सामान्य तौर पर हमारे वैदिक विज्ञान में सभी औषधियों को हमारे लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी माना गया है! कूठ एक बहुत ही गुणी औषधि है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में कूठ के फायदे के बारे में अनेक अच्छी-अच्छी बातें बताई गई हैं। कूठ का प्रयोग कर शारीरिक कमजोरी को दूर किया जा सकता है। कूठ का उपयोग मलती, पेट दर्द, पेट में कीड़े आदि होने पर भी किया जाता है। इतना ही नहीं कूठ हिचकी की समस्या, खुजली, उल्टी, अत्यधित प्यास लगने की समस्या सहित रक्त विकार के लिए भी फायेदमंद होता है।आपके लिए यह जानकारी बहुत ही जरूरी है क्योंकि यहां कूठ के प्रयोग से जुड़े अनेक उपाय बताए जा रहे हैं। इस जानकारी को पाने के बाद आप ना सिर्फ खुद को या अपने परिवार को या फिर अपने जान-पहचान वाले को कूठ का लाभ पहुंचा सकते हैं बल्कि सभी को निरोगी बना सकते हैं।कूठ को कूट भी बोलते हैं। कूठ का प्रयोग बहुत प्राचीनकाल से चिकित्सा के लिए किया जा रहा है। कुष्ठ के प्रतिनिधि द्रव्य के रूप में तगर एवं पुष्करमूल का प्रयोग मिलता है।
एरण्डमूल और कूठ का चूर्ण लें। इसमें कांजी के साथ पीसकर सिर पर लेप के रूप में लगाएं। इससे सिर दर्द से आराम मिलता है।
शुण्ठी, कूठ, चक्रमर्द बीज, देवदारु और रोहिषतृण को समान मात्रा में लें। इन्हें गोमूत्र में पीसकर, थोड़ा गर्म करके लेप के रूप में लगाएं। इससे कफज दोष के कारण होने वाली सिर दर्द से राहत मिलती है।
कूठ तथा एरण्ड की जड़ को पानी में पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द से आराम मिलता है।10-15 मिली कूठ की जड़ा के काढ़ा में 500 मिग्रा छोटी इलायची चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।कूठ के चूर्ण को पान में रखकर चबाने से खांसी का इलाज होता है।
देवदारु, हेमवती वचा, कूठ, शतपुष्पा, हिंगु एवं सेंधा नमक लें। इन्हें कांजी आदि अम्ल द्रव्य से पीसकर पेट पर लेप करने से गैस की समस्या से लाभ होता है।
60 मिग्रा सज्जीक्षार में 1-2 ग्राम कूठ तथा 60 मिग्रा यवक्षार को तेल के साथ मिलाकर सेवन करने से वातज दोष के कारण होने वाली पैट की गैस की समस्या में लाभ होता है।
60 मिग्रा सज्जीक्षार, 1-2 ग्राम कूठ तथा सेंधा नमक को मिला लें। इसे गुनगुने जल के साथ सेवन करने से पेट की गैस की परेशानी में लाभ होता है।
बराबर मात्रा में कूठ, कालीनिशोथ, दन्ती मूल, हरीतकी, यवक्षार तथा गुग्गुल का चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को गोमूत्र के साथ पीने से पेट साफ हो जाता है और पेट की गैस की समस्या ठीक हो जाती है।
सर्षप तेल में चुक्र, कूठ एवं सेंधा नमक मिला लें। इन्हें हल्का गर्म कर मालिश करने से पेट में ऐंठन की परेशानी ठीक होती है।
कूठ, धान का लावा, कमलगट्टा, वट प्ररोह तथा मुलेठी से बने 1-3 ग्राम चूर्ण में मधु मिलाकर, वटी बना लें। इसका सेवन करने से अत्यधिक प्यास लगने की समस्या ठीक होती है।5 किलो कूठ चूर्ण में 1 किलो मधु,1-1 किलो घी तथा 5 मिली कमलकेशर को मिला लें। इन्हें 180 दिन तक धान में दबाकर रख दें। इसे फिर निकालकर रोज 2-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से बल, बुद्धि, सौभाग्य, शारीरिक बल तथा कामशक्ति की वृद्धि होती है।
कूठ को तेल में पका लें। इससे बवासीर के मस्सों को लगाएं। इसके बाद ईट का चूर्ण या खुरासानी अजवायन आदि की पोटली बनाकर मस्सों को सेकने से बवासीर में लाभ होता है।कूठ, जीरा तथा गुड़ को समान मात्रा में मिला लें। इसकी 125-125 मिग्रा की गोली बना लें। रोज 1-1 गोली को खाने से सुजाक में लाभ होता है।
10-30 मिली कूठ की जड़ के काढ़ा में 500 मिग्रा छोटी इलायची का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से गठिया की गंभीर अवस्था में भी लाभ होता है।कूठ तेल की मालिश करने से गठिया में लाभ होता है।
10-15 मिली कूठ की जड़ काे काढ़ा में 500 मिग्रा छोटी इलायची चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से सांसों के रोग में लाभ मिलता है है।1-2 ग्राम कूठ के चूर्ण में शहद मिलाकर रोगी को चटाने से सांसों की बीमारी में लाभ होता है।
कूठ, गुग्गुल, सरल, देवदारु, केसर, अजगंध तथा अश्वगंधा को सरसों के तेल में पका लें। इसमें मधु मिलाकर मात्रानुसार सेवन करने से लकवा रोग में तुरंत लाभ होता है।
सर्षप तेल में चुक्र, कूठ एवं सेंधा नमक मिलाकर हल्का गर्म कर लें। इससे मालिश करने से हैजा ठीक होता है।
सात दिन तक बिजौरा नींबू के रस में भिगोए हुए कूठ के पेस्ट में मधु मिला लें। इसका चेहरे पर लेप करने से चेहरे पर होने वाले विकार खत्म होते हैं और चेहरे की रौनक बढ़ती है।कूठ, सरसों, तिल, हल्दी तथा दारुहरिद्रा को जल में पीसकर, लेप करने से रंग निखरता है और शरीर की कांति बढ़ती है।जामुन के पत्ते, अर्जुन के पत्ते तथा कूठ की बारीक चूर्ण को रोज शरीर पर मलकर नहाने से शरीर से पसीने की बदबू नहीं आती है।पान, कूठ तथा हरीतकी को समान मात्रा में लेकर जल में पीस लें। इसे शरीर पर लेप करने से शरीर की बदबू खत्म होती है।
कूठ के चूर्ण में मक्खन मिलाकर शरीर पर लगाने से त्वचा रोग में लाभ होता है।
कूठ चूर्ण को सिरके में पीसकर उसमें शहद मिला लें। इसे लगाने से चेहरे की झाई, दाद, कुष्ठ रोग, खुजली तथा बालतोड़ में लाभ होता है।
कूठ चूर्ण का काढ़ा बनाकर बीमार अंग को धोने से त्वचा विकार ठीक होते हैं।
कूठ का चूर्ण बनाकर घावों पर डालने से घाव के कीड़े मर जाते हैं तथा घाव जल्दी भर जाता है।कूठ, गुग्गुल, सरल, देवदारु, केसर, अजगंध तथा अश्वगंधा से सरसों तेल को मधु मिलाकर मात्रानुसार सेवन करने से मासिक धर्म विकार में तुरंत लाभ होता है।