ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश देने वाले जज को मिली जान से मारने की धमकी, पुलिस दर्ज की शिकायत

ज्ञानवापी मस्जिद

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश देने वाले जज को धमकी मिली है। इस्लामिक आगाज मूवमेंट के नाम से जज रवि कुमार दिवाकर को रजिस्टर्ड डाक से यह धमकी भरी चिट्‌ठी भेजी गई है। यह मामला सामने आने के बाद जज के लखनऊ और वाराणसी में बने घर की सुरक्षा के लिए 9 अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। वहीं, वाराणसी के कमिश्नर ने कैंट थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच को चिट्‌ठी की जांच करने को कहा है।

लेटर में लिखा- जज भगवा से सराबोर

जज रवि कुमार दिवाकर ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया, एक रजिस्टर्ड लेटर मेरे पास इस्लामिक आगाज मूवमेंट, नई दिल्ली के नाम से आया है। लेटर में लिखा है कि अब न्यायाधीश भी भगवा रंग में सराबोर हो चुके हैं। फैसला उग्रवादी हिंदुओं और उनके तमाम संगठनों को प्रसन्न करने के लिए सुनाते हैं। इसके बाद ठीकरा विभाजित भारत के मुसलमानों पर फोड़ते हैं।’

चिट्‌ठी में आगे लिखा है, ‘आजकल न्यायिक अधिकारी हवा का रुख देख कर चालबाजी दिखा रहे हैं। आपने वक्तव्य दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का निरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है। आप भी तो बुतपरस्त (मूर्तिपूजक) हैं। आप मस्जिद को मंदिर घोषित कर देंगे। कोई भी काफिर मूर्तिपूजक हिंदू न्यायाधीश से मुसलमान सही फैसले की उम्मीद नहीं कर सकता है।’

जज ने फैसले में सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी

सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने 30 दिन पहले ज्ञानवापी में सर्वे से जुड़े फैसले के दौरान अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस फैसले में उन्होंने ज्ञानवापी का सर्वे दोबारा करने का आदेश दिया था, जिसमें कहा था कि सर्वे चाहे ताला खुलवाकर हो या ताला तोड़कर हो, इसे रुकना नहीं चाहिए।

ये फैसले के उस पेज की कापी है, जिसमें जज ने डर की बात लिखी थी। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी का हर हाल में सर्वे कराने का आदेश दिया था।
ये फैसले के उस पेज की कापी है, जिसमें जज ने डर की बात लिखी थी। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी का हर हाल में सर्वे कराने का आदेश दिया था।

इस फैसले में ही उन्होंने लिखा था- साधारण से मामले को असाधारण बनाकर डर का माहौल बना दिया गया है। डर इतना है कि मेरे परिवार को लगातार मेरी और मुझे परिवार की चिंता बनी रहती है। घर से बाहर होने पर बार-बार पत्नी मेरी सुरक्षा के लिए चिंतित रहती है। 11 मई को मां ने मेरी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की। शायद उन्हें पता चला था कि मैं कमिश्नर के रुप में ज्ञानवापी जा रहा हूं। मुझे मां ने मना भी किया कि मैं कमीशन में न जाऊं, क्योंकि वहां मेरी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

जज की सुरक्षा बढ़ी, चिट्ठी की जांच के आदेश
जज ने DGP, अपर प्रमुख सचिव गृह और पुलिस कमिश्नर वाराणसी से इसकी शिकायत की है। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया कि ACJM रवि कुमार दिवाकर को रजिस्टर्ड पोस्ट से मिली चिट्ठी की जांच DCP वरुणा जोन को सौंपी गई है

जज को मिली धमकी से पहले आपको ज्ञानवापी केस से जुड़ी 6 मुख्य बातों के बारे में बताते हैं…

  • 18 अगस्त 2021 को राखी सिंह समेत 5 महिलाओं ने मुकदमा दाखिल किया।

  • 26 अप्रैल 2022 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे आदेश कोर्ट ने दिया।
  • 6 मई को सर्वे शुरू हुआ। 7 मई को विरोध के बाद सर्वे स्थगित हुआ।
  • 12 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन ने आदेश किया कि सर्वे डीएम और पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी है।
  • 13 मई को कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने याचिका दाखिल की।
  • 20 मई को सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय खंडपीठ ने आदेश किया कि ज्ञानवापी से जुड़े मामले की सुनवाई जिला जज करेंगे

ज्ञानवापी का इतिहास

5वीं शताब्दी में अकबर के कार्यकाल में पुनरुद्धार: 15वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर के कार्यकाल में राजा मान सिंह और राजा टोडरमल द्वारा मंदिर का पुनरुद्धार कराया गया था। डा. अल्तेकर की पुस्तक में कहा गया है कि अकबर के शासन काल में बनारस की स्थिति बदली और 1567 में शांति व्यवस्था कायम हुई। सात मार्च 2020 को इससे जुड़े दस्तावेज और 23 छाया चित्र कोर्ट में पेश किए गए थे।

  • 1936 में पूरे ज्ञानवापी परिसर में नमाज पढ़ने के अधिकार को लेकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जिला न्यायालय में दायर किया गया था मुकदमा
  • 7 गवाह दावेदारों की ओर से और 15 गवाह ब्रिटिश सरकार की ओर से पेश किए गए थे
  • 15 अगस्त 1937 को मस्जिद के अलावा अन्य ज्ञानवापी परिसर में नमाज पढ़ने के अधिकार को नामंजूर कर दिया गया था
  • 10 अप्रैल 1942 को सब जज के फैसले को सही ठहराते हुए अपील निरस्त कर दी थी हाई कोर्ट ने