सामान्य तौर पर अंगूर हमारे फलों में गिने जाते हैं, लेकिन यह एक औषधि भी है यह किसने सोचा होगा! अंगूर का फल हर उम्र के लोगों को पसंद आता है। यह छोटा सा फल सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। आयुर्वेद में अंगूर के फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार अंगूर, फाइबर, विटामिन सी, विटामिन ई, मैग्नीशियम, साइट्रिक एसिड जैसे पोषक तत्वों का भंडार है। अंगूर का पेड़ भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है और इस पेड़ का हर हिस्सा सेहत के लिए लाभदायक है। यूनानी और अरबी ग्रंथों में भी अंगूर के फायदों का जिक्र मिलता है। रंग,आकार तथा स्वाद के अनुसार अंगूर की कई किस्में पायी जाती हैं, जिनमें काले अंगूर, बैंगनी रंग के अंगूर और लम्बे वाले अंगूर प्रमुख हैं। बिना बीज वाले छोटे अंगूर को ही सुखाकर किशमिश बनाई जाती है। इस लेख में आगे हम आपको अंगूर के फायदे और उपयोग से जुड़ी जानकारी विस्तार से बता रहे हैं।
अंगूर के पके फल शीतल, नेत्रों को हितकारी, पुष्टिकारक, पाक या रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाले, कषाय, मल तथा मूत्र को निकालने वाले, वीर्यवर्धक, पौष्टिक, कफकारक तथा रुचिकारक है। यह प्यास, बुखार, खांसी वातरक्त, पीलिया आदि रोगों में उपयोगी है। कच्चा अंगूर गुणों में हीन, भारी तथा कफपित्तशामक होता है। काली दाख या गोल मुनक्का-वीर्यवर्धक, भारी और कफपित्तशामक है।
किशमिश : बिना बीज की छोटी किशमिश मधुर, शीतल, वीर्यवर्धक और स्वादिष्ट होती है। यह खांसी, बुखार, रक्तपित्त आदि रोगों में उपयोगी है और यह मुंह के कड़वेपन को दूर करती है।
अंगूर के ताजे फल खून को पतला करने, छाती के रोगों में लाभ पहुँचाने वाले और बहुत जल्दी पचने वाले गुणों से युक्त होते हैं। यह खून को साफ़ करते हैं और शरीर में खून बढ़ाने में मदद करते हैं।
अंगूर के फूल कफनिसारक, आर्तववर्धक तथा रक्तवर्धक होते हैं।
अंगूर के बीज शीतल, स्वेदल तथा कषाय होते हैं।
अंगूर के पत्ते अतिसारनाशक तथा स्तम्भक होते हैं।
अंगूर का उपयोग करके आप सिरदर्द से आराम पा सकते हैं, इसके लिए 8-10 मुनक्का, 10 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम मुलेठी को पीसकर नाक में डालें। इससे सिरदर्द से जल्दी आराम मिलता है। गर्मियों के मौसम में कुछ लोगों को नाक से खून बहने की शिकायत होने लगती है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं तो अंगूर का रस 2-2 बूंद नाक में डालें। इससे नाक से खून बहना बंद हो जाता है। 10 मुनक्का और 3-4 ग्राम जामुन की पत्तियां लें और पानी में उबालकर इसका काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से दांतों का दर्द ठीक होता है और मुंह की बदबू दूर होती है। कई बार अपच के कारण भी मुंह से दुर्गंध आने लगती है। इससे निजात पाने के लिए रोजाना 5-10 ग्राम मुनक्का खाएं। थायराइड के मरीजों के लिए अंगूर काफी लाभदायक है। अंगूर के 10 एमएल रस में 1 ग्राम हरड़ चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम नियमपूर्वक पीने से थायराइड में लाभ मिलता है। मुनक्का और हरीतकी से निर्मित 40-60 मिली काढ़े में 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से सर्दी-खांसी में लाभ होता है।
1 ग्राम मिश्री, 500 मिग्रा पीपर, 1 ग्राम मुनक्का तथा 1 ग्राम तिल को शहद के साथ सेवन करें। इससे सर्दी-खांसी से जल्दी आराम मिलता है।
अंगूर, आँवला, खजूर, पिप्पली तथा काली मिर्च, इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसके सेवन से सूखी खांसी तथा कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।
10-10 ग्राम मुनक्का और धान की खील को 100 मिली जल में भिगो दें। 2 घंटे बाद मसल छानकर उसमें मिश्री और शहद मिलाकर सेवन करने से सीने के दर्द से आराम मिलता है।
अंगूर के पके फल शीतल, नेत्रों को हितकारी, पुष्टिकारक, पाक या रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाले, कषाय, मल तथा मूत्र को निकालने वाले, वीर्यवर्धक, पौष्टिक, कफकारक तथा रुचिकारक है। यह तृष्णा, ज्वर, श्वास, कास, वातरक्त, कामला, मूत्रकृच्छ्र, रक्तपित्त, मोह, दाह, शोष तथा मेह में हितकर है। कच्चा अंगूर गुणों में हीन, भारी तथा कफपित्तशामक होता है। काली दाख या गोल मुनक्का-वीर्यवर्धक, भारी और कफपित्तशामक है।
किशमिश-बिना बीज की छोटी किशमिश मधुर, शीतल, वीर्यवर्धक, रुचिप्रद, खट्टी तथा श्वास, कास, ज्वर, हृदय की पीड़ा, रक्त-पित्त, क्षत, क्षय, स्वरभेद, तृष्णा (अत्यधिक प्यास), वात, पित्त और मुख के कड़वेपन को दूर करती है।
अंगूर के ताजे फल-रुधिर को पतला करने वाले, छाती के रोगों में लाभ पहुँचाने वाले, बहुत जल्दी पचने वाले, रक्त-शोधक, खून बढ़ाने वाले, शीतल, मृदुकारक, मूत्रल, विरेचक, आमाशय रसवर्धक, स्वेदक, क्षुधावर्धक, मधुर, रक्तवर्धक, ज्वरघ्न, शोधक, पाचक, कफनिसारक तथा बलकारक होते हैं।
अंगूर के पुष्प कफनिसारक, आर्तववर्धक तथा रक्तवर्धक होते हैं।
अंगूर के बीज शीतल, स्वेदल तथा कषाय होते हैं।
अंगूर के पत्र अतिसारनाशक तथा स्तम्भक होते हैं।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
शिर शूल-8-10 नग मुनक्का, 10 ग्राम मिश्री तथा 10 ग्राम मुलेठी, तीनों को पीसकर नस्य देने से पित्त-विकृतिजन्य शिरशूल का शमन होता है।
नकसीर-2-2 बूंद द्राक्षा रस का नस्य देने से नकसीर बन्द हो जाती है।
मुखरोग-10 नग मुनक्का तथा 3-4 ग्राम जामुन के पत्ते मिलाकर क्वाथ बनाकर कुल्ला करने से दंतशूल, मुखदौर्गन्ध्य तथा अरुचि का शमन होता है।
कफ-विकृति या अजीर्ण के कारण मुख से दुर्गन्ध आती हो तो 5-10 ग्राम मुनक्का नियमपूर्वक खाने से दूर हो जाती है।
गलग्रन्थि-अंगूर के 10 मिली रस में 1 ग्राम हरड़ चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम नियमपूर्वक पीने से गलग्रन्थि का शमन होता है।
अंगूर स्वरस का गरारा करने से कण्ठदाह, शूल तथा शोथ का शमन होता है।
1 ग्राम मिश्री, 500 मिग्रा पीपर, 1 ग्राम मुनक्का तथा 1 ग्राम तिल को शहद के साथ सेवन करने से श्वास, कास तथा छर्दि का शमन होता है।
उरक्षत-10-10 ग्राम मुनक्का और धान की खील को 100 मिली जल में भिगो दें। 2 घंटे बाद मसल छानकर उसमें मिश्री और शहद मिलाकर सेवन करने से उरक्षत में लाभ होता है।
श्वास-कास-मुनक्का और हरीतकी से निर्मित 40-60 मिली क्वाथ में 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से श्वास-कास में लाभ होता है।
द्राक्षा, आँवला, खजूर, पिप्पली तथा काली मिर्च, इन सबको समभाग लेकर पीस लें। इसके सेवन से सूखी खांसी तथा कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।