हींग हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होती है! हींग के बारे में तो आप जानते ही होंगे। हींग एक मसाला है जिसका प्रयोग लगभग हर घर में होता है। हींग का प्रयोग ना सिर्फ भोजन को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि इससे कई रोगों में भी लाभ मिलता है। इसके अलावा भी हींग का उपयोग केवल रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में बताया गया है कि हींग स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। हींग कई बीमारियों में काम आती है। इसके सेवन से पेट के कीड़ों, शरीर की गाँठों, पुराने जुकाम, बवासीर, पेट के रोग, गैस, कब्ज, दर्द, अरुचि, पथरी, मधुमेह में लाभ मिलता है। इतना ही नहीं हींग का उपयोग कर पेशाब संबंधित बीमारी, हृदय रोग, पैट की गैस, अपच, भूख की कमी, सूखी खांसी, सांसों की बीमारी तथा उल्टी आदि में लाभ लिया जा सकता है।
हींग की कई प्रजातियाँ होती हैं। हींग का पौधा 1.5-2.4 मीटर ऊँचा, सुंगधित और कई वर्षों तक हराभरा रहने वाला होता है। इसका तना कोमल होता है और इसमें ढेर सारी डालियों होती हैं। इसकी जड़ गोंद तथा गन्धयुक्त होती है। इसके गोंद को मार्च से अगस्त के महीने में निकाला जाता है। इसके तने और जड़ में चीरा लगाकर राल या गोंद प्राप्त किया जाता है, जिसे हींग कहते है। शुद्ध हींग सफेद, स्फटिक के आकार का, 5 मि.मी. व्यास के गोल या चपटे टुकड़ों में होती है तथा हींग निकालने के लिए इसका चार वर्ष पुराना पौधा श्रेष्ठ होता है। इसे पीस कर पाउडर बना लिया जाता है।
हींग, तुम्बरु तथा सोंठ काढ़े में पकाए गए सरसों के तेल को 1-2 बूंद कान में डालने से कानदर्द, कान में सनसनाहट तथा कान में हुए घाव आदि में लाभ होता है।
स्वर्जिका क्षार, सूखी मूली, हींग, काली मिर्च, सोंठ तथा शतपुष्पा काढ़े में तेल को पकाकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान में सनसनाहट, बहरापन तथा कान बहने आदि रोगों में लाभ होता है।
हिंग्वादि तेल को 1-2 बूंद कान में डालने से कर्णशूल (कान के दर्द) ठीक होता है।
हींग को पानी में घिसकर गुनगुना करके 1-2 बूंद कान में डालने से कान के रोग ठीक होते हैं।हींग को थोड़ा गर्म कर लें। इसे जिस दांत पर कीड़े लगे हों वहां लगाकर थोड़ी देर के लिए दबा लें। इससे कीड़े नष्ट होने लगते हैं।हींग को जल में पीसकर गुनगुना कर लें। इसे छाती पर लगाने से दमा, कुक्कुरखांसी, फेफड़े की सूजन में लाभ होता है।द्विरुत्तरहिंग्वादि चूर्ण (हिंगु 1 भाग, वचा, चित्रकमूल, कूठ, सज्जीक्षार, वायविडंग लें। ये सभी द्रव्य प्रथम द्रव्य के दोगुणा) के 1-2 ग्राम का सेवन करने से पेट फूलना, हैजा, पेटदर्द, हृदय रोग, गैस चढ़ना आदि रोगों में लाभ होता है।
हिंग्वादि चूर्ण (हींग 1 भाग, वचा 2 भाग, विड नमक तीन भाग, सोंठ चार भाग, जीरा, पुष्करमूल तथा कूठ) का सेवन करें। इससे तिल्ली बढ़ने, पेट के रोगों, अपच, हैजा और पेट की गैस में लाभ होता है।
भोजन के पूर्व सुखोष्ण जल या मधु से 1-2 ग्राम हिंग्वादि चूर्ण का सेवन करने से गैस बनना, कमर के बाजू में दर्द होना आदि कई रोग नष्ट हो जाते हैं।
इस चूर्ण में बिजौरा नींबू के रस की भावना देकर बनाई गई गुटिका का प्रयोग अधिक फलदायक होता है।
1-3 ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण (सोंठ, मरिच, पिप्पली, अजमोदा, सेंधा नमक, सफेद तथा कृष्ण जीरक लें। सभी की मात्रा बराबर होनी चाहिए। इसके आँठवें भाग घी में भुनी हुई हींग घी मिला लें। इसे भोजन के पहले कौर के साथ खाना चाहिए। यह पाचन को ठीक करके गैस को खत्म करता है।
1-2 ग्राम हिंग्वादियोग (घी में भुनी हींग 1 भाग, बनाय 3 भाग, एरण्ड तेल 9 भाग तथा लहसुन का रस 27 भाग) के सेवन करें। इससे गैस तथा पेट के अन्य रोगों में लाभ होता है।
बिजौरा नींबू का रस 5 मि.ली., घी में भुनी हुई हींग 65 मि.ग्रा., अनार का रस 50 मि.ली., विड लें। इन सबको कांजी के साथ मिलाकर पीने से पेट में बने गैस के गोले में लाभ होता है।
बला, पुनर्नवा, एरण्ड, बृहती द्वय तथा गोक्षुर के 10-30 मि.ली. काढ़ा में 125 मि.ग्रा. हींग, बनाय तथा नमक मिला लें। इसे पीने से शीघ्र ही गैस के कारण होने वाले दर्द में आराम होता है।
हरड़, सौवर्चल लवण, यवक्षार, हींग, सैंधव तथा जीरे के चूर्ण को कांजी के साथ सेवन करने से गैस का दर्द ठीक होता है।
एरण्ड एवं जौ के 10-30 मि.ली. काढ़ा में 250 मि.ग्रा. हींग, सौवर्चल नमक तथा 5 मि.ली. नीबू का रस मिला लें। इसे पीने से गैस का दर्द ठीक होता है।
अजवायन, हींग, बनाय, यवक्षार, सौवर्चल लवण तथा हरड़ चूर्ण को कांजी के साथ पीने से गैस का दर्द ठीक होता है।
हींग, अम्लवेतस, काली मिर्च, आंवला, अजवायन, यवक्षार, हरड़ तथा बनाय लें। इन सभी का बराबर भाग ले कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-2 ग्राम मात्रा में कांजी मिलाकर पीने से तेज गैस दर्द में लाभ होता है।
बराबर मात्रा में पर्पट क्षार तथा हींग को मिलाकर, पीसकर वटी बनाकर जल के साथ सेवन करें। इससे गैस के दर्द में शीघ्र लाभ होता है।
सोंठ तथा एरण्ड मूल के 10-30 मि.ली. काढ़े में 250 मि.ग्रा. हींग तथा सौवर्चल मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक होता है।
बराबर मात्रा में कालानमक, हींग तथा सोंठ चूर्ण को (3-5 ग्राम) गुनगुने जल के साथ सेवन करने से कमर, पीठ तथा हृदय में होने वाले दर्द में लाभ होता है।