Friday, November 22, 2024
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आखिर डार्क नेट ड्रग तस्करी गिरोह का कैसे हुआ भंडाफोड़?

हाल ही में डार्क नेट ड्रग तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ हो चुका है! नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी NCB ने एक ऑल इंडिया डार्क नेट ड्रग तस्करी कार्टेल का भंडाफोड़ किया है। इसके साथ ही एनसीबी ने भारी मात्रा में एलएसडी ड्रग भी जब्त किया है। इस कार्टेल का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ था। एनसीबी के अनुसार ये लोग डार्कनेट के जरिए ड्रग की खरीद बिक्री में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे थे। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एनसीबी का दावा है कि यह उसकी तरफ से अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है। एनसीबी की यह जानकारी पिछले महीने नेवी के साथ एक जॉइंट ऑपरेशन के बाद आई है। उस ऑपरेशन में केरल के तट से ₹25,000 करोड़ की नशीली दवाओं को जब्त किया गया था। एनसीबी के अनुसार इस ड्रग की डीलिंग डार्क वेब पर क्रिप्टोकरेंसी के जरिये होती थी। ‘डार्क वेब’ या ‘डार्क नेट’ इंटरनेट पर वह छिपी हुई जगह है जिसका यूज ड्रग्स से लेकर बंदूकों और अन्य अवैध और प्रतिबंधित वस्तुओं को खरीदने बेचने के किया जाता है। इस पूरे मामले को लेकर एनसीबी दोपहर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेगी।

एनसीबी अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि ढुलाई का मूल्य सामान्य से अधिक था। इसकी वजह थी कि ये ड्रग्स हाईक्लास की थी। जब्त मादक पदार्थ एक-एक किलो के पैकेट में 134 बोरे में छिपाकर रखे गए थे। एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑपरेशंस संजय कुमार सिंह ने बताया कि पैसे के मामले में यह सबसे बड़ा था।इस कार्टेल का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ था। एनसीबी के अनुसार ये लोग डार्कनेट के जरिए ड्रग की खरीद बिक्री में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे थे। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एनसीबी का दावा है कि यह उसकी तरफ से अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है। एनसीबी की यह जानकारी पिछले महीने नेवी के साथ एक जॉइंट ऑपरेशन के बाद आई है। उस ऑपरेशन में केरल के तट से ₹25,000 करोड़ की नशीली दवाओं को जब्त किया गया था। एनसीबी के अनुसार इस ड्रग की डीलिंग डार्क वेब पर क्रिप्टोकरेंसी के जरिये होती थी। ‘डार्क वेब’ या ‘डार्क नेट’ इंटरनेट पर वह छिपी हुई जगह है जिसका यूज ड्रग्स से लेकर बंदूकों और अन्य अवैध और प्रतिबंधित वस्तुओं को खरीदने बेचने के किया जाता है।एनसीबी अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि ढुलाई का मूल्य सामान्य से अधिक था।

इसकी वजह थी कि ये ड्रग्स हाईक्लास की थी। जब्त मादक पदार्थ एक-एक किलो के पैकेट में 134 बोरे में छिपाकर रखे गए थे।इस कार्टेल का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ था। एनसीबी के अनुसार ये लोग डार्कनेट के जरिए ड्रग की खरीद बिक्री में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे थे। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एनसीबी का दावा है कि यह उसकी तरफ से अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है। एनसीबी की यह जानकारी पिछले महीने नेवी के साथ एक जॉइंट ऑपरेशन के बाद आई है। उस ऑपरेशन में केरल के तट से ₹25,000 करोड़ की नशीली दवाओं को जब्त किया गया था। एनसीबी के अनुसार इस ड्रग की डीलिंग डार्क वेब पर क्रिप्टोकरेंसी के जरिये होती थी। ‘डार्क वेब’ या ‘डार्क नेट’ इंटरनेट पर वह छिपी हुई जगह है जिसका यूज ड्रग्स से लेकर बंदूकों और अन्य अवैध और प्रतिबंधित वस्तुओं को खरीदने बेचने के किया जाता है। एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (ऑपरेशंस) संजय कुमार सिंह ने बताया कि पैसे के मामले में यह सबसे बड़ा था। उन्होंने कहा कि ड्रग्स ईरान के चाबहार बंदरगाह से होकर जाता था। इसका सोर्स पाकिस्तान था।उन्होंने कहा कि ड्रग्स ईरान के चाबहार बंदरगाह से होकर जाता था। इसका सोर्स पाकिस्तान था।

एनसीबी ने इस मामले में एक व्यक्ति – जुबैर को गिरफ्तार किया है। जुबैर पाकिस्तानी नागरिक है।इस कार्टेल का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ था। एनसीबी के अनुसार ये लोग डार्कनेट के जरिए ड्रग की खरीद बिक्री में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे थे। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एनसीबी का दावा है कि यह उसकी तरफ से अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है। एनसीबी की यह जानकारी पिछले महीने नेवी के साथ एक जॉइंट ऑपरेशन के बाद आई है। उस ऑपरेशन में केरल के तट से ₹25,000 करोड़ की नशीली दवाओं को जब्त किया गया था। एनसीबी के अनुसार इस ड्रग की डीलिंग डार्क वेब पर क्रिप्टोकरेंसी के जरिये होती थी। ‘डार्क वेब’ या ‘डार्क नेट’ इंटरनेट पर वह छिपी हुई जगह है जिसका यूज ड्रग्स से लेकर बंदूकों और अन्य अवैध और प्रतिबंधित वस्तुओं को खरीदने बेचने के किया जाता है। पूछताछ में आरोपी जुबैर ने खुद से इस मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। जुबैर ने बताया कि वह पाकिस्तान के एक तस्कर के लिए काम कर रहा था। उस तस्कर ने ड्रग्स ले जाने की एवज में उसे बहुत ज्यादा पैसे देने को कहा था।

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