आज हम आपको बतायेंगे की G20 पर भारत का कितना खर्च हुआ और इससे फायदा कितना मिला! जी20 सम्मेलन 2023 सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। भारत की अध्यक्षता में हुए इस शिखर सम्मेलन की काफी सराहना हो रही है। जी20 समिट के लिए भारत सरकार ने भारी-भरकम खर्चा किया है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 9-10 सितंबर को हुए इस समिट में 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा हुआ है। रिकॉर्ड्स के अनुसार इन खर्चों को मोटे तौर पर करीब 12 कैटेगरीज में बांटा गया है। साल 2023-24 के बजट में जी20 सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। इस तरह वास्तव में हुआ खर्चा बजट राशि से करीब चार गुना है। सरकार ने इस आयोजन के लिए दिल्ली के सौंदर्यीकरण में भारी-भरकम खर्चा किया है। आइए जानते हैं कि इससे पहले अन्य देशों ने जी20 समिट की मेजबानी पर कितना खर्चा किया था। साल 2022 में जी-20 समिट इंडोनेशिया के बाली में हुई थी। इस शिखर सम्मेलन का बजट कथित तौर पर करीब 674 अरब इंडोनेशियाई रुपया यानी 364 करोड़ से अधिक था। साल 2019 का जी20 शिखर सम्मेलन जापान में आयोजित हुआ था। एक्स पर ‘द वर्ल्ड रैंकिंग’ द्वारा ट्वीट किए गए आंकड़ों के अनुसार, जापान के ओसाका में हुए इस समिट में 320 मिलियन डॉलर या 2,660 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे।
साल 2018 का जी20 शिखर सम्मेलन अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसका बजट 11.2 करोड़ डॉलर यानी करीब 931 करोड़ रुपये था। साथ 2017 का जी20 शिखर सम्मेलन जर्मनी में हुआ था। जर्मनी की आधिकारिक जी20 वेबसाइट के अनुसार हैम्बर्ग में हुई इस समिट पर 72.2 मिलियन यूरो यानी 642 करोड़ रुपये का खर्चा आया था।
साल 2016 में जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन चीन के Hangzhou में किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस समिट पर 24 अरब डॉलर का खर्चा हुआ था। यह 1.9 लाख करोड़ रुपये के बराबर रकम है। ऑस्ट्रेलिया को साल 2014 में जी20 सम्मेलन की मेजबानी मिली थी। ब्रिस्बेन में हुई इस समिट की मेजबानी में ऑस्ट्रेलिया ने 400 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च किये थे। साथ ही सुरक्षा के लिए 100 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च किये गए थे। इस तरह कुल खर्च करीब 2,653 करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ।
रूस में साल 2013 में जी20 सम्मेलन आयोजित हुआ था। रूस द्वारा आयोजित 2013 के जी20 सेंट पीटर्सबर्ग शिखर सम्मेलन की लागत लगभग 2 अरब RUB थी, जो 170 करोड़ रुपये से अधिक रकम है। फ्रांस ने साल 2011 में जी20 समिट की मेजबानी संभाली थी। इस आयोजन में 8 करोड़ यूरो करीब 712 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई थी।कनाडा ने साल 2010 में जी20 सम्मेलन की मेजबानी संभाली थी। इस समिट पर 715 मिलियन सीएडी यानी करीब 4351 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे। बता दें कि निर्गुट सम्मेलन में भाग लेने के लिए आने वाले राष्ट्राध्यक्षों की कारों के काफिलें एयरपोर्ट से शांतिपथ, तीन मूर्ति, साउथ एवेन्यू, विजय चौक, मदर टेरेसा क्रिसेंट, सरदार पटेल मार्ग, पंचशील मार्ग, सफदरजंग रोड और विज्ञान भवन के आसपास रहे थे। जी20 में काफिले प्रगति मैदान तक जाते रहे क्योंकि वहां पर ही भारत मंडपम है। चूंकि निर्गुट सम्मेलन को बहुत मारामारी में आयोजित करना पड़ा था इसलिये तब राजधानी में कोई बड़ा निर्माण तो नहीं हुआ था। निर्गुट सम्मेलन के चंदेक महीनों के बाद 23-29 नवंबर, 1983 तक नई दिल्ली में राष्ट्रकुल सम्मेलन आयोजित हुआ। उसमें 42 राष्ट्रकुल देशों के राष्ट्राध्यक्ष आये थे। उनमें ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मारर्गेट थैचर प्रमुख थीं। उसमें अमेरिकी फौजों के ग्रेनेडा में घुसने पर चर्चा हुई थी। सम्मेलन के अंतिम तीन दिन राष्ट्रकुल देशों के नेता घूमने के लिये गोवा गये थे।
बता दें कि निर्गुट सम्मेलन की मेजबानी भारत को इसलिये करनी पड़ी थी क्योंकि इराक ने मेजबानी करने से कुछ माह पहले हाथ खड़े कर दिये थे। इसलिये मेजबानी भारत ने संभाली थी। निगुर्ट सम्मेलन के सफल आयोजन का श्रेय़ विदेश मंत्रालय ते तेज तर्रार अफसरों जैसे एम.के. रस्गोत्रा, नटवर सिंह, मोहम्मद हामिद अंसारी और जे.एन. दीक्षित को जाता है। यह 1.9 लाख करोड़ रुपये के बराबर रकम है। ऑस्ट्रेलिया को साल 2014 में जी20 सम्मेलन की मेजबानी मिली थी। ब्रिस्बेन में हुई इस समिट की मेजबानी में ऑस्ट्रेलिया ने 400 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च किये थे। साथ ही सुरक्षा के लिए 100 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च किये गए थे। इस तरह कुल खर्च करीब 2,653 करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ।उसमें क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो, पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक, फिलीस्तीन लिबरेशन आर्गेनाइजेशन पीएलओ के नेता यासर अराफात भी पधारे थे।