आज हम आपको बतायेंगे कि आखिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनीति की शुरुआत कैसे की! विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश सेवा के बाद राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई। जयशंकर को पीएम मोदी का बेहद करीबी माना जाता है। जयशंकर खुद ये बात स्वीकर कर चुके हैं कि जब जी-20 सम्मेलन हुआ तो उस समय उनकी भूमिका प्रधानमंत्री के टाइम मैनेजर की भी थी। जयशंकर कूटनीति के साथ ही बेलाग-लपेट अपने बयान के लिए भी जाने जाते हैं। जयशंकर कई बार यूरोपीय देशों से लेकर अमेरिका को अपने बेलाग बयान से आईना दिखा चुके हैं। इसके बाद भी कई लोग यह सवाल उठाते हैं कि जयशंकर राजनीति में मिसफिट हैं। जयशंकर की राजनीति में एंट्री का किस्सा भी बेहद रोचक है। एक इंटरव्यू के दौरान जयशंकर ने खुद इस बारे में विस्तार से बताया है। जयशंकर ने कहा कि 41 साल के बाद विदेश सेवा से मैंने रिटायरमेंट ली। उसके बाद मैं कॉर्पोरेट सेक्टर में गया। जयशंकर ने विदेश सेवा के बाद टाटा ग्रुप को जॉइन किया था। जयशंकर टाटा ग्रुप में अच्छी पोजिशन पर थे। जयशंकर ने बताया कि फिर उनके पास अचानक एक दिन फोन आया। यह 2019 के चुनाव के बाद की बात थी। जयशंकर को फोन करने वाले शख्स ने कहा कि वह आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलें। उनका कहना था कि आप कैबिनेट को जॉइन कीजिए। जयशंकर ने बताया कि तब तक उनके मन में एक सेकंड के लिए भी यह बात नहीं थी कि उन्हें राजनीति में जाना है। जयशंकर का कहना था कि उनके परिवार में कोई भी राजनीति में नहीं था।
जयशंकर का कहना है कि जो गैर-राजनीतिक लोग होते हैं उनके मन में कभी-कभी ये आता है कि भाई देश की तरक्की होनी चाहिए। अगर मैं अपने देश के लिए कुछ योगदान कर सकता हूं। अगर मैं अपने देश के लिए योगदान कर सकूं तो अच्छा होगा। जयशंकर ने बताया कि जिस तरह से प्रधानमंत्री ने कहा तो मुझे लगा कि मुझे उनका हाथ मजबूत करना चाहिए। मुझे लगा कि कॉर्पोरेट नौकरी को छोड़कर राजनीति में आना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि जब मैं मंत्री बना तो मैं किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं था। विदेश मंत्री ने कहा कि मैंने उसके बारे में भी सोचा। जयशंकर ने इस बारे में करीब एक महीना सोचा। इसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। जयशंकर ने कहा कि जब पीएम मोदी ने मुझे विदेश मंत्री बनने के लिए कहा तो उस समय मेरे मन में दूर-दूर तक राजनीति नहीं थी। जयशंकर ने कहा कि पीएम मोदी का ऑफर मेरे लिए सरप्राइज था। जयशंकर ने कहा कि जब आप किसी आदमी से अचानक कुछ पूछ लेते हैं तो उसके लिए सरप्राइज है तो थोड़ा तो समय लगता है ना।
जयशंकर ने बताया कि मैं 40 साल में से करीब 30 साल देश से बाहर था। उन्होंने कहा कि जब आदमी देश से बाहर होता है तो वह देश के बारे में ज्यादा सोचता है। जयशंकर ने कहा कि मेरे मामले में तो मैं विदेश सेवा में था। मैं चार जगह राजदूत था। उन्होंने कहा कि हम जब देश की सेवा में देश के प्रतिनिधि होते हैं तो देश को लेकर गर्व अधिक होता। यहि नहीं जयशंकर ने बताया कि फिर उनके पास अचानक एक दिन फोन आया। यह 2019 के चुनाव के बाद की बात थी। जयशंकर को फोन करने वाले शख्स ने कहा कि वह आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलें। उनका कहना था कि आप कैबिनेट को जॉइन कीजिए। जयशंकर ने बताया कि तब तक उनके मन में एक सेकंड के लिए भी यह बात नहीं थी कि उन्हें राजनीति में जाना है। जयशंकर का कहना था कि उनके परिवार में कोई भी राजनीति में नहीं था। उन्होंने कहा कि हम जो देश को रिप्रेजेंट करते हैं, हम सुपर नेशलिस्टिक लोग होते हैं। हमारे लिए राष्ट्रवाद भाषण का मामला नहीं बल्कि रोज का मामला है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए जो देश का गर्व और जिम्मेदारी होती है, हम हर समय अपने साथ रखते हैं।
जयशंकर के पिता अंतरराष्ट्रीय स्तर के विदेश मामलों के जानकार थे। जयशंकर की पत्नी जापान की हैं। हालांकि इस बात पर जयशंकर साफ कहते हैं कि पर वो भारत की नागरिक भी है। जयशंकर के तीनों बच्चे विदेश में हैं। जयशंकर भी इस बात को स्वीकार करते हैं उनका परिवार एक तरह से इंटरनेशनल है।