भारत में एक समय ऐसा भी था जब पहली बार पैसेंजर ट्रेन चलाई गई थी और उस ट्रेन को खींचने के लिए तीन इंजन की जरूरत पड़ी थी… हाल ही में 16 अप्रैल 2024 को रेलगाड़ी का जन्मदिन निकला है ,जी हां रेलगाड़ी का जन्मदिन ….1853 में पहली बार रेल गाड़ी चलाई गई थी… जिसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं!
आपको बता दें कि भले ही आज सुपरफास्ट और बुलेट ट्रेन का जमाना हो, लेकिन भारतीय रेलवे के इतिहास में 16 अप्रैल के दिन की खास अहमियत है और हमेशा रहेगी। दरअसल, 16 अप्रैल, 1853 को देश में पहली रेल चली थी। ऐसे में हम ये भी कह सकते हैं कि 16 अप्रैल भारतीय रेल का जन्मदिन है। जन्मदिन इस मायने में कि साल 1853 को इसी दिन भारत में पहली पैसेंजर ट्रेन चली थी। ये ट्रेन बम्बई से ठाणे के बीच चली थी। उस समय महज 14 डिब्बों वाली इस ट्रेन को खींचने के लिए तीन इंजन लगाए गए थे। इसमें 400 यात्रियों ने सफर किया था। आपको बता दें कि भारत में ट्रेन की शुरुआत अंग्रेजों के जमाने से ही हो गई है. दरअसल 1832 में पहली बार भारत में ट्रेन चलाने का विचार किया गया था. उस वक्त ब्रिटेन में भी ट्रेन बस शुरू ही हुई थी. अंग्रेजों को पता था कि भारत जैसे विशाल देश में ट्रेन चलाने का उन्हें बहुत फायदा मिलने वाला है. जिसके बाद 1844 में भारत में तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग इस काम में पूरे जी जान से जुट गएं. इसके बाद भारत में ट्रेन को लाने के लिए अंग्रेजों ने दो कंपनियों ‘ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी’ और ‘ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे’ का गठन किया. जिसके बाद देश में रेल का काम और भी तेजी से शुरू हो गयाइन सारे प्रयासों के बाद देश में पहली ट्रेन आज से 170 साल पहले यानि 16 अप्रैल, 1853 में शुरू हुई. देश में पहली ट्रेन तत्कालीन बंबई के बोरीबंदर से लेकर ठाणे के बीच चली थी. ये ट्रेन दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर मुंबई से निकली और 4 बजकर 45 मिनट पर ठाणे पहुंची. करीब 35 किलोमीटर के इस सफर को पूरे करने में इसे 1 घंटा और 10 मिनट का समय लगा. . बता दें कि भारतीय रेल की पहली ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को दोपहर 03:35 पर रवाना हुई थी। यह रवानगी तत्कालीन बॉम्बे के बोरीबंदर रेलवे स्टेशन से हुई थी। डेस्टिनेशन 33 किलोमीटर दूर का, थाने था। देश की पहली ट्रेन में 14 डिब्बे लगाए गए थे। इनमें 400 यात्री बैठे थे। यह देश के लिए कितना बड़ा कार्यक्रम था, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब ट्रेन रवाना हुई तो उसे 21 तोपों की सलामी दी गई थी। इंडियन रेलवे फैन क्लब एसोसिएशन के मुताबिक, इस ट्रेन ने 33.80 किलोमीटर की यात्रा एक घंटा 15 मिनट में पूरी की थी। 1845 में कलकत्ता में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेल कंपनी की स्थापना हुई और इसी कंपनी ने 1850 में मुंबई से ठाणे तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू किया था। भारत में सन् 1856 में भाप के इंजन बनना शुरू हुए, इसके बाद धीरे-धीरे रेल की पटरियां बिछाई गईं, पहले नैरोगेज पर रेल चली, उसके बाद मीटरगेज और ब्रॉडगेज लाइन बिछाई गई। 1 मार्च 1969 को देश की पहली सुपरफास्ट ट्रेन ब्रॉडगेज लाइन पर दिल्ली से हावड़ा के बीच चलाई गई थी। भारतीय रेलवे की खास बात यह भी है कि देश की सबसे धीमी रफ्तार वाली ट्रेन की गति इतनी धीमी है कि लोग चलती ट्रेन से आसानी से उतर और चढ़ सकते हैं। सबसे धीमी रफ्तार वाली ट्रेन 10 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है।
उस ट्रेन के डिब्बों की , आज के रेल के डिब्बों से तुलना करें तो वे माचिस की डिब्बी लगेंगे। तब भी वो जमाना अलग था। उत्साह अलग था। 34 किलोमीटर के सफर में ये ट्रेन दो स्टेशनों पर रूकी। बोरीबंदर स्टेशन से रवाना होकर 8 किलोमीटर चलने के बाद यह ट्रेन भायखला में रूकी। यहां इसके इंजन में पानी भरा गया। फिर वहां से रवाना होकर थोड़ी देर के लिए सायन में स्टॉपेज रहा। इस पूरे डेढ़ घंटे के सफर में रेल 15-15 मिनट के लिए 2 स्टेशनों पर ठहरी। अब सवाल ये कि क्या भारतीय रेल भी अपनी पहली पैसेंजर ट्रेन यात्रा की तारीख 16 अप्रैल 1853 ही बताता है। बिल्कुल ऐसा है। हालांकि, सवाल ये उठता है क्या उसी दिन देश में पहली रेल चली थी तो इसका जवाब है नहीं। दरअसल, बंबई से ठाणे के बीच चली ये ट्रेन भारत में पहली व्यावसायिक यात्री सेवा थी। वास्तव में, कुछ अन्य रेलवे कंपनियों ने भारत में कंस्ट्रक्शन मैटेरियल ढोने के लिए 1853 से पहले ही ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया था। ऐसे प्रमाण हैं कि साल 1835 में ही, मद्रास में चिंताद्रिपेट के पास एक छोटी प्रायोगिक रेल लाईन बिछाई गई थी। यह 1837 में खोला गया था। लेकिन यह थी देश की पहली छुक छुक करती पैसेंजर रेलगाड़ी!


