Friday, October 18, 2024
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एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध

नई दिल्ली : सरकार कम उपयोगिता और उच्च कूड़े की क्षमता वाली एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत 1 जुलाई से कम उपयोगिता और उच्च कूड़े की क्षमता वाले एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाएगा। राज्य सरकारें एक प्रवर्तन अभियान शुरू कर इस तरह की वस्तुओं के निर्माण, वितरण , भंडारण और बिक्री से जुड़ी इकाइयों को बंद कराने की पहल करेंगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी उन्होंने कहा कि प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसमें पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) की धारा-15 और संबंधित नगर निगमों के उपनियमों के तहत, ज़ुर्माना, जेल की अवधि या दोनों शामिल हैं। राष्ट्रीय राजधानी में राजस्व विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने प्रतिबंध को लागू करने के लिए क्रमशः 33 और 15 दलों का गठन किया है।दिल्ली में प्रतिदिन 1,060 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। राजधानी में कुल ठोस कचरे का 5.6 प्रतिशत (या 56 किलो प्रति मीट्रिक टन) एकल उपयोग प्लास्टिक होने का अनुमान है। दिल्ली पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत चिन्हित एसयूपी वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण बिक्री और उपयोग और अन्य निषिद्ध गतिविधियों में संलग्न इकाइयों को तुरंत बंद कर दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि डीपीसीसी पुष्टि क्षेत्रों में प्रतिबंध का अनुपालन सुनिश्चित करेगा और अनौपचारिक क्षेत्र में इसके कार्यान्वयन के लिए एमसीडी और अन्य स्थानीय निकाय जिम्मेदार होंगे।

प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कच्चे माल की स्थानीय आपूर्ति की कमी और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे का हवाला देते हुए कई उद्योगों के साथ-साथ छोटे व्यवसाय सरकार से अनुरोध कर रहे थे कि प्रतिबंध को कम से कम छह महीने से एक साल तक लागू किया जाए। एमएसएमई क्षेत्र ने विशेष रूप से आग्रह किया था कि पूरे जिले में प्रतिबंध का असर 80,000 छोटे व्यवसायों पर पड़ सकता है। हालांकि, नवीनतम घोषणा के साथ सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि प्रतिबंध निर्णय के अनुसार लागू होगा। प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम (संशोधन) नियम, 2021 को पिछले साल अगस्त में अधिसूचित किया था। जिसमें ‘कम उपयोगिता और उच्च कूड़े की क्षमता’ के आधार पर पहचान की गई 19 प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।सूची में प्लास्टिक कटलरी, स्ट्रॉ, स्टिरर, कैंडीज के लिए प्लास्टिक की छड़ें, गुब्बारे, साथ ही प्लास्टिक पैकेजिंग और सजावट के लिए उपयोग किए जाने वाले पॉलीस्टाइनिन शामिल हैं। पिछले साल से 75 माइक्रोन से कम मोटे और 120 माइक्रोन से कम मोटे प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है। प्रदेश सरकार केनोटिफिकेशन के अनुसार 1 जुलाई के बाद किसी दुकानदार पर एसयूपी का सामान पाया गया तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। 100 ग्राम कैरीबैग मिलने पर 500 रुपये, 500 ग्राम तक मिलने पर 1500 रुपये, 1 किलो तक 3 हजार रुपये, 5 किलो तक 10 हजार, 10 किलो तक 20 हजार व 10 किलो से अधिक सामान मिलने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

पर्यावरण मंत्रालय की टास्क फोर्स प्रतिबंधित एकल-उपयोग प्लास्टिक (एसयूपी) वस्तुओं के किसी भी अवैध निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग की जांच करेगी।भारत हर साल लगभग 41 लाख (4.12 मिलियन) टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है। पिछले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है। भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा सालाना 3.5 किलो है। कुल प्लास्टिक खपत का सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा 10 से 35 फीसदी है। एमएसएमई इकाइयों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है, ताकि उन्हें सीपीसीबी/एसपीसीबी/पीसीसी के साथ-साथ लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम मंत्रालय तथा केंद्रीय पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग संस्थान (सीआईपीईटी) और उनके राज्य-केन्द्रों की भागीदारी के साथ प्रतिबंधित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के विकल्प के निर्माण के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जा सके। ऐसे उद्यमों को प्रतिबंधित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक के निर्माण को बंद करने में सहायता करने के भी प्रावधान किये गए हैं।

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