने दिल्ली के उप राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। बैजल ने निजी कारणों को अपने इस्तीफे की वजह बताया था। अनिल बैजल 2016 के अंत में दिल्ली के उप राज्यपाल का पदभार संभाला था इससे पहले नजीब जंग के उप राज्यपाल थे।
बैजल 1969 बैच के आईएएस अफसर है, वे अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय गृह सचिव के तौर पर भी सेवा दे चुके हैं।
18 मई 2022 को उन्होने दिल्ली के उप राज्यपाल के पद से भी इस्तीफा दे दिया । बैजल ने अपने कार्य कला में दिल्ली के विकास में अहम योगदान दिया। इसके साथ साथ अनिल बैजल का यह कार्यकाल काफी खींच तान भरा रहा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेद किसी से छुपे नही रहे। हालाकि बजट सत्र 2022-2023 के पहले दिन राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए अभिभाषण में उप राज्यपाल ने न केवल दिल्ली की आर्थिक वृद्धि, सरकार की उपलब्धियों को बताया बल्कि वंचित बच्चों के बीच आश्रय और शिक्षा की दोहरी समस्या को दूर करने के लिए सरकार की योजना की सरहारना की। अपने पूरे कार्यकाल में सिर्फ कुछ ही जगहों पर उप राज्यपाल ने दिल्ली सरकार को सराहा था। इसके अतरिक्त वह केवल दिल्ली सरकार के साथ विवादो को लेकर चर्चा में रहे।
किन किन मुद्दों पर रहा टकराव।
वैसे तो उप राज्यपाल का लगभग पूरा कार्यकाल दिल्ली सरकार से टकरावो से गुजरा पर वही कुछ मुद्दों पर टकराव बहुत ज्यादा रहा। इनमें से कुछ प्रमुख है।
हजार बसो की खरीद की जांच।
1000 बसो की खरीद पर गठित की जांच कमेटी। अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार की बस खरीद पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित की। इस जांच कमेटी में एक रिटायर आईएएस अधिकारी, विजलेंस विभाग के प्रमुख सचिव और दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट कॉमिसिनर शामिल थे।
घर-घर राशन योजना
इसके अतिरिक्त उन्होंने दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना घर घर राशन योजना पर भी रोक लगा दी। हालाकि इसको लेकर दिल्ली सरकार कोर्ट गई जिसपर कोर्ट ने भी हाल में रोक लगा दी। इसके अलावा पूर्व उप राज्यपाल ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमान करते हुए। दिल्ली सरकार के कई मुद्दों पर रोक लगाई।
किसानों की पैरवी करने वाली वकीलों की लिस्ट पर मतभेद
लाल किला हिंसा मामले में कोर्ट में किसानों की पैरवी कौन करे, इस मुद्दे पर भी दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच ठन गई थी । दिल्ली सरकार ने वकीलों का एक पैनल बनाकर मंजूरी के लिए लिस्ट उप राज्यपाल के पास भेजी थी। उप राज्यपाल ने खारिज करते हुए अपनी तरफ से नई लिस्ट दिल्ली सरकार को भेज दी थी। उसके बाद दिल्ली सरकार ने उप राज्यपाल की लिस्ट को भी खारिज कर दिया था।
दिल्ली के अस्पतालों में केवल दिल्ली मरीजों के इलाज वाले फैसले पर रोक और फैसला बदलाव
उपराज्यपाल ने दिल्ली दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल राजधानी के लोगों के इलाज को लेकर दिए दिल्ली सरकार के फैसले को न केवल पलट दिया था बल्कि नए आदेशों को भी जारी किया था। इस आदेश के मुताबिक कोई भी व्यक्ति दिल्ली के अस्पतालों में इलाज करा सकता है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने कहा था कि दिल्ली सरकार के सरकारी हॉस्पिटल और प्राइवेट हॉस्पिटलों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज किया जाएगा।
इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा जब उप राज्यपाल कार्यालय में मंत्रियों के साथ सोए थे दिल्ली के मुख्यमंत्री
जून 2018 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी अपनी मांगों को लेकर रातभर उपराज्यपाल कार्यालय में सोफे पर सो गए थे।
इन्होंने आईएएस अधिकारियों को हड़ताल खत्म करने का निर्देश देने और ‘चार महीनों’ से कामकाज रोके रखे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने मांग कर रहे थे। दिल्ली के इतिहास में यह पहली बार था जब मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने अपनी मांगों को लेकर एलजी ऑफिस में रात बिताई थी।
इन सब राजनीतिक खींच तान के बावजूद भी बैजल ने अपने पूरे कार्य कला को बखूबी निभाया। अब इनका स्थान विनय कुमार सक्सेना दिया गया है।
कौन है विनय कुमार।
विनय कुमार सक्सेना वर्तमान में खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष है। खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन (KVIC) के चेयरमैन के तौर पर उनकी नियुक्ति 2015 में हुई थी। इन्होंने अपनी योजनाओं के दम खादी कपड़ों के उत्पादन में पिछले 5 साल 62 फीसदी का इजाफा करवाया। यही नहीं इन्होंने 400 नए खादी संस्थानों की नींव भी रखी जो खादी ग्रामोद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले गया। इनका ये सफरनामा अब दिल्ली को नए विकास की राह पर ले जाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।