Friday, October 18, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर और केंद्र समेत कई को नोटिस भेजा है l

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच शिंदे गुट की अर्जियों पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई. दो जजों की बेंच ने सुनवाई की. शिंदे गुट की ओर से नीरज किशन कौल ने बहस किया. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर और केंद्र समेत कई को नोटिस भेजा है. सुनवाई के दौरान शिंदे कैंप ने कोर्ट में दावा किया कि उनके साथ 39 विधायक हैं, ऐसे में महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में है. बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्हें हटाने का प्रस्ताव पेंडिंग है, ऐसे में वह विधायकों की अयोग्यता पर फैसला कैसे कर सकते हैं. इस पर डिप्टी स्पीकर के वकील ने कहा कि प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने पूछा कि अपने खिलाफ आए प्रस्ताव में डिप्टी स्पीकर खुद जज कैसे बन गए? सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही डिप्टी स्पीकर की तरफ से विधायकों को जवाब देने के लिए दिया गया समय 11 जुलाई शाम 5.30 तक के लिए बढ़ा दिया है. कोर्ट में एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज कौल ने दलील रखते हुए कहा कि स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो उन्हें विधायकों की अयोग्यता पर विचार नहीं करना चाहिए. नोटिस जारी करें तो उसके जवाब के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए. बता दें कि डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी कर आज शाम तक जवाब मांगा था l

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले धड़े से पूछा कि वे अपने मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? इस पर शिंदे गुट ने जवाब दिया कि उनकी जिंदगी खतरे में हैं और माहौल इसके लायक नहीं है कि वे मुंबई में अपने मामले की पैरवी कर सकें। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से बागी विधायकों या उनके समर्थको की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। । हमारे पास क्यों आ गए? इस पर शिंदे गुट की ओर से एडवोकेट नीरज किशन कौल ने कहा कि हमारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, हमें धमकाया जा रहा है और हमारे अधिकारों का हनन हो रहा है। ऐसे में हम आर्टिकल 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं।बसे जरूरी मुद्दा यह है कि स्पीकर या डिप्टी स्पीकर तब तक कुर्सी पर नहीं बैठ सकते हैं, जब तक उनकी खुद की स्थिति स्पष्ट नहीं है। डिप्टी स्पीकर ने इस मामले में बेवजह की जल्दबाजी दिखाई। स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया। जब स्पीकर की पोजिशन पर सवाल उठ रहा हो तो एक नोटिस के तहत उन्हें हटाया जाना तब तक न्यायपूर्ण और सही लगता, जब तक वे स्पीकर के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए बहुमत न साबित कर दें। जब स्पीकर को अपने बहुमत पर भरोसा है तो वे फ्लोर टेस्ट से डर क्यों रहे हैं?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बागी मंत्रियों पर सोमवार को बड़ी कार्रवाई की. उन्होंने एकनाथ शिंदे समेत समेत 9 बागी मंत्रियों से उनके विभाग छीन लिए. इन विभागों का प्रभार दूसरे मंत्रियों को दे दिया गया है. एकनाथ शिंदे का शहरी विकास विभाग सुभाष देसाई को दिया गया हैl गुलाबराव पाटिल का विभाग अनिल परब संभालेंगे. इसके अलावा उदय सामंत, संदीपन भुमरे और दादा भुसे के विभागों को आदित्य ठाकरे के हवाले कर दिया गया है. सीएम कार्यालय का कहना है कि जनहित के मुद्दों की उपेक्षा न हो, इसके लिए ये विभाग दूसरे मंत्रियों को सौंपे गए हैं.नारायण राणे ने ट्वीट कर शिवसेना पर निशाना साधा है, उन्हों कहा कि शिवसेना की शक्ति अतीत में जमा हुई. युवराज को धमकी देना बंद कर देना चाहिए. जो अपने अंगों पर मच्छरों को नहीं मार सकते. उन्होंने सवाल दागते हुए पूछा कि ‘गुवाहाटी के होटलों से बाहर निकलेंगे विद्रोहियों की लाशें’, जैसे बयान पर कौन विश्वास करेगा? उन्होंने पूछा कि क्या ऐसी धमकी देना अपराध नहीं है?

बता दें कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट शिंदे की याचिका पर सुनवाई करते हुए डिप्टी स्पीकर की ओर से राजीव धवन, अजय चौधरी औऱ सुनील प्रभु की ओर से सिंघवी को नोटिस जारी किया गया है. कोर्ट ने 5 दिन में हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. हलफनामे का जवाब 3 दिन में दाखिल कर पाएंगे. अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी l

 

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