Thursday, March 13, 2025
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किन चीजों के कारण हो सकता है अस्थमा अटैक? जानिए!

कई लोगों को आपने देखा होगा जिनको अस्थमा रोग होता है, इन लोगों को कई सावधानियां बरतनी पड़ती है! अस्थमा के मरीज को श्वसन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अस्थमा का कोई इलाज नहीं है, बल्कि इसके मरीज को कुछ विशेष सावधानियां बरत कर इसे कंट्रोल में रखना होता है। अस्थमा किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। फेफड़ों से ऑक्सीजन को बाहर ले जाने वाली नलियों की सूजन और सिकुड़न के कारण अस्थमा की समस्या हो जाती है। गंभीर स्थिति की वजह से अस्थमा के अटैक आने लगते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए अस्थमा का अटैक काफी घातक हो सकता है, लेकिन आप इसके लक्षणों को पहचान कर इसके अटैक को रोक सकते हैं।मरीज में जब अस्‍थमा के लक्षण बढ़ने लगते हैं या फिर अधिक खराब होने लगते हैं, तो इस स्थिति को अस्‍थमा का अटैक आना कहा जाता है। इस स्थिति में फेफड़ों की नलियां और मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। ऐसे में व्यक्ति को सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्‍थमा का अटैक कई बार कारणों से हो सकता है। वहीं, इसके पीछे प्रदूषण, सिगरेट का धुंआ और जुकाम इत्‍यादि कारण हो सकते हैं।अस्थमा अटैक के लक्षण व्यक्ति और व्यक्ति के उम्र पर निर्भर करते हैं। उम्र के अनुसार, अलग-अलग  लक्षण होते हैं। 

गले में घरघराहट की आवाज आना

सांस लेने में तकलीफ

खांसी आना

नाखूनों और होंठ का नीला पड़ जाना

रोगी बोलने, खाने या सोने में दिक्‍कत

गले और चेस्‍ट की मसल्‍स का सिकुड़ना

इनहेलर का इस्‍तेमाल करने के बाद भी परेशानी होना।

सीने में दर्द और अकड़न

छाती में दबाव महसूस होना

अस्‍थमा के लक्षणों के चलते रात में नींद न आना

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन WHO के अनुसार,  अगर किसी व्यक्ति को अचानक से अस्थमा का दौरा पड़ता है, तो उन्हें सबसे पहले सीधे बैठाएं। अब धीमी, लगातार सांसे लेने के लिए कहें। इनहेलर से लगातार सांस लेते रहें। अगर संभव हो सके, तो तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें। नियमित टेस्ट और उचित उपचार से ही आप अस्थमा अटैक को रोक सकते हैं।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार, अस्थमा पूरी दुनिया में सबसे अधिक बच्चों को अपनी चपेट में ले चुका है। करीब 339 मिलियन से अधिक लोग पूरी दुनिया में अस्थमा के साथ जी रहे हैं। कम और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 80% से अधिक मौत अस्थमा के कारण होती हैं। अस्थमा का सही इलाज और उचित प्रबंधन जीवन को बचाया जा सकता है।

किसी भी समस्या या बीमारी से बचने के लिए मरीजों को उसके लक्षणों के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए। अस्थमा अटैक की समस्या में आप जितनी जल्दी इसके लक्षणों को पहचान लेंगे इसके इलाज और बचाव में उतना ही फायदा मिलेगा। अस्थमा की समस्या में मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट, खांसी, सीने और छाती में दर्द और चलने या दौड़ने में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं। जब कुह कारणों से इसका प्रभाव मरीज पर अधिक हो जाता है तो अचानक अस्थमा अटैक हो सकता है। अस्थमा अटैक की समस्या में दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।

अस्थमा अटैक में दिखने वाले सामान्य लक्षण 

सांस लेने में दिक्कत।

सीने में जकड़न और दर्द।

तेज खांसी।

घरघराहट।

चलने में दिक्कत।

अस्थमा अटैक में दिखने वाले गंभीर लक्षण

गंभीर रूप से खांसी की समस्या।

सांस लेने में तकलीफ और तेजी से सांस चलने की समस्या।

हार्टबीट (दिल की धड़कन) में बदलाव।

सीने में गंभीर जकड़न।

स्किन का रंग पीला या बैंगनी हो जाना।

बोलने में दिक्कत।

उलझन होना।

गर्दन और छाती की मांसपेशियों में कसाव।

चेहरे पर पसीना होना।

अस्थमा के मरीजों को किसी भी समस्या अस्थमा अटैक होने का खतरा रहता है। यह समस्या सर्दियों में बढ़ जाती है। ज्यादातर लोगों में अस्थमा अटैक होने का कारण मौसम में बदलाव, सर्दी-जुकाम, एलर्जी होता है। इसके अलावा जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली ज्यादा संवेदनशील होती है उनमें यह समस्या इन्फेक्शन आदि के कारण हो सकती है। कुछ ट्रिगर्स के संपर्क में आने से वायुमार्ग (ब्रोन्कियल ट्यूब) में सूजन बढ़ जाती है जिससे अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। हर व्यक्ति में अस्थमा अटैक के लक्षण और कारण अलग-अलग हो सकते हैं। पहली बार या सामान्य अस्थमा अटैक की समस्या में मरीज इन्हेलर के इस्तेमाल से इस समस्या के दौरान होने वाली दिक्कतों से बच सकते हैं। शुरुआत में इसके लक्षणों को पहचानकर आप अस्थमा अटैक के कारणों से दूर रहकर भी इस समस्या से बचाव कर सकते हैं। जब अस्थमा अटैक की समस्या अधिक गंभीर हो या इसके लक्षण अधिक गंभीर हों तो तुरंत राहत पाने के लिए इन्हेलर का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन उसके तुरंत बाद चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए। कई बार अस्थमा अटैक की समस्या बहुत गंभीर होती है जिसकी वजह से मरीजों में क्यु गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क कर इलाज कराना बहुत जरूरी होता है।

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