Monday, December 23, 2024
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एक ऐसा व्यक्ति जिसने एक बिल्डिंग को लाशघर बना दिया!

आज कहानी एक ऐसे व्यक्ति की जिसने एक बिल्डिंग को लाशघर बना दिया! जैसे एक कवि खुद को गुनगुनाने से रोक नहीं सकता, उसी तरह मैं भी कत्ल करने से खुद को नहीं रोक सकता था। अब ये सच है तो है, मैं कुछ नहीं कर सकता’… ये कबूलनामा है उस इमारत के मालिक का जिसने जिंदा लोगों के लिए तैयार किया था ‘लाशघर’। इतिहास के पन्नों में कई ऐसे नाम दर्ज है जिन्होंने अपने वहशीपन से पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था और इनमें से एक था हरमन जिसने अपना नाम बदलकर एच एच होम्स रख लिया औऱ अमेरिका में ऐसी तबाही मचाई कि जिसके निशान आज भी मौजूद हैं। एक किसान परिवार में पैदा हुआ हरमन पहले तो साधारण जिंदगी जी रहा था। पांच भाई-बहनों में से एक हरमन अपने पिता की फार्मिंग में मदद करता, लेकिन जब वो 18 साल का हुआ तो उसने मेडिकल में दाखिला लिया और डिग्री हासिल की। 1882 में वो एक अस्पताल में एनाटॉमी डिपार्टमेंट में काम करने लगा। बस यहीं से शुरू हुआ उसका एक नया सफर। सफर जिंदा हैवान बनने का। उसकी जिंदगी लाशों के इर्द-गिर्द घूमने लगी। वो मेडिकल के लिए कब्र से लाशें लाता था।

लाशों के बीच रहते-रहते हरमन उर्फ होम्स के दिमाग में चलने लगी थी खौफनाक साजिश। उसने पास ही वीरान इलाके में काफी सारी जमीन खरीदी और फिर उस जमीन में एक खास तरह की इमारत तैयार की। ये इमारत बाहर से बेहद भव्य नजर आती थी, लेकिन अंदर इसे इस तरह से तैयार किया गया था कि यहां से कोई भी आवाजें बाहर नहीं जा सकती थी। इसकी एक मंजिल में ऑफिस थे, दूसरी मंजिल में दुकाने जबकि तीसरी मंजिल में उसने होटल बनाने की बात की थी, लेकिन ये होटल कभी नहीं बन पाया और इसी होटल को उसने तब्बदील किया लाशघर में।

ये बात है 1891 की… हरमन की इमारत में शिकागो का ही रहने वाला एक शख्स कॉर्नर अपनी दुकान चलाता था। कॉर्नर की पत्नी और एक बेटी उसके साथ वहीं पास में ही रहता था। हरमन की पत्नी बेहद खूबसूरत थी। हरमन का कॉर्नर की पत्नी के साथ अफेयर शुरू हो गया। ये बात जब कॉर्नर को पता चली तो वो वहां से सबकुछ छोड़कर कर चला गया। हरमन की पत्नी और उसकी छोटी सी बेटी हरमन की भव्य इमारत में आकर रहने लगे। कुछ दिन तो हरमन ने कॉर्नर की बीबी के साथ वक्त गुजारा और फिर वहीं उसी बिल्डिंग के अंदर मां-बेटी दोनों को मार डाला। किसी को पता नहीं चल पाया कि वो मासूम बच्ची और कॉर्नर की पत्नी कहां गायब हो गए।

इसके बाद अपने एक और नौकर की पत्नी एमलिन को भी हरमन अपनी उसी बिल्डिंग में ले आया। उसके साथ भी कुछ वक्त बिताने के बाद उसने उसी बिल्डिंग के अंदर उसे गायब कर दिया। वो इमारत इस ढंग से बनाई गई थी कि किसी को पता ही नहीं चलता था कि लाशें जाती कहां हैं। न किसी को आवाजें आती थी और न ही कोई दिखाई देता था। हरमन को नई-नई लड़कियों की लत लग चुकी थी। उसने इसे अपना तरीका बना लिया था। वो पहले सुंदर लड़कियों से दोस्ती करता, फिर उन्हें अपने घर में रहने का ऑफर देता। उनके साथ कुछ दिन बिताता और फिर उसी बिल्डिंग के अंदर तड़पा-तड़पा कर मार डालता।

इस दौरान बेंजिमन नाम के शख्स से उसने दोस्ती की थी। बेंजिमन ने उसे कई तरह के हथियार बनाकर दिए जिनकी मदद से वो लड़कियों को मारता था। कहते हैं तीसरी मंजिल में वो लड़कियों के कत्ल करता था और फिर इमारत के बेसमेंट में ही उन्हें कहीं गाड़ देता था। जब हरमन गिरफ्तार हुआ था तो खुद उसने ये बात कबूल की थी।

हरमन दुनिया के लिए एक अमीर आदमी था, लेकिन बेंजिमन को उसके कई राज पता चल चुके थे। वो कई लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाके मौत दे चुका था। अब उसका दिल बेंजिमन की पत्नी पर ही आ गया था। वो बेंजिमन को अपने रास्ते से हटाना चाहता था। इस बार हरमन ने एक बेहद खतरनाक साजिश रची जो बेंजिमन भी नहीं समझ पाया। उसने बेंजिमन से कहा कि अगर हमें और पैसा कमाना है तो हमें तुम्हारी मौत का झूठा नाटक खेलना होगा। तुम्हें झूठी मौत देकर तुम्हारी जगह पर किसी और लाश रखनी होगी। जिसके बाद हम इन्शयोरेंस के करोड़ों रुपये क्लेम करेंगे।

बेंजिमन को हरमन का ये आइडिया पसंद आया। सबकुछ तय हो चुका था, बस झूठा कत्ल करना था, लेकिन हरमन ने अपने सीक्रेट प्लान के मुताबिक सचमुच में बेंजिमन को मौत दे दी। उसके बाद वो बेंजिमन की पत्नी के साथ अपनी इमारत में रहने लगा, लेकिन इस बार वो पुलिस के निशाने पर आ गया। वो युरोप भागने की प्लानिंग कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे धर दबोचा। पूछताछ के दौरान उसने कई तरह की बातें की। उसने बताया कि वो शैतान के कब्जे में था। कब्र से लाशें लाते हुए वो उसे पोजेस कर लिया गया था। हालांकि इस तरह की बातें अक्सर अपराधी खुद के बचाव के लिए करते रहते हैं। उसने पुलिस को बताया कि वो 27 लोगों की जान ले चुका है जिनमें से ज्यादातर लड़कियां हैं।

1896 में इस शैतान को फांसी की सजा सुनाई गई। लाशघर को अमेरिकी गवर्मेंट ने अपने कब्जे में लिया। कई सालों तक वहां डाकघर चलता रहा। वो बिल्डिंग आज भी लोगों के बीच काफी चर्चित है। अमेरिका ने हरमन या एच एच होम्स जो भी कह लीजिए उसे सीरियल किलर माना। 35 साल की उम्र में हरमन को सजा-ए-मौत मिल चुकी थी।

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