यदि किसी व्यक्ति के हार्ट में ब्लॉकेज है तो वह इन कुछ उपायों को अपनाकर सही हो सकता है! हार्ट ब्लॉकेज की समस्या दिल की धड़कन से जुड़ी एक बीमारी है। हार्ट ब्लॉकेज में मनुष्य की धड़कन सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती है। इस दौरान धड़कन रुक-रुक कर चलती है। कुछ लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है जबकि कुछ लोगों में बड़े होने पर यह समस्या विकसित होती है। हार्ट ब्लॉकेज की समस्या बच्चों से लेकर वृद्धावस्था में किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन मध्यावस्था में मतलब 30 वर्ष के बाद ज्यादा देखने को मिलता है।
प्रायः देखा जाता है कि हार्ट ब्लॉकेज की समस्या में लोग बहुत घबरा जाते हैं और कई तरह की कोशिश करते हैं ताकि हार्ट में हुआ ब्लॉकेज खुल जाए, लेकिन कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। ऐसे में रोगी आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर हार्ट के ब्लॉकेज को खोल सकते हैं। आयुर्वेद में हार्ट ब्लॉकेज को खोलने के लिए कई सारे घरेलू उपाय बताए गए हैं, जिनसे आप लाभ ले सकते हैं। आइए सभी के बारे में जानते हैं।
जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है तो उससे पैदा होने वाला विकार को ह्रदय प्रतिचय या हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। इसके अलावा हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्मजात भी होती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कॉन्जेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं जबकि बाद में हुई समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। हार्ट ब्लॉकेज को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानि ईसीजी टेस्ट किया जाता है।
कोरोनरी आर्टरीज धमनी में किसी भी तरह की रुकावट के कारण हृदय में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ता है। इसे एक्यूट मायोकार्डियल इंफार्कशन कहा जाता है।
ब्लॉक्स, कोलेस्ट्रॉल, फैट, फाइबर टिश्यू और सफेद रक्त सेल्स का मिश्रण होता है, जो धीरे-धीरे नसों की दीवारों पर चिपक जाता है तो इससे हार्ट ब्लॉक होने लगता है। ब्लॉक का जमाव उसके गाढ़ेपन और उसके तोड़े जाने की प्रवृत्ति के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं। अगर यह गाढ़ापन और सख्त होता है तो ऐसे ब्लॉक को स्टेबल कहा जाता है और यदि यह मुलायम होगा तो इसे तोड़े जाने के अनुकूल माना जाता है और इसे अनस्टेबल ब्लॉक कहा जाता है। यह रोग कफप्रधान वातदोष से होता है!
इस तरह का ब्लॉक धीरे-धीरे बढ़ता है। ऐसे में रक्त प्रवाह को नई आर्टरीज का रास्ता ढूंढ़ने का मौका मिल जाता है, जिसे कोलेटरल वेसेल कहते हैं। ये वेसेल ब्लॉक हो चुकी आर्टरी को बाईपास कर देती है और दिल की मांसपेशियों तक आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती है। स्टेबल ब्लॉक से रूकावट की मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता, ना ही इससे गंभीर दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है।
अस्थाई ब्लॉक में, ब्लॉक के टूटने पर, एक खतरनाक थक्का बन जाता है और कोलेटरल को विकसित होने का पूरा समय नहीं मिल पता है। व्यक्ति की मांसपेशियां गंभीर रूप से डैमेज हो जाती हैं। कई बार इससे रोगी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाता है या रोगी कार्डिएक डेथ का शिकार हो जाता है।
हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होता है। प्रथम या शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं होते। सेंकेंड स्टेज में दिल की धड़कन सामान्य से थोड़ी कम हो जाती है और थर्ड स्टेज में दिल रुक-रुक कर धड़कना शुरू कर देता है। सेकेंड या थर्ड स्टेज पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है इसलिए इसमें तुरन्त इलाज की ज़रूरत होती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य लक्षण निम्न हैं-
बार-बार सिरदर्द होना
चक्कर आना या बेहोश हो जाना
छाती में दर्द होना
सांस फूलना
छोटी सांस आना
काम करने पर थकान महसूस हो जाना
अधिक थकान होना
बेहोश होना
गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द होना
अपने पैरों या हाथों में दर्द होना या सुन्न हो जाना
कमजोरी या ठण्ड लगना।
हार्ट से जुड़ी बीमारियों जैसे कि हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, आर्टरी में ब्लोकेज और कोरोनरी आर्टरी डीजीज के इलाज में अर्जुन वृक्ष की छाल फायदा पहुंचाता है। यह कोलेस्ट्रोल लेवल को नियमित रखता है और दिल को मजबूत करता है। बेकार कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में इस औषधि का इस्तेमाल होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसका इस्तेमाल हार्ट ब्लोकेज में किया जा सकता है। इसकी छाल में प्राकृतिक ओक्सिडाइजिंग तत्व होते हैं।