आखिर बीजेपी से वापिस कैसे जुड़े चंद्रबाबू नायडू?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि चंद्रबाबू नायडू बीजेपी से वापस कैसे जुड़ गए हैं! 2024 के चुनावी रण में बीजेपी ने एनडीए गठबंधन के लिए 400 पार का टारगेट सेट किया है। इसके लिए पार्टी लगातार अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी है। इसी कड़ी में बीजेपी का आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और पवन कल्याण की जेएसपी के साथ डील फाइनल हो गया है। टीडीपी सांसद कनकमेदला रवींद्र कुमार ने पुष्टि की है कि तेलुगु देशम पार्टी टीडीपी, एनडीए में शामिल हो रही है। बीजेपी ने टीडीपी-जनसेना के साथ गठबंधन किया है।इस अलायंस के बाद चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि गठबंधन से आंध्र प्रदेश को फायदा होगा। बीजेपी-टीडीपी का एक साथ आना देश और राज्य के लिए लाभप्रद स्थिति है। गठबंधन को लेकर तेलगुदेशम पार्टी के मुखिया एन. चंद्रबाबू नायडू और जन सेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण के साथ गृह मंत्री अमित शाह की मीटिंग हुई। दिल्ली में हुई बैठक के बाद गठबंधन का ऐलान हो गया।बीजेपी-टीडीपी और जेएसपी में गठबंधन के बाद तीनों पार्टियों की ओर से ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी किया गया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू और जन सेना पार्टी प्रमुख पवन कल्याण ने संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की जमकर तारीफ की। इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी बीते 10 साल से देश की प्रगति में लगातार काम कर रहे हैं। अब इसमें टीडीपी और जेएसपी भी शामिल होकर आंध्र प्रदेश के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में सहयोग करेंगे। बीजेपी-टीडीपी के बीच पुराना संबंध रहा है। टीडीपी ने 1996 में एनडीए ज्वाइन किया था। ये अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और फिर 2014 की नरेंद्र मोदी की सरकार में साथ काम किया। अब एक बार फिर टीडीपी और बीजेपी एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेंगी।

 आंध्र प्रदेश में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं। जानकारी के मुताबिक, जो सीट शेयरिंग फॉर्म्युला तय हुआ है उसमें बीजेपी 6, जनसेना पार्टी 2 और टीडीपी 17 सीटों पर कैंडिडेट उतारेगी। वहीं आंध्र प्रदेश में होने वाले विधानसभा को लेकर भी सीट बंटवारे पर बातचीत हुई है। सूबे में 175 विधानसभा सीटें हैं। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने साफ कहा है को वो 145 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में बीजेपी और जनसेना पार्टी के हिस्से में 30 सीटें ही आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक दोनों दलों के बीच 30 सीट को लेकर फैसला हो चुका है। बीजेपी की कोशिश विजाग, विजयवाड़ा, अराकू, राजमपेट, राजमुंदरी, तिरूपति समेत कुछ प्रमुख चुनावी क्षेत्रों को अपने पास रखने की है। माना जा रहा कि टीडीपी और जनसेना पार्टी के साथ बातचीत में ये प्वाइंट भी उठा। बीजेपी का फोकस आगामी लोकसभा चुनावों में अकेले 370 सीटें जीतने का है। इस सफलता को हासिल करने के लिए वो क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन को महत्वपूर्ण मान रही है। यही वजह है कि आंध्र प्रदेश के अलावा, बीजेपी ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजेडी से भी चुनावी समझौते को लेकर प्लानिंग में है।

आंध्र प्रदेश में बीजेपी टीडीपी के साथ आने की अहम वजह हैं। दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी आगामी चुनावों में अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहती है। पांच साल पहले, वाईएसआर कांग्रेस राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 22 सीटें और 175 विधानसभा क्षेत्रों में से 151 सीटें जीतने में सफल हुई थी। इसके विपरीत, बीजेपी को पिछले चुनावों में चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा था। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में थी। ऐसी स्थिति में पार्टी लोकसभा और विधानसभा दोनों में एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हो सकी थी। प्रधानमंत्री मोदी बीते 10 साल से देश की प्रगति में लगातार काम कर रहे हैं। टीडीपी और जनसेना पार्टी के साथ बातचीत में ये प्वाइंट भी उठा। बीजेपी का फोकस आगामी लोकसभा चुनावों में अकेले 370 सीटें जीतने का है। इस सफलता को हासिल करने के लिए वो क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन को महत्वपूर्ण मान रही है।अब इसमें टीडीपी और जेएसपी भी शामिल होकर आंध्र प्रदेश के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में सहयोग करेंगे। बीजेपी-टीडीपी के बीच पुराना संबंध रहा है। टीडीपी ने 1996 में एनडीए ज्वाइन किया था। ये अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और फिर 2014 की नरेंद्र मोदी की सरकार में साथ काम किया।पिछले चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए ही पार्टी ने इस बार गठबंधन का दांव चला है। टीडीपी, जो एक समय एनडीए गठबंधन का हिस्सा थी। पार्टी ने उसे फिर एनडीए में शामिल कर लिया है। टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू को भी उम्मीद है कि इस गठबंधन से उन्हें आगामी चुनाव में फायदा मिलेगा।