वर्तमान में कई तरीके की बीमारियां वायु प्रदूषण की वजह से होती जा रही है! वायु प्रदूषण का स्तर दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है और सर्दियों के मौसम में इसका प्रभाव हमें साफ़ महसूस होने लगता है. अब हालत यह हो गई है कि भारत के कई राज्यों में नवंबर दिसंबर के महीने में वायु प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि खुली हवा में सांस लेना मुश्किल होने लगा है. हालाँकि यह समस्या सिर्फ़ हमारे देश में ही नहीं है बल्कि दुनिया भर में इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है और इससे निपटने के उपाय आजमाए जा रहे हैं! यह बढ़ता वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण को तो नुकसान पहुँचा ही रहा है साथ ही हमारे शरीर के लिए भी यह बहुत हानिकारक साबित हो रहा है. प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण लोग सांस से संबंधित कई गंभीर बीमारियों की भी चपेट में आ रहे हैं!
वायु प्रदूषण से जुड़ी कोई भी खबर पढ़ते या सुनते समय आपने एक शब्द ज़रूर सुना होगा ‘स्मॉग’. दरअसल स्मॉग शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों ‘स्मोक’ और ‘फॉग’ से मिलकर बना है. यह दिखने में कोहरे जैसा ही होता है लेकिन यह उससे काफी अलग होता है. यह धुंध की एक परत है जो वातावरण में हर जगह छायी हुई दिखती है. गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए और ठंड वाले कोहरे के कारण धुंध की परत चारों तरफ फैल जाती है!
कभी कभी यह धुंध इतना गाढ़ी हो जाती है कि धूप भी ठीक से जमीन पर नहीं पहुँच पाती है और ऐसा लगता है जैसे हर समय बादल छाए हुए हैं. यह स्मॉग हमारी सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक है. इस लेख में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि वायु प्रदूषण और ‘स्मॉग’ से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं और आयुर्वेदिक तरीके से आप कैसे इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं!
आमतौर पर आंखों में जलन होना वायु प्रदूषण का सबसे प्रमुख लक्षण माना जाता है. इसके अलावा खांसी होना और नाक में जलन महसूस होना भी इसका लक्षण है. अगर आपको पहले से सांस से संबंधित कोई बीमारी है तो आपको इन दिनों और सतर्क रहने की ज़रूरत है क्योंकि यह स्मॉग सांस से संबंधित बीमारियों को कई गुना बढ़ा सकता है!
दूषित हवा में ज्यादा देर तक रहने पर सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. ऐसा हमारे आसपास की हवा में मौजूद हानिकारक केमिकल में कारण होता है. बेहतर होगा कि इन दिनों आप बाहर कम ही निकलें और निकलने पर मास्क ज़रूर लगाएं!
अगर दूषित हवा के सम्पर्क में आने से आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो इससे बचाव के लिए आप भाप ले सकते हैं. भाप लेने से फेफड़ों में जमा कफ बाहर निकलता है और फेफड़ों में होने वाली जकड़न या कंजेशन से राहत मिलती है. भाप के लिए आप गर्म पानी में नीलगिरी का तेल डालें और पांच से दस मिनट तक भाप लें. आप चाहें तो सिर्फ़ सादे पानी को गर्म करके भी उसकी भाप ले सकते हैं!
प्रदूषित हवा में जैसे ही आप कुछ देर बिताते हैं आखों में जलन शुरू हो जाती है. इस समय दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसे प्रमुख शहरों में अधिकांश लोग इस समस्या से परेशान हैं. बहुत देर तक खुली हवा में रहने या यात्रा करने पर आंखों में जलन के अलावा आंखों से पानी बहना या आँखें लाल होने जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं. आगे बताए गए घरेलू उपचार को आजमाकर आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं लेकिन अगर समस्या बहुत बढ़ गई है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें!
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार आंखों की जलन दूर करने में घी काफी उपयोगी है. इसके लिए अपनी उंगलियों पर थोड़ा सा घी लें और इसे अपनी पलकों पर काजल की तरह लगाएं. कुछ दिनों तक इसका उपयोग करने के बाद आंखों में जलन या आँखें लाल होने जैसी समस्याएं ठीक हो जाती हैं!
वायु प्रदूषण की वजह से आंखों के अलावा नाक में भी जलन होने लगती है. वहीँ कुछ लोगों में नाक बंद होने जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं. इससे बचने का सबसे आसन तरीका तो यह है कि बाहर निकलते समस्या अच्छी तरह मास्क लगाएं जिससे हानिकारक केमिकल नाक में ना जा पाएं!
नाक में होने वाली जलन से राहत पाने के लिए आप घी या अणु तेल (आयुर्वेदिक औषधि) का उपयोग कर सकते हैं. इसलिए लिए रात में सोने से पहले नाक में एक या दो बूँद डालें!