एनीमिया खून में होने वाली खतरनाक बीमारी होती है! खून में हीमोग्लोबिन या रेड ब्लड सेल्स की कमी को एनीमिया कहते हैं। इस रोग में शरीर के ब्लड सेल्स का लेवल सामान्य से कम हो जाता है। एनीमिया ज्यादातर औरतों को होती है और इसकी एक मुख्य वजह औरतों का मासिक धर्म होता है। आमतौर पर पुरुषों में 13.5 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन और महिलाओं में 12 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन हो तो इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं।रस-रक्तादि धातुओं में पित्त प्रधान त्रिदोष के कारण धातुओं के पोषण क्रम में शिथिलता उत्पन्न हो जाती है। दोषों के कारण बल, वर्ण और ओज के गुणों का क्षय होने लगता है। परिणाम स्वरूप अल्परक्तता उत्पन्न हो जाती है। फलस्वरूप एनीमिया उत्पन्न हो जाता है।
एनीमिया पोषण के कमी के अलावा और बहुत सारे कारण होते हैं जिनमें ये प्रमुख हैं-
एनीमिया के वंशानुगत रुप है और शिशु जन्म लेने के बाद ही स्थिति से पीड़ित हो सकते हैं।
कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण भी एनीमिया हो सकता है जैसे पोषक तत्वों से रहित आहार भी एक प्रमुख कारक है।
एनीमिया का सबसे मुख्य रुप लोहे की कमी एनीमिया है जिसे आसानी से आहार में बदलाव और आयरन की खुराक प्रदान करने के साथ इलाज किया जा सकता है।
एनीमिया का सबसे बढ़ा कारण आर.ब।सी के असामान्य उत्पादन से होता है।
लाल रक्त कोशिकाओं की कमी रक्तस्राव के कारण हो सकती है, जो अक्सर समय के साथ इस प्रकार का गंभीर रक्तस्राव निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकता है।
जठरात्र से संबंधित समस्याएं जैसे- अल्सर, बवासीर, जठर-शोथ और कैंसर।
महिलाओं में मासिक धर्म और प्रसव, खास तौर से जब मासिक धर्म में अत्यधिक खून बह रहा हो और कई बार गर्भावस्था हुई हो।
यदि आप गर्भवती हों और फोलिक एसिड के साथ मल्टी विटामिन न लेती हो तो आपको एनीमिया होने का जोखिम हो सकता है।
जिन लोगों की उम्र 65 वर्ष से अधिक होती है, उन्हें एनीमिया होने का जोखिम होता है।
महिलाओं में अक्सर एनीमिया की कमी होती है जिसका मूल कारण हैं-
पुरुषों की तुलना में महिलाएं एनीमिया की अधिक शिकार बनती हैं। आजकल के युग में लड़कियों में डाइटिंग का ट्रेन्ड चला है, जिससे यह लड़कियां एनीमिया की शिकार बनती जा रही हैं।
दूध पिलाने वाली महिलाओं को भी एनीमिया हेने का खतरा बना रहता है।
मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्त निकलने से एनीमिया हो सकता है।
गर्भाशय का ट्यूमर होने से भी एनीमिया हो सकता है।
दूध पिलाने वाली महिलाओं को भी एनीमिया होने का खतरा बना रहता है।
हेल्दी महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन का नार्मल लेवल 11 gm/dl होता है।
आम तौर पर असंतुलित भोजन के असर के कारण भी एनीमिया होता है। एनीमिया के कुछ प्रकारों से बचा नहीं जा सकता क्योंकि वह अनुवांशिक होते हैं। लेकिन मूल रूप से डायट में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत होती है। एनीमिया से बचाव के लिए आपको अपनी जीवन शैली में थोड़ा परिवर्तन लाना पड़ेगा। एनीमिया मुख्यत शरीर में खून की कमी से होता है। एनीमिया से बचाव के लिए ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़े जैसे चुकंदर, गाजर, पालक, बथुआ और अन्य हरी सब्जियां। काले चने और गुड़ में भी आयरन भरपूर मात्रा में होता है। सब्जी बनाने के लिए लोहे की कड़ाही का इस्तेमाल करें।जैसे-
एनीमिया के रोगी को भरपूर मात्रा में दूध का सेवन करना चाहिए।
केला, सेब आदि ताजे फलों का सेवन करना चाहिए।
सब्जियों में हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, शकरकंद और अनाज को खाने में शामिल करें।
विटामिन-बी और फॉलिक एसिड को डाईट में शामिल करें।
किशमिश और सूखे आलू बुखारे भी अपनी डायट में शामिल करें।
विटामिन-सी आयरन को शरीर से कम नहीं होने देता। इसके लिए आंवला, संतरा, मौसमी जैसी चीजों को सेवन करना चाहिए।
मूंगफली का मक्खन आयरन युक्त होता है। यदि आपको मूंगफली का मक्खन पसंद ना हो तो आप भुनी हुई मूंगफलियां भी खा सकते हैं।
साबुत अनाज की रोटी आयरन से युक्त होती है। यह आयरन की कमी को पूरा करने में प्रभावशाली होती है।
मछली आयरन युक्त होती है और अनीमिया में उपयोगी होती है।
खजूर आयरन से युक्त होते हैं और एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक होता है।
चाय और कॉफी का सेवन कम करना चाहिए।
विटामिन-सी का सेवन ज्यादा करना चाहिए।
अधिक पानी पीना चाहिए।जीवनशैली-
प्रतिदिन योगाभ्यास करने से एनीमिया जैसी बीमारी दूर की जा सकती है। सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन, श्वासन और पश्चिमोत्तासन करने से पूरे शरीर में रक्त का फ्लो बढ़ जाता है।
दिन में दो बार ठंडे पानी से नहाएं।
सुबह के समय सूरज की रोशनी में बैठें।