अगर डेंगू हो जाए तो क्या करे?

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डेंगू को एक बहुत ही ज्यादा खतरनाक बीमारी माना जाता है! डेंगू एक ऐसी बीमारी है जिससे हर साल कई लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह एडीस इजिप्ती नामक प्रजाति के मच्छरों से फैलता है। यह तब फैलता है जब मच्छर ने पहले किसी रोगी को काटा हो और वह किसी स्वस्थ व्यक्ति के खून में उस वायरस को पहुँचा दें। एडीस इजिप्ती मच्छर सुबह और शाम के समय काटता है। मच्छर के एक बार काटने से भी डेंगू होने की संभावना रहती है।

क्या आप जानते हैं कि दस साल से कम उम्र के बच्चों में डेंगू रोग की संभावना सबसे अधिक रहती है? डेंगू का इलाज समय पर करना जरूरी है, नहीं तो इसके कारण मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू बुखार के कारण बच्चों में मृत्यु दर 6 से 30 प्रतिशत तक होता है और एक साल से कम के बच्चों में मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। क्या आप जानते हैं कि डेंगू का इलाज आप घर पर ही कर सकते हैं। आयुर्वेदिक ग्रंथों में डेंगू के लिए घरेलू उपचार बताए गए हैं जिनको अपनाकर आप डेंगू की रोकथाम या डेंगू होने पर उपचार कर सकते हैं।

डेंगू एक वायरस के कारण होता है जो मच्छरों द्वारा फैलता है। सन् 1779 में डेंगू बुखार का पहला पता लगा। डेंगू में बहुत तेज बुखार होता है। इसे हड्डीतोड़ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इसमें रोगी हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है।डेंगू के वायरस चार प्रकार के होते हैं। डेंगू का बुखार चार प्रकार के वायरस में से किसी एक प्रकार के वायरस के कारण हो सकता है। डेंगू के वायरस को फैलने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है और ये माध्यम मच्छर होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को एक बार डेंगू हो जाए तो ठीक होने के बाद शरीर में उस वायरस के लिए एक विशेष एन्टीबॉडी बन जाती है जिस कारण शरीर में उस वायरस के प्रति रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाए तो उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है और बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिए ही सुरक्षित रहता है। यदि इन तीनों तरह के वायरस में से किसी एक प्रकार के वायरस से व्यक्ति को संक्रमण हो जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है।

सिर्फ लक्षण देखकर ही नहीं खून की जाँच के बाद ही डेंगू बुखार का पता चलता है।

NS1 यह टेस्ट डेंगू के लक्षण सामने आने पर शुरुआती पाँच दिनों के अन्दर किया जाना चाहिए ताकि इसके सटीक परिणाम प्राप्त हो सके। इसके बाद इस टेस्ट को करवाने पर गलत परिणाम भी आ सकते हैं। NS1 टेस्ट शुरुआती पाँच दिनों के भीतर बीमारी का पता लगाने में सक्षम होता है लेकिन इसके बाद इसकी प्रमाणिकता सन्देहास्पद होती है। डेंगू होने पर रोगी को ये लक्षण महसूस होते हैंः-

डेंगू वायरस से संक्रमित होने के 3 से 14 दिनों के बाद ही किसी व्यक्ति में लक्षण दिखते हैं। ज्यादातर 4 या 7 दिनों के बाद लक्षण दिखना शुरू हो जाते है।

डेंगू वायरस के खून में फैलने के एक घंटे में ही संधियों में दर्द शुरू हो जाता है और व्यक्ति को 104 डिग्री तक बुखार भी आ सकता है।

ब्लड प्रेशर का तेजी से गिरना और हृदयगति का कम होना।

आँखों का लाल होना और दर्द होना।

चेहरे पर गुलाबी दाने दिखना डेंगू का सूचक है।

भूख न लगना, सिर दर्द, ठंड लगना, बुखार आना। इन चीजों के साथ डेंगू की शुरुआत होती है।

यह सभी लक्षण डेंगू के पहले चरण में होते हैं। यह चार दिन तक चल सकते है।

डेंगू के दूसरे चरण में बढ़ा हुआ शरीर का तापमान कम हो जाता है और पसीना आने लगता है। इस समय शरीर का तापमान सामान्य होकर रोगी बेहतर महसूस करने लगता है, लेकिन यह एक दिन से ज्यादा नहीं रहता।

डेंगू के तीसरे चरण में शरीर का तापमान पहले से और अधिक बढ़ने लगता है और पूरे शरीर पर लाल दाने दिखने लगते हैं।गिलोय बुखार के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने और शरीर की संक्रमण के विरुद्ध रक्षा में मदद करते हैं। गिलोय के तने को उबाल कर इसका काढ़ा बना कर पिएँ।

2-3 ग्राम गिलोय पीस लें और इसमें 5-6 तुलसी की पत्तियाँ मिला कर एक गिलास पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें और मरीज को पिलाएँ! तुलसी के पत्ते डेंगू बुखार में बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। यह शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। 5-7 तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और इसमें एक चुटकी काली मिर्च मिलाकर पिएँ।मेथी के पत्ते बुखार को कम करते हैं तथा शरीर में दर्द होने पर भी आराम पहुँचाते है। यह डेंगू बुखार के लक्षणों को शान्त करने के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।