Wednesday, March 12, 2025
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क्या आप की आंखों में भी रहता है सूखापन?

अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोगों की आंखें लाल और सुर्ख रहती है! आँखों का सूखापन एक ऐसी बीमारी है जिसमें आँसू उचित मात्रा में आँख में नहीं पहुँच पाते और आँखों में नमी कम हो जाती है। यह आँखों की बहुत ही कष्टकारक समस्या है, इस समस्या में जलन, खुजली, किरकिरापन, आँखों को हमेशा मलते रहने की जरुरत महसूस होना, आँखों से पानी निकलना, आँखों का सिकुड़ कर छोटा हो जाना ये सब लक्षण पाए जाते है, शुरूआत में आँखों का सूखापन सोने या घरेलू उपायों से ठीक हो जाते हैं लेकिन बार-बार ये समस्या होने पर नजरअंदाज करना आँखों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाकर आंखों का इलाज कराएं।आयुर्वेद में ड्राई आई सिंड्रोम को शुष्क अक्षि कहा गया है। आहार में पोषक तत्वों की कमी और अनुचित जीवन-शैली के कारण शुष्क अक्षि की समस्या हो जाती है, इसमें नेत्र रुक्ष, लाल एवं देखने में कठिनाई होती है। शुष्काक्षि रोग यह वात, पित्त एवं रक्त के असंतुलन के कारण होता है जिसमें मुख्यत वात एवं रक्त की वृद्धि देखी जाती है।

आँखों में सूखापन या आँखों में नमी की कमी होने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं। जैसे-

ज्यादा देर तक कम्प्यूटर में काम करना।

कॉन्टैक्ट लेंस का दीर्घकालिक प्रयोग।

ए.सी. में अधिक देर तक बैठना।

प्रदूषण के कारण।

दर्द निवारक, उच्च रक्तचाप एवं अवसाद दूर करने वाली दवाओं का सेवन।

सूजन या विकिरण से आँसू, ग्रंथियों को पहुँचा किसी प्रकार का नुकसान जिसके चलते आँसूओं के उत्पादन में कमी हो जाती है।

विटामिन ए की कमी।

बुढ़ापे के कारण, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में कई बार आँसूओं का उत्पादन घट जाता है।

मुँहासें के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली आइसोट्रेटीनियोन दवाएं।

इंसान की आँखों में अश्रु पर्त होती है। ये टियर फिल्म तीन परतों से मिलकर बनती है। इस फिल्म की सबसे अंदरुनी व महीन परत को म्यूकस लेयर  कहा जाता है। आँसू पानी, सोडियम क्लोराइड, सूसन और प्रोटीन से मिल कर बनते है जिसमें पानी मुख्य रूप से मौजूद होते है।ड्राई आई सिंड्रोम में या तो आँख में आंसू कम बनने लगते है या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती। आँसू आँख के कॉर्निया एवं कन्जंक्टिवा को नम व गीला रख कर उसे शुष्कता से बचाते है।  साथ ही आँसू में संक्रमण से बचाव करने वाले एंटीबैक्टेरियल पदार्थ, जैसे, लाइसोसोम्स, लैक्टोफेरीन भी मौजूद होते है।टियर फिल्म की सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली लेयर कहा जाता है। लिपिड लेयर आँसू के उड़ने या सूखने की समस्या से बचाती है और आँख की पलकों को चिकनाई प्रदान करती है, जिससे किसी इंसान को पलक झपकने में आसानी होती है।

आँखों में पलकों के अंदरूनी कोनें में जब निकासी नलिकाओं में प्रवाह होता है, जो नाक के पिछले हिस्से से निकलता है। ड्राई आईस तब होती है जब आँसू का बनना और उसकी बाहर निकलने में संतुलन नहीं हो पाता है। सूखी आँखों वाले लोग या तो पर्याप्त आँसू पैदा नहीं करते या फिर उनके आँसू खराब गुणवत्ता के होते है।

ड्राई आई सिंड्रोम में आँखों के सूखेपन के अलावा भी बहुत सारे आम लक्षण होते हैं। चलिये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं-

आँखों में सूखेपन के साथ जलन एवं खुजली होना।

आँखों में किरकिरापन व कुछ गिरा होने का आभास होना।

आंखों का धुंधलापन

आँखों से पानी निकलना।

प्रकाश की असहनीयता।

आँखों का सिकुड़ कर छोटा हो जाना।

आँखों में थकान व सूजन।

आँखें प्रकृति का श्रेष्ठतम उपहार हैं अतः आँखों की देखभाल करनी चाहिये। आँखों को शुष्कता से बचाने के लिये अधिक देर तक कम्प्यूटर के सामने नहीं बैठना चाहिये या स्मार्ट फोन का अधिक प्रयोग, अधिक टी.वी. देखना, इन सबसे बचना चाहिये साथ ही आँखों में सीधी हवा न लगने दें, प्रदूषण एवं धूप में आँखों पर चश्मा लगाये।

आहार में सभी पोषक तत्वों को शामिल करें मुख्यत विटामिन ए जो कि आँखों के लिये बेहद जरूरी है। यदि कम्प्यूटर में अधिक देर तक काम करना भी पड़े तो कुछ समय के अन्तराल में आँखों को कुछ देर के लिये बन्द करके आराम दें और आँखों में गुलाब जल डालें और ठंडे पानी से आँखों को धोएं। इसके अलावा जीवनशैली और आहार मे भी कुछ बदलाव लाकर ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षणों को रोका जा सकता है-

ताजा फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और नट्स जिनमें ओमेगा 6 फैटी एसिड होते है। आवश्यक फैटी एसिड और पोषक तत्व आँखों के टियर फिल्म के पानी और तेल युक्त जलीय परतों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है।

शोध के अनुसार फैटी एसिड्स, विटामिन बी-6, विटामिन सी और डी को बढ़ाने से 10 दिनों के भीतर आँसू उत्पादन में वृद्धि होती है। विटामिन डी मुख्यत नट्स जैसे अखरोट में पाया जाता है।

व्यायाम की कमी, अस्वस्थ जीवनशैली कारक तत्व जैसे धूम्रपान, एल्कोहल का सेवन या अत्यधिक तनाव से बचे।

शुष्क आँख वाले रोगियों में पोटाशियम बहुत कम होता है। इसलिए गेहूँ के बीज, बादाम, केले, किशमिश, अंजीर और एवोकाडो शामिल है।

आलू के दो टुकड़े काटकर इन्हें फ्रिज में रख दें। ठंडे हो जाने पर निकाल लें और अपनी आँखों पर 15-20 मिनट के लिए रखें। आंखों के सूखेपन के इलाज का यह सबसे कारगर घरेलू नुस्खा है।आयुर्वेद में वर्णित महात्रिफलादि घृत का दूध के साथ सेवन करें।एक चम्मच शहद में आँवले का रस मिलाए और इसको पिए, इसे पीने से आंखों का सूखापन दूर होता है तथा यह नेत्र को अन्य संक्रामक रोगों से भी बचाता है।गुलाब जल आँखों को ठंडक  पहुँचाता है और आँखों में नमी बनाए रखता है। दिन में 3-4 बार आँखों में गुलाब जल डालें। गुलाबजल आंखों से जुड़ी कई समस्याओं के इलाज में फायदेमंद है।

खीरे के दो छोटे टुक़ड़ों को आँखों पर 10-15 मिनट के लिए रखें, इससे आँखों को ठंडक मिलती है।  आँखों में हल्का गर्म सेंक करने से भी आँखों के सूखेपन में राहत मिलती है।अरंडी का तेल आँखों के रूखेपन को दूर करने में में मदद करता है क्योंकि अरंडी का तेल आँखों में नमी को लाकर रूखेपन को कम करता है अरंडी का तेल को आभ्यन्तर उपयोग करने से भी आँखों के रूखेपन में आराम देता है।

नारियल का तेल एक नेचुरल लुब्रीकेंट का काम करता है जिससे इसका उपयोग करने से आंखों का रूखापन दूर करने में मदद मिलती है। अगर आप भी आंखों के सूखेपन से परेशान हैं तो नारियल तेल का उपयोग करें. उपयोग सम्बन्धी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।

आँखों के सूखेपन की वजह से जलन, खुजली और धुंधला दिखाई देने जैसे लक्षण नजर आते हैं जिससे किसी भी कार्य को करने में परेशानी होती है। प्रकाश के प्रति असहनीयता एवं आँखों में किरकिरापन व्यक्ति की सामान्य दिनचर्या में बाधा पहुँचाता है। यदि घरेलू उपचार करने से 4-5 दिन के भीतर आराम नहीं मिलता तो डॉक्टर के पास जाकर आंखों के सूखेपन का इलाज कराएं।

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