नई दिल्ली : चंडीगढ़ में शुक्रवार को शिअद कोर कमेटी की बैठक हुई। बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हमने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया है । पार्टी का मानना है कि ‘ वह अल्पसंख्यकों, शोषित और पिछड़े वर्गों के साथ-साथ महिलाओं की प्रतीक हैं और देश में गरीब व आदिवासी वर्गों के प्रतीक के रूप में उभरी हैं।’ यही वजह है कि पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में उनका समर्थन करेगी। सिख समुदाय पर अत्याचारों के कारण हम कांग्रेस के साथ कभी नहीं जाएंगे। इससे पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी द्रौपदी मुर्मू को ही समर्थन देने की बात कही थी। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में अब द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा ही मैदान में हैं। 96 लोगों के नामांकन रद्द होने के बाद अब इन दो उम्मीदवारों के बीच ही मुकाबला होगा। राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को राष्ट्रपति चुनाव का पीठासीन अधिकारी बनाया गया है। बीजेपी के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बृहस्पतिवार को पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल से बात की और राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए समर्थन मांगा था। फोन पर हुई इस बातचीत के दौरान बादल ने नड्डा को कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया लेकिन उन्होंने कहा कि अकाली दल के नेताओं से चर्चा करने के बाद उन्हें अपनी राय से अवगत करा देंगे की बात कही थी। अब अकाली दल राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू का समर्थन देने का ऐलान कर दिया है
केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में अकाली दल राजग से बाहर हो गया था और उसकी नेता हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही दशकों पुराना दोनों दलों को गठबंधन टूट गया था। इस साल की शुरुआत में पंजाब विधानसभा के चुनाव में अकाली बदल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था जबकि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा के नेतृत्व वाले दलों के साथ गठबंधन किया था। हालांकि भाजपा और अकाली दल को इस चुनाव में कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई। गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल ने तीन कृषि कानून के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया था. बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद शिअद का चुनावों में खराब प्रदर्शन रहा है. पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार उसने बसपा के साथ गठबंधन किया था. लेकिन उसे बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा. वहीं संगरूर उपचुनाव में भी शिअद को पांचवां स्थान हासिल हुआ था और उनके उम्मीदवार की जमानत भी जब्त हो गई थी.
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अकाली दल किसी भी कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकता, क्योंकि कांग्रेस सिख विरोध है. इसलिए हमने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल हमेशा से ही कमजोर वर्गों के साथ खड़ा रहता है.सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि अकाली दल कभी ऐसे उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकता जिसे कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया है, क्योंकि कांग्रेस ने न केवल श्री दरबार साहिब पर हमला किया बल्कि 1984 में सिखों के कत्लेआम की भी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि बढ़ते विभाजनकारी और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मौजूदा माहौल में भाजपा के साथ हमारा गंभीर विरोध है। विशेष रूप से एनडीए सरकार के तहत अल्पसंख्यक समुदाय में असुरक्षा बरकरार है। उन्होंने कहा, “यह मुद्दा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला का है और उन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका मिल रहा है।” बादल ने कहा, ”अपने राजनीतिक मतभेदों को अलग रखते हुए, हमने सही रास्ता चुनने का फैसला किया है। शिअद का इतिहास बताता है कि उसने हमेशा गरीबों, अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्ग के लिए लड़ाई लड़ी। अकाली दल फिर भी मुर्मू का समर्थन करता है क्योंकि वह न केवल महिलाओं की गरिमा का प्रतीक हैं बल्कि आदिवासी वर्ग से भी संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि कोर कमेटी की पार्टी मुख्यालय में तीन घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के अंत में प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक के बाद अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पार्टी मानवाधिकारों को विशेष रूप से धार्मिक सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खतरे से भी चिंतित है, जैसा कि सिखों के खिलाफ और पंजाब के साथ अन्याय को उजागर करने वाली सामग्री पर प्रतिबंध लगाने में देखा गया है। पार्टी अपने मूल पंजाबी समर्थक, अल्पसंख्यक समर्थक, किसानों की हितैषी और गरीबों के हितैषी एजेंडे से कभी नहीं हटेगी।