आज हम आपको बताएंगे कि किसी जिले में सूखा कैसे घोषित होता है! प्रदेश में कमजोर मॉनसून और कम बारिश के चलते इस बार खरीफ की फसलों की बुआई पर खासा असर पड़ा है। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सीएम योगी ने 75 जनपदों में 75 टीमें बनाने का निर्देश दिया है, जो 14 सितंबर यानी एक हफ्ते में सूखे की पूरी स्थिति का सर्वेक्षण कर अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेंगी। इस मामले में लापरवाही बरतने और देरी होने पर जिलाधिकारी जवाबदेह होंगे। सीएम योगी के निर्देशानुसार सभी 75 जिलों में मुख्य राजस्व अधिकारी और अतिरिक्त जिलाधिकारी, राजस्व की अध्यक्षता में एक-एक समिति बनाई जाएगी। इस समिति में कृषि विभाग, उद्यान विभाग और गन्ना विभाग के एक-एक अधिकारी सदस्य के तौर पर शामिल रहेंगे। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के 62 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है। अन्नदाता किसानों को कोई समस्या न हो इसको देखते हुए योगी सरकार ने प्रभावित जिलों में भूराजस्व की वसूली और ट्यूबवेल के बिजली बिल की वसूली को स्थगित कर दिया है। साथ ही ट्यूबवेल कनेक्शन भी नहीं काटने का आदेश दिया है। यही नहीं प्रदेश सरकार किसानों को दलहन, तिलहन और सब्जी के बीज भी उपलब्ध कराएगी! किसानों को खेतों की सिंचाई में कोई समस्या न हो इसके लिए सरकार की तरफ से सिंचाई विभाग को नहरों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित का आदेश दिया गया है। वहीं ऊर्जा विभाग को ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बढ़ाए जाने को कहा गया है, जिससे प्रभावित किसानों को राहत मिल सके।
सूखाग्रस्त जिलों में राजस्व, सिंचाई, पंचायतीराज, ऊर्जा, ग्राम्य विकास, कृषि, खाद्य और रसद, समाज कल्याण, संस्थागत वित्त, अतिरिक्त ऊर्जा स्त्रोत, पुशुधन, चिकित्सा और स्वास्थ्य, नगर विकास, जल निगम, मत्स्य और उद्यान विभाग हर संभव मदद करेंगे।
कोई क्षेत्र या जिला सूखाग्रस्त होने के बाद से सरकर वहां के प्रभावित किसानों के लिए एक तारीख तय करती है, और उस तारीख से मौजूदा समय या जब तक सरकार चाहे मुख्य राजस्व बकायों की वसूली पर रोक लगा दी जाती है। सूखे के भीषण हालात होने पर सरकार इसे बदल कर माफ भी कर सकती है। ऐसे में कृषि ऋण वसूली के लिए किसानों के खिलाफ उत्पीड़न की कार्रवाई नहीं की जाएगी। फसली बीमा कराने पर बीमा कंपनियां भरपाई करेंगी! इसके अलावा विभागीय स्तर पर हर तरीके से मदद की जाती है।जिला सूखाग्रस्त घोषित होने पर डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनती है, जिसमें राजस्व अधिकारी मेंबर होते हैं।
ये कमेटी तय करती है कि सूखाग्रस्त जिले के हर किसान को किस फसल का कुल कितना नुकसान हुआ।कोई क्षेत्र या जिला सूखाग्रस्त होने के बाद से सरकर वहां के प्रभावित किसानों के लिए एक तारीख तय करती है, और उस तारीख से मौजूदा समय या जब तक सरकार चाहे मुख्य राजस्व बकायों की वसूली पर रोक लगा दी जाती है। सूखे के भीषण हालात होने पर सरकार इसे बदल कर माफ भी कर सकती है। ऐसे में कृषि ऋण वसूली के लिए किसानों के खिलाफ उत्पीड़न की कार्रवाई नहीं की जाएगी। फसली बीमा कराने पर बीमा कंपनियां भरपाई करेंगी! इसके अलावा विभागीय स्तर पर हर तरीके से मदद की जाती है।जिला सूखाग्रस्त घोषित होने पर डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनती है, जिसमें राजस्व अधिकारी मेंबर होते हैं। नुकसान का आंकलन लागत से नहीं होता, बल्कि बाजार में उस फसल के बिकने पर जो लाभ होता है, उसके 50 फीसदी के हिसाब से राहत राशि दी जाती है।
जिन किसानों से बैंक से फसली ऋण ले रखा है, एक निश्चित समय के लिए उन फसली ऋण की वसूली पर रोक रहती है।कोई क्षेत्र या जिला सूखाग्रस्त होने के बाद से सरकर वहां के प्रभावित किसानों के लिए एक तारीख तय करती है, और उस तारीख से मौजूदा समय या जब तक सरकार चाहे मुख्य राजस्व बकायों की वसूली पर रोक लगा दी जाती है। सूखे के भीषण हालात होने पर सरकार इसे बदल कर माफ भी कर सकती है। ऐसे में कृषि ऋण वसूली के लिए किसानों के खिलाफ उत्पीड़न की कार्रवाई नहीं की जाएगी। फसली बीमा कराने पर बीमा कंपनियां भरपाई करेंगी! इसके अलावा विभागीय स्तर पर हर तरीके से मदद की जाती है।जिला सूखाग्रस्त घोषित होने पर डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनती है, जिसमें राजस्व अधिकारी मेंबर होते हैं। इस दौरान किसान को ब्याज भी नहीं देना पड़ता है।फसली ऋण लेने पर किसान का फसल बीमा भी हो जाता है। सूखाग्रस्त होने पर बीमा राशि का भुगतान भी किया जाता है।