आज हम आपको ऐसे वकील के बारे में बताने वाले हैं जिसने इस सरकार से लेकर न्यायालय तक सब को घेर लिया है! सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने एक इंटरव्यू में मोदी सरकार से लेकर न्यायपालिका तक को सुना दिया। नेताओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे देश में यह दुख की बात है कि कानून व्यवस्था इतनी कमजोर है कि जो केसेज नेताओं के खिलाफ हमें जल्दी से निपटाने चाहिए उसका फायदा लेकर नेता सत्ता में बने बैठे हैं। यह देश के लिए अच्छी बात नहीं है। कुछ समय पहले चीफ जस्टिस रमन्ना ने नेताओं के खिलाफ केसेज जल्दी निपटाने की बात कही थी लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। ‘लल्लनटॉप’ को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट या किसी कोर्ट की आलोचना के सवाल पर दवे ने साफ कहा कि आलोचना करना अपने देश में मौलिक अधिकार है और जज कानून के ऊपर नहीं हैं। जजों के फैसले की आलोचना जरूर हो सकती है लेकिन उन्हें निजी तौर पर क्रिटिसाइज नहीं कर सकते हैं। आप सत्य बोल रहे हैं तो कंटेम्प्ट नहीं हो सकता है। क्या आज के समय में आलोचना हो पा रही है? इस सवाल पर दवे ने ‘लल्लनटॉप’ को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि आज दुर्भाग्य की बात है कि देश में डर का माहौल बन गया है। प्रधानमंत्री देश में काफी पॉपुलर हैं। बता दें कि कि दुबे ने कहा कि सुबह से शाम तक आदमी काम करता है। मुश्किल से रोटी पकाता है और सो जाता है। यह कोई जिंदगी है। न कपड़े हैं ठीक से, न घर है, मनोरंजन तो भूल ही जाइए। जब तक हम इन सवालों को ठीक तरह से एड्रेस नहीं कर पाएंगे, . 7 प्रतिशत जीडीपी है और बीएसई 60 हजार या 65 हजार है। उससे क्या मतलब है। यह 2-4 प्रतिशत लोगों के लिए अच्छा होगा। जब तक आप गरीबी से लोगों को बाहर न निकाल सकें तब तक क्या मतलब है। उनके सामने विपक्ष का कोई ऐसा नेता है। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं मित्रों से कहता हूं कि पीएम और भाजपा को जरूर बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने लोगों से हिम्मत ले ली है, छीन ली है। आज हम सही बात नहीं कर सकते हैं। आज किसी भी ड्रॉइंग रूम में ओपन चर्चा नहीं हो सकती है। देश में पोलराइजेशन हो गया है! ‘ सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है कि इस तरह खरी-खरी बोलने वाले दुष्यंत दवे कौन हैं? इस इंटरव्यू में दवे ने अपने बारे में भी बताया है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील से पूछा गया कि क्या वह संडे को ‘मन की बात’ सुनते हैं? दवे ने जवाब दिया, ‘नहीं, मैं मन की बात नहीं सुनता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि बात करने से ज्यादा काम करना जरूरी है। आज एक ऐसी चीज हो गई है कि देश में जबर्दस्त स्ट्रेंथ है और आज देश की शक्तियों को सही दिशा में नहीं ले जाया जा रहा है। आज देश में सही आंकड़े ही नहीं हैं। सही आंकड़े लें तो 80 से 90 करोड़ लोग गरीबी की रेखा के नीचे जी रहे हैं।’ यह कहते हुए उनका गला भर आया। उन्होंने कहा कि सुबह से शाम तक आदमी काम करता है। मुश्किल से रोटी पकाता है और सो जाता है। यह कोई जिंदगी है। न कपड़े हैं ठीक से, न घर है, मनोरंजन तो भूल ही जाइए। जब तक हम इन सवालों को ठीक तरह से एड्रेस नहीं कर पाएंगे, . 7 प्रतिशत जीडीपी है और बीएसई 60 हजार या 65 हजार है। उससे क्या मतलब है। यह 2-4 प्रतिशत लोगों के लिए अच्छा होगा। जब तक आप गरीबी से लोगों को बाहर न निकाल सकें तब तक क्या मतलब है।
दवे ने आगे कहा कि पीएम इतने सशक्त और मेहनती हैं लेकिन मैं मानता हूं कि वह सही रास्ते पर देश को नहीं ले जा रहे हैं। जब तक आप हर एक वर्ग को साथ में न ले जाएं… एमपी में बीजेपी का सदस्य एक दलित के ऊपर बाथरूम कर सकता है। आज महिलाओं की स्थिति देखिए केवल 1 प्रतिशत केसेज रेप के रिपोर्ट हो रहे हैं। बता दें कि श्री दवे ने पहले तमिलनाडु में जयराज और बेनिक्स की हिरासत में हत्या पर परिलक्षित किया, बाद में भारत में कस्टोडियल अत्याचार के मौजूदा कानूनी निहितार्थों को इंगित करते हुए भारतीय साक्ष्य अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय दायित्व, जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किए, विशेष रूप से 9 दिसंबर, 1975 संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई अत्याचार घोषणा पर।