Thursday, November 21, 2024
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यासीन मलिक : आतंकवादी या फरिश्ता

यासीन मलिक को न्यायालय के द्वारा उम्र कैद की सजा सुनाई गयी है, लेकिन कश्मीर में जिस तरीके से विवाद हो रहे हैं, तनाव की संभावनाएं बढ़ रही हैं वह चिंता का विषय है! वह ये सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या यासीन मलिक एक आतंकवादी था या एक फरिश्ता? क्योंकि यासीन मलिक के बारे में कश्मीरियों का कुछ और ही मानना है, उनके अनुसार कश्मीर को आजाद करने में यासीन मलिक का हाथ है, जबकि इसका दूसरा पहलू देखें तो यासीन मलिक की वही व्यक्ति है जिसने कश्मीर घाटी में आतंक को जन्म दिया, यासीन लंबे समय से कश्मीर में रहते हुए भारत के खिलाफ साजिश रचता रहा है। कोर्ट ने 19 मई को टेरर फंडिंग मामले में उसे दोषी ठहराया था।

यासीन मलिक का डरा देने वाला इतिहास 

वैसे तो यासीन मलिक के पिता एक बस ड्राइवर थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा आने वाले समय में कश्मीर का भविष्य बदल देगा, यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल 1966 को हुआ था, यासीन के पिता गुलाम कादिर मलिक सरकारी बस ड्राइवर थे। यासीन की पूरी पढ़ाई-लिखाई श्रीनगर में ही हुई। यासीन मलिक की बात की जाए तो उसका यह दावा था की कश्मीर में सेना का जुल्म देखकर उसने हथियार उठाए। इसके बाद यासीन ने 80 के दशक में ‘ताला पार्टी ‘ का गठन किया। साथ ही, उसने घाटी में कई बार आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। उसके ऊपर कई प्रकार के आरोप लगाए गए हैं! कई बार उसने ऐसे आतंक के काम भी किए हैं जो कोई सोच भी नहीं सकता! एक रिपोर्ट के अनुसार उसने और उसके 10 साथियों ने क्रिकेट मैच के पिच पर जाकर वहां की स्थिति खराब की थी और तोड़फोड़ मचाई थी, 13 जुलाई 1985 को कश्मीर के ख्वाजा बाजार में नेशनल कॉन्फ्रेंस की रैली हो रही थी। उस दौरान सैकड़ों लोग मौजूद थे। 60 से 70 लड़के रैली में पहुंचे और बीच में ही पटाखे फोड़ दिए। उस वक्त हर किसी को लगा कि बमबारी शुरू हो गई है। हर तरफ अफरातफरी का माहौल बन गया। तब पहली बार यासीन मलिक पकड़ा गया। साल 1986 में मलिक ने ‘ताला पार्टी’ का नाम बदलकर ‘इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी आईएसएल’ कर दिया। 1980 का दशक चल रहा था कि तभी यासीन मलिक राजनीति में उतर गया! उस समय कश्मीरी पंडितों पर कई प्रकार के अत्याचार हो रहे थे और उसमें सबसे बड़ा नाम यासीन मलिक का था, 1987 में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में अलगाववादी नेताओं ने मिलकर नया गठबंधन किया। इसमें जमात-ए-इस्लामी और इत्तेहादुल-उल-मुसलमीन जैसी पार्टियां साथ आईं और मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) बनाया। यासीन मलिक ने इस गठबंधन के प्रत्याशी मोहम्मद युसुफ शाह के लिए प्रचार किया। बाद में इसी यूसुफ शाह ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का गठन किया। आज यूसुफ शाह को सैयद सलाहुद्दीन के नाम से जाना जाता है। यासीन मलिक का नाम धीरे-धीरे भारतीय सरकार को खटकने लगा! उसके ऊपर गृह मंत्री की बेटी का अपहरण करने का आरोप लगाया गया, जो सच भी साबित हुआ! 1988 का वह समय था जब 8 दिसंबर 1989 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया। इस अपहरण कांड का मास्टरमाइंड अशफाक वानी था। कहा जाता था कि यह कांड यासीन मलिक के इशारे पर ही हुआ था। इसमें शामिल सारे आतंकवादी जेकेएलएफ से ही जुड़े थे। टाडा कोर्ट ने इस मामले में यासीन मलिक, अशफाक वानी, जावेद मीर, मोहम्मद सलीम, याकूब पंडित और अमानतुल्लाह खान को आरोपी बनाया। 1990 में सुरक्षाबल के जवानों ने अशफाक वानी को मार गिराया था।एक खबर ऐसी आई जिसे सुनकर पूरा देश सन्न रह गया जी हां यासीन मलिक ने भारतीय वायु सेना के चार जवानों को खुलेआम चौराहे पर मार गिराया, इस मामले में भी यासीन मलिक ही आरोपी बनाया गया।यहां बात उसके आतंक कि नहीं, लोगों के विचारों की हो रही है! क्योंकि कई लोग आज भी उसे एक फरिश्ता मान रहे हैं, जबकि इतिहास गवाह है कि यासीन मलिक जैसा क्रूर कोई नहीं हुआ! कश्मीरी फाइल्स तो आपने देखी ही होगी कश्मीर फाइल्स में बिटा का जो किरदार था, वह कहीं ना कहीं यासीन मलिक के किरदार से मेल खाता हुआ नजर आ रहा है, आतंक आतंक होता है उसे फरिश्ते का नाम देना खुद को धूल झोंकने के समान है! यासीन मालिक को उसके कुकर्मों की सज़ा मिल चुकी हैं, परंतु अब भी कई ऐसे आतंकी उसी घाटी में छुपे हुए हैं, जहां से यासीन की शुरुआत हुई थी|

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