आखिर कैसी होती है दुनिया भर में परेड की सलामी?

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आज हम आपको बताएंगे कि दुनिया भर में परेड की सलामी कैसी होती है! आपने भारत-पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर पर होने वाली परेड यानी बीटिंग द रिट्रीट जरूर देखी होगी। बॉर्डर के गेट खुलते हैं, दोनों देशों के सैनिक जोश के साथ सलामी देते हैं और गेट बंद हो जाते हैं। इस समारोह को देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचते हैं और देशभक्ति नारेबाजी की आवाज दूर-दूर तक गूंजती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में अनोखे अंदाज में परेड होती है। कहीं स्लो मोशन में सैनिक परेड करते हैं तो कहीं खास यूनिफॉर्म पहनकर परेड में शामिल हुआ जाता है। आज हम आपको दुनिया के कुछ ऐसी ही परेड के बारे में बताने जा रहे हैं। ​भारत के बाघा बॉर्डर पर जो परेड होती है, उसे ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह या ‘लोअरिंग ऑफ द फ्लैग्स’ समारोह के नाम से जाना जाता है। यह एक सैन्य समारोह है जो भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित बाघा बॉर्डर पर हर शाम को आयोजित किया जाता है। इस समारोह में दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी सीमाओं पर विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए परेड के दौरान दिखावटी और ऊर्जावान प्रदर्शन करते हैं। समारोह की शुरुआत में सैनिक दोनों देशों के झंडे को सावधानीपूर्वक उतारते हैं और उसके बाद वे उच्च ऊर्जा और समन्वित कदमों के साथ परेड करते हैं। इस प्रक्रिया में तेज कदम चाल, लंबे कदमों का प्रदर्शन, और दोनों तरफ के सैनिकों द्वारा जोरदार नारे लगाए जाते हैं। यह समारोह अंतरराष्ट्रीय समझौते और दोनों देशों के बीच सम्मान का प्रतीक है।

पाकिस्तान में बाघा बॉर्डर के समानांतर, वाघा-अटारी बॉर्डर पर जो परेड होती है, वह भी भारतीय पक्ष की परेड के समान ही होती है। पाकिस्तानी रेंजर्स और भारतीय बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के बीच संचालित, यह परेड दोनों देशों की सैन्य शक्ति और समन्वय का प्रदर्शन करती है। परेड में पाकिस्तानी रेंजर्स विशेष वर्दी पहनते हैं और ऊँचे कदमों के साथ मार्च करते हैं, जिसे ‘गूस स्टेप’ के रूप में जाना जाता है। परेड के दौरान, दोनों पक्षों के सैनिक एक-दूसरे की ओर मुखातिब होकर अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वजों को सम्मान के साथ नीचे उतारते हैं और फिर ध्वजारोहण करते हैं। समारोह में दोनों देशों के सैनिक न केवल अपने-अपने ध्वजों को नीचे उतारने की क्रिया में भाग लेते हैं, बल्कि वे ऊर्जावान और समन्वित ढंग से परेड करते हुए, दृढ़ता और सम्मान के साथ अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन भी करते हैं।लहराते हुए दो कदम पीछे जाते हैं। इसके बाद धीमी गति में लंबे कदमों से आगे बढ़ना शुरू करते हैं। अगर बात उनकी शाही पोशाक की करें, तो गार्ड्स ने सफेद रंग की स्कर्ट और लेंगिंग्स को पहना है। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है, और यह समारोह दोनों तरफ के नागरिकों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण बन गया है।

भारत और पाकिस्तान में जहां जोशीले अंदाज में परेड होती है, वहीं ग्रीस में रॉयल गार्ड्स की परेड अपने स्लो मोशन स्टाइल के लिए काफी चर्चित है। इंटरनेट पर ग्रीस के रॉयल गार्ड्स के मार्च का एक वीडियो वायरल हो रहा है। ग्रीस के सैनिक शाही पोशाक और जूते पहनते हैं और खास अंदाज में हाथ-पैर हिलाकर परेड करते हैं। रॉयल गार्ड्स हवा में पैर लहराते हुए दो कदम पीछे जाते हैं। इसके बाद धीमी गति में लंबे कदमों से आगे बढ़ना शुरू करते हैं। अगर बात उनकी शाही पोशाक की करें, तो गार्ड्स ने सफेद रंग की स्कर्ट और लेंगिंग्स को पहना है।

वेटिकन सिटी में, पोंटिफिकल स्विस गार्ड नामक एक छोटी सेना सैनिक परेड करती है। यह परेड स्विस गार्ड की रक्षा बदलने, विशेष अवसरों का जश्न मनाने और पर्यटकों का मनोरंजन करने के लिए आयोजित की जाती है।इस समारोह में दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी सीमाओं पर विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए परेड के दौरान दिखावटी और ऊर्जावान प्रदर्शन करते हैं। समारोह की शुरुआत में सैनिक दोनों देशों के झंडे को सावधानीपूर्वक उतारते हैं और उसके बाद वे उच्च ऊर्जा और समन्वित कदमों के साथ परेड करते हैं। इस प्रक्रिया में तेज कदम चाल, लंबे कदमों का प्रदर्शन, और दोनों तरफ के सैनिकों द्वारा जोरदार नारे लगाए जाते हैं। यह समारोह अंतरराष्ट्रीय समझौते और दोनों देशों के बीच सम्मान का प्रतीक है। सबसे खास होती है इन सैनिकों की यूनिफॉर्म। परेड करने वाले गार्ड्स आम सैनिकों से अलग चमकीली पोशाक पहनते हैं। वहीं ये गार्ड्स सिर पर भी ऐतिहासिक कवच पहनते हैं, जो सदियों से प्रचलन में है।