बीजेपी की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है!बनर्जी ने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मुर्मू के पास 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बेहतर संभावना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक आम सहमति वाला उम्मीदवार हमेशा देश के लिए बेहतर होता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि अगर भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतारने से पहले उनके साथ चर्चा की होती तो विपक्षी दल एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार का समर्थन करने पर विचार कर सकते थे।
बनर्जी ने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मुर्मू के पास 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बेहतर संभावना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक आम सहमति वाला उम्मीदवार हमेशा देश के लिए बेहतर होता है।
बनर्जी ने यहां एक रथयात्रा कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, भाजपा की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पास महाराष्ट्र में हुए डेवलपमेंट के कारण (राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए) बेहतर संभावनाएं हैं। अगर भाजपा ने मुर्मू के नाम की घोषणा करने से पहले हमारा सुझाव मांगा होता तो हम भी अधिक हितों को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार कर सकते थे।
टीएमसी सुप्रीमो ने कहा कि वह विपक्षी दलों के फैसले के मुताबिक ही चलेंगी। बता दें कि कांग्रेस और टीएमसी सहित गैर-भाजपा दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार के रूप में नामित किया है।
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के चुने हुए सांसदों के अलावा राज्यों के चुनए हुए विधायक वोट दे सकते हैं। 28 राज्यों के अलावा दिल्ली और पुड्डुचेरी के विधानसभा सदस्य भी इस चुनाव में वोट डाल सकेंगे। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के 776 सांसद वोट देने के योग्य होंगे और हर सांसद के वोट का मूल्य 700 रखा गया है। इसका मतलब सांसदों के कुल वोटों का मूल्य 543200 होगा।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 98 लोगों ने पर्चा भरा था जिसमें से केवल दो उम्मीदवार बचे हैं। नामांकन और जांच की प्रक्रिया खत्म होने के बाद बाकी अभी लोगों के पर्चे खारिज कर दिए गए। 2 जुलाई नाम वापस लेने की आखिरी तारीख है।
चुनाव के पीठासीन अधिकारी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 29 जून को नामांकन की आखिरी तारीख खत्म होने तक कुल 98 लोगों ने 115 सेट नामांकन पत्र भरा। इनमें से 26 लोगों के नामांकन उसी समय तकनीकी कारणों से रद्द कर दिए गए थे, जब इसे उन्होंने भरा था। बाकी 72 लोगों के नामांकन पत्र की जांच गुरुवार को की गई जिनमें से केवल एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और यूपीए उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का नामांकन ही सही पाया गया।
ममता बनर्जी ने कहा कि यदि हमें पता होता कि वे आदिवासी महिला या फिर अल्पसंख्यक समुदाय के किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना चाहते हैं तो फिर हम भी विचार करते। हमारे मन में आदिवासी समुदाय के लोगों के प्रति बहुत सम्मान है और वह तो एक महिला भी हैं। उन्होंने कहा कि एपीजे अबुल कलाम के वक्त भी हुआ था।
उन्होंने कहा कि हमारा 16 से 17 पार्टियों का गठबंधन है और हम अकेले ही पीछे नहीं हट सकते हैं और भी लोग हैं। वहीं अब ममता बनर्जी की टिप्पणी पर कांग्रेस का भी रिएक्शन आया है।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हो सकता है कि उन पर भाजपा की ओर से दबाव हो। अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी ने ही अपने फैसले पर सभी से सहमत होने को कहा था। ममता बनर्जी का नाम भी उन्होंने ही सुझाया था। अब वह अपनी जिम्मेदारी से ही भाग रही हैं।
उन्होंने कहा कि अब वह यूटर्न लेती हैं तो इसका मतलब होगा कि भाजपा से उन्हें कॉल आया है। उन पर पीएम नरेंद्र मोदी का दबाव होगा। आखिर उनके पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे रिश्ते भी हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए तो बीजेपी का मुकाबला करना सिद्धांतों की लड़ाई है।
ममता ने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मुर्मू के पास 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बेहतर संभावना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक आम सहमति वाला उम्मीदवार हमेशा देश के लिए बेहतर होता है।
बीजेपी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पास महाराष्ट्र में हुए डेवलपमेंट के कारण (राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए) बेहतर संभावनाएं हैं। अगर बीजेपी ने मुर्मू के नाम की घोषणा करने से पहले हमारा सुझाव मांगा होता तो हम भी अधिक हितों को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार कर सकते थे।