यह सवाल उठना लाजिमी है कि सत्यपाल मलिक के दावे कितने सच और कितने झूठ है! बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मणिपुर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने कई ऐसा बयान दिए जिन पर विवाद हो गया। हैरत की बात है कि कई बार उन्होंने अपने बयानों के लिए माफी मांगी, खुद को ही झूठा बताया और माना कि उनसे गलती हुई, ऐसा नहीं करना चाहिए था। सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर किया गया तो वह जैसे भड़क गए और मोदी सरकार पर गंभीर से गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जवानों की लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया तो अमित शाह की तरफ से गलत दावा कर दिया। यह अलग बात है कि मलिक ने आगे जाकर माफियां भी मांगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में उन्हें 300 करोड़ रुपये घूस का ऑफर मिला था। मलिक एक इंटरव्यू में ऐसा आरोप मढ़ते हैं और दूसरे इंटरव्यू में माफी मांग लेते हैं। ऐसा एक बार नहीं, बल्कि बार-बार हुआ है। आरोपों-प्रत्यारोपों से इतर मलिक ने नेताओं के खिलाफ आतंकियों और किसानों को भड़काने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि उन्होंने इंदिरा गांधी के हत्या का हवाला देकर सरकार को धमकी देने और किसानों को भड़काने के प्रयास किए। अब उनके ही एक बयान के मामले में सीबीआई ने जो मामले दर्ज किए थे, उसी सिलसिले में उनके ठिकानों पर छापेमारी की। मलिक आज भी खुद को ही सर्टिफिकेट दे रहे हैं कि वो तो खांटी ईमानदार हैं जितना कि चौधरी चरण सिंह थे। खैर, आइए जानते हैं सत्यपाल मलिक ने कैसे-कैसे दावे किए और कब-कब माफियां मांगीं। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि सीआरपीएफ ने जवानों के मूवमेंट के लिए एयरक्राफ्ट मांगा था लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय देने से इनकार कर दिया था। मलिक ने कहा कि उनसे मांग की जाती तो सीआरपीएफ को हर हाल में ही एयरक्राफ्ट दिया जाता। पांच विमानों की ही तो जरूरत थी। मलिक ने दावा किया था, ‘पीएम मोदी ने पुलवामा अटैक के बाद जिम कॉर्बेट पार्क से मुझे कॉल किया था तो मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि यह हमारी गलती से हुआ है। इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि तुम चुप रहो और किसे से कुछ नहीं कहो।’ मलिक ने यह भी दावा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने को कहा था। उन्होंने कहा, ‘तभी मैं समझ गया था कि सरकार पूरा ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ने वाली है।’ ध्यान रहे कि 14 फरवरी, 2019 को दोपहर बाद करीब 3 बजे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने श्रीनगर-जम्मू नैशनल हाइवे पर सीआरपीएफ के काफिले को बम विस्फोट से उड़ा दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ ने अपने 40 जवान खो दिए थे। वो यहीं नहीं रुके और यहां तक कह दिया था कि पीएम मोदी ने पुलवामा हमले की त्रासदी का चुनावों में फायदा उठाया और लोगों से कहा कि जब वो वोट दें तो पुलवामा को याद रखें। उन्होंने कहा, ‘मैं जनता से एक बार फिर कहता हूं कि इस बार वोट करते समय पुलवामा के शहीदों को याद रखें।’
सत्यपाल मलिक ने जनवरी 2022 में हरियाणा के दादरी में दावा किया कि पीएम मोदी ने किसानों के मुद्दे पर उनसे बड़ी घमंड से बात की थी। उन्होंने कहा ‘वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए। पीएम ने कहा तुम तो *** मरती है तो चिट्ठी भेजते हो। मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे थे क्योंकि आप उनकी वजह से राजा बने हुए हो, इसको लेकर मेरा उनसे झगड़ा हो गया।’ मलिक ने दावा किया कि इसके बाद प्रधानमंत्री ने उनसे अमित शाह से मिलने को कहा। उन्होंने दावा किया, ‘अमित शाह ने कहा सत्यपाल इनकी अक्ल मार रखी है लोगों ने, तुम बेफिक्र रहो, तुम आते रहो हमसे मिलते रहो…’ इसके बाद उन्होंने कहा कि वो ईमानदार हैं, इसलिए अबतक आईटी और ईडी की कार्रवाई से बचे हैं। बाद में अंग्रेजी वेबसाइट द वायर को 14 फरवरी, 2023 को दिए इंटरव्यू में अमित शाह के बयान के अपने दावे पर पलट गए और खुद से स्वीकार किया कि उन्होंने झूठ बोला था। मलिक ने कहा, ‘मैंने अमित शाह से संबंधित बयान के बारे में पूरी तरह झूठ बोला था। उन्होंने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा। मैं इस बयान को वापस लेता हूं। उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा।’ इसी मुद्दे को लेकर जब इंटरव्यू ले रहे करण थापर ने मलिक से दोबारा पूछा तो उन्होंने फिर स्वीकार किया कि उन्होंने झूठ बोला था।
मलिक ने 17 अक्टूबर, 2021 को राजस्थान के झुंझनू में कहा था कि जब वो जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे तो दो फाइलों पर साइन करने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की डील का ऑफर मिला था। मलिक के इस दावे के पीछे आरएसएस, बीजेपी, पीडीपी और अंबानी का नाम जुड़ा। उन्होंने बताया कि दो फाइलों पर साइन करने के लिए उन्होंने 150-150 करोड़ रुपये रिश्वत का ऑफर मिला था। उन्होंने कहा कि उन तक यह ऑफर सचिवों के जरिए पहुंचा था। मलिक ने दावा किया उन्होंने इस ऑफर के जवाब में कहा था, ‘पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और उन्हें लेकर वापस चले जाएंगे, लेकिन रिश्वतखोरी नहीं करूंगा।’ बाद में दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में मलिक ने आरएसएस से माफी मांग ली। उन्होंने कहा कि जिस शख्स ने मुझे फाइल दी थी, उसने खुद को आरएसएस से जुड़ा बताया था, इसलिए मैंने आरएसएस का नाम लिया। उन्होंने मान कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। फिर उन्होंने बताया, ‘मैंने प्रधानमंत्री मोदी को इसकी पूरी जानकारी दे दी थी और उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर समझौता करने की कोई जरूरत नहीं है।’
तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद सत्यपाल मलिक का एक वीडियो नवंबर 2021 में वायरल हुआ। उस वीडियो में मलिक कह रहे थे कि यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए होते तो उनका हाल इंदिरा गांधी जैसा होता। उस वीडियो में मलिक के बयान से साफ हो रहा था कि वो इंदिरा गांधी और जनरल वैद्य की हत्या को जायज ठहराते हुए हत्यारों की तारीफ कर रहे थे। उन्होंने धमकी देते हुए कहा था किअगर आपको लगता है कि किसान प्रदर्शनकारी अपने आप वापस चले जाएंगे तो ये आपकी गलतफहमी है।
सत्यपाल मलिक के विवादित बयानों का पुराना इतिहास रहा है। जब जयप्रकाश नारायण जेपी का आंदोलन जोरों पर था, तब सत्यपाल मलिक उत्तर प्रदेश के विधायक थे। उन्होंने तब विधानसभा में दावा किया कि 22-23 जून, 1974 को जेपी इलाहाबाद अब प्रयागराज आए थे तो प्रदेश की हेमवती नंदन बहुगुणा सरकार ने उनके सरकारी गेस्ट हाउस में रुकने में बाधा डाली और आयोजन असफल करवाने का प्रयास किया। मलिक के इस दावे पर बहुगुना सरकार की किरकिरी होने लगी। बहुगुणा ने न केवल सदन में मलिक के दावे को खारिज किया बल्कि जेपी को पत्र लिखकर भी शिकायत की। जेपी ने भी चिट्ठी से ही जवाब दिया और मलिक के दावे पर हैरानी जताई। जेपी ने अपनी चिट्ठी में लिखा, ‘मुझे याद नहीं पड़ता कि सत्यपाल मलिक से मेरी अलग से कोई बातचीत हुई थी। अगर हुई भी हो, तो भी यह असंभव है कि मैंने उससे वैसा कुछ कहा हो जो बयान उसने असेंबली में दिया। उस बयान का मैंने विरोध नहीं किया क्योंकि मैं ऐसे लोगों के साथ वाद-विवाद में पड़ना ठीक नहीं समझता।’