क्या है G7 शिखर सम्मेलन?
दुनिया के सात बड़े देश जिनमें कनाडा ,फ्रांस, जर्मनी ,इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। जिसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं । कथित तौर पर ये विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों के नाम से मशहूर है। ये देश हर साल अपने-अपने देशों के मंत्री और नौकरशाह से आपसी हितों के मामले में चर्चा करने के लिए मिलते हैं।
जिसके बाद प्रत्येक सदस्य अपने देश की मेजबानी शिखर सम्मेलन में करता है, और बारी-बारी से समूह की अध्यक्षता करता है। शिखर सम्मेलन के अंत में सभी देशों की सहमति पर बिंदुओं का जिक्र होता है और एक सूचना जारी की जाती है । इस प्रक्रिया में कई विषयों पर चर्चाएं होती हैं ,जैसे कि वैश्विक सुरक्षा, जलवायु ,एचआईवी ,एड्स ऊर्जा नीति, स्वास्थ्य ,बेरोजगारी, आतंकवाद शिक्षा इत्यादि।
आपको बता दें कि पहली बार 1975 में G6 की पहली बैठक आयोजित की गई थी जिसमें छह देश सदस्य थे । जिनमें फ्रांस, जर्मनी ,ब्रिटेन, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे । जिसके बाद पहले विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन के बाद G7 को अस्तित्व में लाया गया । 70 के दशक में कई देशों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था जिसके बाद इन आर्थिक समस्याओं से समाधान ऊपर विचार किया गया । पहला – तेल संकट, दूसरा – सिक्स करेंसी एक्सचेंज रेट के सिस्टम यानी कि ब्रिटेन वुड्स का ब्रेकडाउन था । इन देशों ने मिलकर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और इस वैश्विक मंदी से निपटने के उपाय खोजें।
पूर्व फ्रांसिस राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी और तत्कालीन चांसलर हेलमुट ने 1975 में G7 विश्व शिखर सम्मेलन की स्थापना की थी।
इस साल हो रहे 48वें G7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवस के विदेश दौरे पर जा रहे हैं । वह 28 जून को यूएई के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद अल नह्यान के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए खाड़ी देश भी जाएंगे । साथ ही नरेंद्र मोदी जर्मनी के चांसलर ओला शोल्ज के निमंत्रण पर शोल्ज जाएंगे, जहां वह G7 शिखर सम्मेलन में 26 और 27 जून को हिस्सा लेंगे । कोविड-19 के बाद G7 सम्मेलन इस तरह का सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जा रहा है।
पीएम मोदी वहाँ 15 से अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे और अपनी यात्रा के दौरान 12 से अधिक देशों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे, साथ ही नेताओं के साथ-साथ अतिथि देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और चर्चा भी करेंगे । भारत के विदेश सचिव विनय मोहन कतरा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी भारतीय प्रवासियों के साथ एक सामुदायिक कार्यक्रम में उनके साथ संवाद भी करेंगे । इस साल नरेंद्र मोदी जर्मनी में होने वाले 48वे G7 शिखर सम्मेलन में पर्यावरण ,खाद्य सुरक्षा ,जलवायु ऊर्जा ,स्वास्थ्य ,लैंगिक समानता, और लोकतंत्र जैसे विषयों पर 2 सत्रों को संबोधित कर सकते हैं।
साथ ही इस साल कई अन्य देश जिनमें अर्जेंटीना, इंडोनेशिया सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका इस सम्मेलन में शामिल हैं । उन देशों को भी आमंत्रित किया गया है ,ताकि वह अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने में प्रयास कर सके साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर सकें।
इस साल G7 में फ्रांस इटली, जापान ,ब्रिटेन ,अमेरिका ,जर्मनी और कनाडा शामिल है । वहीं भारत और चीन जी-20 का हिस्सा हैं ।
G7 को लेकर कई बार आलोचना की जाती हैं और हर साल बड़े स्तर पर शिखर सम्मेलन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किए जाते हैं । इन विरोध प्रदर्शन में पर्यावरण कार्यकर्ताओं से लेकर पूंजीवाद के खिलाफ आवाज उठाने वाले संगठन शामिल होते हैं । G7 के आलोचक ऐसा दावा करते हैं कि यह संगठन प्रभावी नहीं है। हालांकि इस समूह ने कई बार सफलता पाई है और वैश्विक फंड की शुरुआत की है जिसमें एक टीवी और मलेरिया से लड़ने के लिए फंड इकट्ठा किए गए हैं।
भारत और ब्राज़ील जैसे तेजी से बढ़ रहे अर्थव्यवस्था वाले देश G7 का हिस्सा नहीं हैं। जिससे इस समूह को चुनौती मिल रही है। क्योंकि ये देश जी-20 समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। गौरतलब हो कि G7 देशों के बीच कई असहमतियाँ हैं
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2050 तक जी-20 के कुछ देश G7 के कुछ सदस्य देशों को पीछे छोड़ देंगे ,वहीं समूह की कई बार आलोचना भी की जाती है। क्योंकि इन में मौजूदा वैश्विक राजनीति और आर्थिक मुद्दों पर बात नहीं होती है।