पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा पत्नी जाकिया जाफरी ने 2002 में गुजरात में हुए दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती दी थी। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को अपना फैसला सुनाया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले भी जाकिया जाफरी ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था । जाकिया को शीर्ष अदालत से उम्मीद थी । लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की इस याचिका को भी खारिज कर दिया । सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से जाकिया को बड़ा झटका लगा है । वहीं इस फैसले से वर्तमान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ी राहत मिली है ।
क्या था पर मामला?
बता दें की पूरा मामला 28 फरवरी 2002 के अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में हुए दंगे से जुड़ा है, जहां अपार्टमेंट में आगजनी के कारण पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एहसान जाफरी सहित 68 लोगों की मौत हो गई थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट को दायर की गई अर्जी में जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की टीम पर आरोप लगाया था । जाकिया जाफरी का कहना था कि एसआईटी की टीम के साथ आरोपियों की मिलीभगत है । इसी को लेकर जाफरी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था । कोर्ट ने कहा कि एसआईटी ने दंगों की जांच की है, जांच के बाद तब के गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई है। अयोध्या से कारसेवा कर लौट रहे अहमदाबाद सहित गुजरात के कई शहरों में दंगे भड़के थे। क्योंकि 2 दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 के डिब्बों में आग लगा दी गई थी जिसमें 59 लोग जिंदा जल कर मर गए थे ।
गौरतलब हो कि जाकिया जाफरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है, कि एसआईटी की बात आती है, तो आरोपी के साथ मिलीभगत के स्पष्ट सबूत मिले हैं । जिसके तहत एसआईटी के मुख्य दस्तावेजों की जांच नहीं की गई । सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह वही एसआईटी है जिसने अन्य मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी और आरोपियों को दोषी ठहराया था सुप्रीम कोर्ट के लिए एसआईटी की मिलीभगत एक आपत्तिजनक बात है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए एम खानविलकर , जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस सिटी रवि कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया , उन्होंने 9 दिसंबर 2021 की लंबी सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रखा था । गोधरा हत्याकांड के सांप्रदायिक दंगे भड़कने की मामले में उन्होंने किसी भी बड़ी साजिश के होने से इनकार किया है।
दरअसल 2012 के 18 फरवरी को एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी जिसमें 63 लोग सहित नरेंद्र मोदी और कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सबूत ना मिलने के कारण मुकदमा दायर नहीं चलाया जा सका।
2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया के विरोध शिकायत को मजिस्ट्रेट द्वारा खारिज करने के खिलाफ उसकी चुनौती को खारिज कर दिया था। उच्च पदाधिकारियों द्वारा गोधरा हत्याकांड के सांप्रदायिक दंगे भड़कने में किसी बड़ी साजिश से इनकार किया गया । सुप्रीम कोर्ट से एसआईटी ने कहा कि मामले में एफ आई आर या चार्जशीट दायर करने के लिए कोई आधार नहीं है, दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने जाफरी की बड़ी साजिश के आरोप को नकारा था, साथ ही अदालत ने सटिंग सामग्री को ठुकरा दिया था और जाकिया की शिकायत पर ग्रहण जांच की गई लेकिन कोई सामग्री हाथ नहीं लगी थी।
ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया की विरोध याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा न्यायमूर्ति ने अदालत के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को सही बता कर कहा कि जाफरी की याचिका में कोई दम नहीं है । इससे पहले हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को सही करार दिया था । सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जाकिया की याचिका में मेरिट नहीं है। रिपोर्ट में उच्च पदाधिकारियों द्वारा गोधरा हत्याकांड के दंगे भड़काने में किसी भी बड़ी साजिश से इनकार किया गया । दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने के खिलाफ याचिका का एसआईटी और गुजरात सरकार दोनों नहीं काफी विरोध किया था।